एक बार फिर निर्दोष कश्मीरी पंडित आतंकियों की गोलियों का शिकार हो गया। एक मां का बेटा, पत्नी का सुहाग और बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। न तो सरकार और न ही आतंकियों का कुछ गया, सिर्फ कश्मीरी पंडित परिवार उजड़ गया।ये बातें कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में कश्मीरी पंडित पूरण कृष्ण भट की हत्या के विरोध में प्रदर्शन करते हुए कहीं। पीएम पैकेज के कर्मचारियों ने दो घंटे तक केनाल रोड जाम कर प्रदर्शन कर आरोप लगाया कि कश्मीरी पंडित कर्मियों को सुरक्षा देने में सरकार विफल रही है।
कर्मचारियों ने कहा, पूरण भट की हत्या ने एक बार फिर हमारे डर को सच साबित कर दिया है। घाटी में कश्मीरी पंडित सुरक्षित नहीं हैं। शनिवार को पीएम पैकेज के कर्मचारियों ने केनाल रोड पर प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने कहा कि छह महीने से हम जम्मू और श्रीनगर में प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी एकमात्र मांग है कि घाटी से स्थानांतरण किया जाए। घाटी में लक्षित हत्याएं बढ़ रही हैं। आतंकी संगठन योजना बनाकर कश्मीरी पंडितों व अल्पसंख्यकों की हत्याएं कर रहे हैं और सरकार का काम अब सिर्फ हमारी मौत पर संवेदना जताने तक ही समिति रह गया है।
साल 1990 से शुरू हुआ कश्मीरी पंडितों की हत्याओं का सलिसिला 2022 में भी जारी है। पूरण भट का कसूर सिर्फ इतना था कि वह कश्मीरी पंडित था। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि हमारी मांग सिर्फ स्थानांतरण की है, जिसके बिना वे काम पर नहीं लौटेंगे।
आतंकवाद कापुतला जलाकर पाकिस्तान के खिलाफ निकाली भड़ास
प्रदर्शनकारी कर्मियों ने पूरन कृष्ण भट की हत्या के विरोध में आतंकवाद का पुतला जलाकर पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की। कर्मचारी राहत आयुक्त कार्यालय से विरोध व्यक्त करते हुए कैनाल रोड पर पहुंचे और प्रदर्शन किया। इस दौरान एडीसी हरविंद्र सिंह भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कर्मचारियों से बातचीत कर उनकी मांगों का समर्थन किया। आश्वासन दिया की उनकी मुलाकात उच्च अधिकारियों से करवाएंगे। इसके बाद कर्मचारी सड़क से हटे। इस प्रदर्शन का बजरंग दल ने भी समर्थन किया।
जिस डर के कारण हम छह महीने से प्रदर्शन कर रहे थे, वह सच साबित हो गया। हम चीख-चीखकर कह रहे थे की कश्मीरी पंडित घाटी में सुरक्षित नहीं हैं, लेकिन सरकार उनकी बात को अनसुना करती रही। इसका नतीजा आज पूरन भट की हत्या से भुगतना पड़ रहा है। जब तक हमारा स्थानांतरण नहीं होगा संघर्ष जारी रहेगा।
- अरविंद रैना, कश्मीरी पंडित कर्मचारी