डीएसपी अमन ठाकुर की बहादुरी हमेशा हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई है। होनहार और निडर पुलिस अफसर को खोने का गम पुलिस अधिकारियों के चेहरों पर साफ दिखता है। अमन ने अपनी बहादुरी से एक मिसाल कायम की है। पहले अकेले ही दो आतंकियों को ढेर कर दिया और फिर अपने घायल साथी को बचाते हुए प्राण त्याग दिए।
डीजीपी दिलबाग सिंह ने बताया कि अमन ऑपरेशन को लीड कर रहे थे। सूचना मिली थी कि तीन से चार आतंकी छुपे हुए हैं। अमन ने अकेले ही मोर्चा संभालते हुए आतंकियों को घेर लिया। दो आतंकियों को ढेर कर दिया। इसी दौरान अमन के साथ लड़ रहा एक अन्य जवान घायल हो गया। अमन जब साथी को बचाने लगे और पीछे लाने लगे तो एक बचे आतंकी ने उनपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। इसमें अमन की शहीद हो गए।
डीजीपी ने कहा कि हालांकि उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था। अमन हमारा जांबाज और निडर पुलिस अफसर था। हमेशा ही आतंकियों से लड़ने को तैयार रहता था। दो साल तक अमन ने कुलगाम में आतंकियों के खिलाफ चले आपरेशन में कई बार कामयाबी हासिल की। जल्द ही अमन का नाम राष्ट्रपति बहादुरी पुरस्कार के लिए प्रस्तावित किया जाएगा।
...नहीं तो ज्यादा नुकसान होता
सूत्रों का कहना है कि अमन को गोली लगने के बाद आतंकी ने कुछ अन्य पुलिस कर्मियों को भी घेर लिया था। लेकिन इसके पहले सुरक्षाबलों की अतिरिक्त टुकड़ी मौके पर पहुंच गई और मोर्चा संभाल लिया। यदि कुछ देर हो जाती तो अधिक नुकसान हो सकता था।
पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों में कोई कमी नहीं
पाकिस्तान में आतंकवाद की फसल फल-फूल रही है। वर्षों से पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में धकेला जा रहा है। इसमें कोई कमी नहीं आई, लेकिन राज्य पुलिस और अन्य सुरक्षाबल आतंकवाद से निपटने में सक्षम हैं। कुछ वर्षों में कश्मीर से आतंकियों का सफाया कर दिया जाएगा। इनको ठिकाने लगाने के लिए पूरी ताकत से काम किया जा रहा है। ये बातें शहीद अमन को श्रद्धांजलि देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहीं।