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Kasganj: सोरोंजी में खुला भगवान वराह मंदिर का खजाना, श्रद्धालुओं पर हुई धनवर्षा, यह है मान्यता

संवाद न्यूज एजेंसी, कासगंज Published by: मुकेश कुमार Updated Sun, 04 Dec 2022 05:53 PM IST
भगवान वराह मंदिर के बाहर सिक्के पाने के लिए उमड़े श्रद्धालु
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कासगंज के सोरोंजी में मार्गशीर्ष द्वादशी पर आस्था का जनसैलाब उमड़ा। वराह घाट पर गंगा स्नान करने के बाद महंत और महामंडलेश्वरों ने विश्राम छतरी के नीचे खड़े होकर भगवान वराह का खजाना खोलकर धनवर्षा की। इस दौरान सिक्कों को पाने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ मची रही। जिन श्रद्धालुओं को भगवान वराह के खजाने के सिक्के मिल गए, उनके चेहरे खुशी से खिल गए। मार्गशीर्ष द्वादशी पर हजारों श्रद्धालुओं ने तीर्थनगरी पहुंचे। हरि की पौड़ी में हजारों स्नान कर भगवान वराह के दर्शन किए। इसके बाद पंचकोसी परिक्रमा की।  

तीर्थनगरी स्थित भगवान वराह मंदिर का खजाना साल में एक बार मार्गशीर्ष द्वादशी पर खुलता है। वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार शाही स्नान के बाद महंत विदेहानंद गिरी ने विश्राम छतरी के नीचे खड़े होकर खजाना खोल दिया। इस दौरान मंदिर के कोष में जमा सिक्कों को श्रद्धालुओं पर लुटाए गए। इन सिक्कों को पाने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। इस दौरान धक्का-मुक्की भी हुई। 
भगवान वराह मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़
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जिन श्रद्धालुओं को सिक्के मिले, वो खुद पर भगवान वराह की कृपा मानते हुए प्रसन्न दिखाई दिए। सिक्के पाकर श्रद्धालुओं ने भगवान वराह के दर्शन किए। यह सिक्के श्रद्धालु अपनी तिजोरी में या धन के साथ रखते हैं। श्रद्धालुओं की आस्था है कि इन सिक्कों को तिजोरी या धन के साथ रखने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है। व्यापार में मुनाफा होता है।
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सोरोंजी के वराह घाट पर श्रद्धालु
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वराह मंदिर के महंत विदेहानंद गिरि गाजे बाजे के साथ मंदिर परिसर से बाहर निकले और गंगा स्नान के लिए हरि की पौड़ी के वराह घाट पर पहुंचे। उनके साथ कैलाश मठ बनारस के महामंडलेश्वर आशुतोषानंद गिरि, वृंदावन के महामंडलेश्वर प्रकाशानंद ने भी गंगा स्नान किया। गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने हरि की पौड़ी पर धार्मिक अनुष्ठान किए। 
भगवान वराह और मां लक्ष्मी के श्रीविग्रह
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मान्यता है कि मार्गशीर्ष द्वादशी पर भगवान वराह हरि की पौड़ी गंगा में शरीर त्यागकर मोक्षधाम के लिए चले गए। तभी से हरि की पौड़ी के कुंड में विसर्जित की जाने वाली अस्थियां जलरूप में परिवर्तित हो जाती हैं। इसके अलावा द्वादशी पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
 
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परिक्रमा में उमड़े श्रद्धालु
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इसी मान्यता के चलते द्वादशी पर हरि की पौड़ी में स्नान के लिए दूर दराज इलाकों से श्रद्धालु पहुंचे। स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं ने हरि की पौड़ी के घाट पर हवन पूजन सहित तमाम धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए। भगवान वराह के दर्शन कर व आरती उतारकर पुण्य लाभ अर्जित किया। इस दौरान हर हर गंगे के जयकारों से घाट गूंजायमान हो उठे।
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