किसी जमाने में घर के बुजुर्ग या फिर पाठ्य पुस्तकें और कुछ पत्रिकाएं ही बच्चों के साहित्य का जरिए हुआ करती थीं। ...लेकिन तेजी से बदलते परिवेश ने जबकि पूरे परिदृश्य को ही बदल दिया है और हर हाथ में मोबाइल पर सब कुछ उपलब्ध है तो ऐसे समय में बच्चों केलिए हिंदी साहित्य में भी बदलाव की जरूरत है। इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया से लेकर स्कूलों तक में डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। बाल साहित्यकार मानते हैं कि आज के डिजिटल युग में बाल साहित्य को भी बदलाव की जरूरत है। आइये आज हम आपकी मुलाकात करवाते हैं राजधानी के कुछ ऐसे ही बाल साहित्यकारों से जिन्होंने लंबे समय तक बच्चों के लिए हिंदी में रोचक कहानियां और कविताएं लिखीं।