साहब! मेट्रो बाद में चलाइएगा पहले जलभराव से तो निजात दिलाइए। थोड़ी देर की बारिश में ही 12 से 18 घंटे तक जलभराव का सामना करना पड़ता है। ऐसे में न घर से निकल सकते हैं न ही कोई मेहमान आ पाता है। बारिश का मौसम शुरू होते ही पिछले साल का मंजर आंखों के सामने आ जाता है। बरसात के तीन-चार महीने बहुत मुश्किल से बीतते हैं।
जलभराव के कारण जब घर से निकल ही नहीं पाएंगे तो मेट्रो का सुख कैसे भोग पाएंगे। मुख्यमंत्री तो गोरखपुर को देश के अन्य विकसित शहरों की तरह बनाने में जुटे हैं। नए-नए प्रोजेक्ट भी ला रहे हैं, लेकिन अफसर शहरवासियों को न तो मूलभूत सुविधाएं दे पा रहे हैं न उनकी परेशानियों को दूर कर पा रहे हैं।
यह पीड़ा है बुद्ध विहार पार्ट ए, बी और सी के अलावा तारामंडल रोड के किनारे बने जीडीए कांप्लेक्स के दुकानदारों की। लोगों ने यह सोचकर शहर के अन्य इलाकों की तुलना में मंहगे दामों पर जीडीए की कॉलोनियों में जमीन लेकर बसना उचित समझा था कि वहां पर मूलभूत सुविधाएं बेहतर होंगी। मगर अब बहुत से लोग ऐसी कॉलोनियों में मकान बनवाकर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
तारामंडल क्षेत्र स्थित जीडीए की सभी कॉलोनियों में करोड़ों की लागत से मकान बने हैं, लेकिन बारिश के दिनों में सड़कों आदि की हालत ग्रामीण क्षेत्रों से भी ज्यादा खराब हो जाती है। आधे घंटे की बारिश में सड़कें 12 से 14 घंटे तक के लिए तालाब बन जाती हैं। ड्रेनेज सिस्टम इतना खराब है कि नालों की सफाई का भी असर नहीं पड़ रहा। बृहस्पतिवार की ही बात करें तो सुबह थोड़ी देर की बारिश में ही जो जलभराव हुआ वह देर शाम तक जस का तस बना रहा।
इन कॉलोनियों में रहते हैं 20 हजार लोग
शहर क्षेत्र में बनी जीडीए कॉलोनियों में करीब 20 हजार लोग रहते हैं। ज्यादातर आबादी बारिश में जलभराव की समस्या झेलती है।
मूलभूत सुविधाओं की तरफ कोई ध्यान नहीं
बुद्ध विहार पार्ट ए निवासी विवेक अग्रवाल ने बताया कि मूलभूत सुविधाओं की तरफ जिम्मेदारों का ध्यान ही नहीं जा रहा। जीडीए दफ्तर के ठीक सामने बुद्ध विहार पार्ट ए कॉलोनी है। प्राधिकरण के सभी अफसर रोजाना इसी कॉलोनी से होकर दफ्तर आते-जाते हैं, मगर किसी को भी जलभराव नहीं दिखता जबकि कॉलोनी के लोग परेशान हैं।