कासगंज के सोरोंजी में मार्गशीर्ष द्वादशी पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा। वराह घाट पर गंगा स्नान करने के बाद महंत और महामंडलेश्वरों ने विश्राम छतरी के नीचे खड़े होकर भगवान वराह का खजाना खोलकर धनवर्षा की। इस दौरान सिक्कों को पाने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ मची रही। जिन श्रद्धालुओं को भगवान वराह के खजाने के सिक्के मिल गए, उनके चेहरे खुशी से खिल गए। मार्गशीर्ष द्वादशी पर हजारों श्रद्धालुओं ने तीर्थनगरी पहुंचे। हरि की पौड़ी में हजारों स्नान कर भगवान वराह के दर्शन किए। इसके बाद पंचकोसी परिक्रमा की।
तीर्थनगरी स्थित भगवान वराह मंदिर का खजाना साल में एक बार मार्गशीर्ष द्वादशी पर खुलता है। वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार शाही स्नान के बाद महंत विदेहानंद गिरी ने विश्राम छतरी के नीचे खड़े होकर खजाना खोल दिया। इस दौरान मंदिर के कोष में जमा सिक्कों को श्रद्धालुओं पर लुटाए गए। इन सिक्कों को पाने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। इस दौरान धक्का-मुक्की भी हुई।
तीर्थनगरी स्थित भगवान वराह मंदिर का खजाना साल में एक बार मार्गशीर्ष द्वादशी पर खुलता है। वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार शाही स्नान के बाद महंत विदेहानंद गिरी ने विश्राम छतरी के नीचे खड़े होकर खजाना खोल दिया। इस दौरान मंदिर के कोष में जमा सिक्कों को श्रद्धालुओं पर लुटाए गए। इन सिक्कों को पाने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। इस दौरान धक्का-मुक्की भी हुई।