कोरोना काल में चंबल से अच्छी खबर मिली है। वाह के रेंजर आरके सिंह राठौड़ के मुताबिक फरवरी के पहले पखवाडे़ में पाली (राजस्थान) से पचनदा (इटावा) तक 435 किमी के दायरे में वन विभाग और विशेषज्ञों की टीम ने घड़ियाल, मगरमच्छ और डॉल्फिन की गणना की थी। सर्वे में 317 घड़ियाल, 176 मगरमच्छ और 14 डॉल्फिन पिछले सर्वे के मुकाबले ज्यादा मिलीं। लुप्तप्राय जलीय जीवों में शामिल डॉल्फिन का चंबल नदी में वर्ष 2009 से संरक्षण हो रहा है। पांच अक्तूबर 2009 में डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया था। वर्ष 2012 में 'मेरी गंगा, मेरी सूंस' अभियान के तहत कराई गई गिनती के दौरान प्रदेश की नदियों में डॉल्फिन की संख्या 671 पाई गई थी। जिनमें चंबल नदी में 78 मिली थीं।
दुनियाभर में लुप्त प्राय स्थिति में पहुंचे घड़ियालों का चंबल नदी में 1979 से संरक्षण हो रहा है। 2008 में 100 से ज्यादा घड़ियालों की मौत के झटके से उबरी चंबल में अब इनका कुनबा बढ़ने लगा है। 12 सदस्यीय दल के सर्वे के मुताबिक नदी में 1859 से बढ़कर 2176 घड़ियाल, 710 से बढ़कर 886 मगरमच्छ और 68 से बढ़कर 82 डॉल्फिन हो गई है। बाह के रेंजर ने बताया कि सर्वे के आंकडे़ उत्साह बढ़ाने वाले हैं।
सात साल में करीब दोगुना हुए घड़ियाल
सात साल में घड़ियाल और मगरमच्छ का चंबल नदी में कुनबा बढ़कर करीब दोगुना हो गया है। वन विभाग के मुताबिक 2016 में 1162 घड़ियाल थे, जो बढ़कर 2176 हो गए। वहीं 454 मगरमच्छ थे, जिनकी संख्या अब 886 हो गई है।
डॉल्फिन के लिए भी मुफीद रही चंबल
रेड लिस्ट में शामिल डॉल्फिन को पांच अक्टूबर 2009 में राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित कर चंबल में संरक्षण का काम शुरू हुआ था। आबादी बढ़ने से चंबल को इसका सुरक्षित ठिकाना माना गया है। 2014 में 71, 2015 में 78, 2016 में 75, 2017 में 74, 2018 में 75, 2019 में 74, 2020 में 68 मिली थी। अब कुनबा बढ़कर 82 हो गया है।
वर्ष घड़ियाल डॉल्फिन मगरमच्छ
2016 1162 78 454
2017 1255 75 562
2018 1681 74 613
2019 1876 74 706
2020 1859 68 710
2021 2176 82 886