एक सफल अभिनेता के रूप में रवि किशन ने फिल्मों में कई यादगार किरदार निभाने के साथ ही राजनीति में भी अपनी खास जगह बनाई है। एक छोटे से गांव से निकलकर सुपरस्टार बनने का सफर उनके लिए बहुत मुश्किल रहा। आज हम आपको बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें। रवि किशन का नाम सुनते खुद ही फैंस के चेहरे पर खुशी छा जाती है। जब रवि किशन मुंबई गए थे तो उनके पास बस से चलने के लिए पैसे नहीं होते थे। उत्तर प्रदेश के जौनपुर के ब्राह्मण परिवार में जन्में रवि किशन शुक्ला ने बचपन में सोचा भी नहीं था कि वे फिल्मों में काम करेंगे। अब तक वे हिंदी भोजपुरी और दक्षिण भारतीय भाषाओं की 116 से ज्यादा फिल्में कर चुके हैं और सफर अभी जारी है।
रवि किशन दूसरे अभिनेताओं की तरह महज भोजपुरी सिनेमा के उत्पाद बनकर नहीं रहे बल्कि उन्होंने मुख्यधारा के हिंदी सिनेमा के एक मशहूर और समर्थ अभिनेता के रूप में नाम कमाया और कमा भी रहे हैं। रवि किशन को फिल्म 'तेरे नाम' के लिए सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया था। 2005 में आई उनकी भोजपुरी फिल्म 'कब होई गवनवा हमार' को सर्वश्रेष्ठ क्षेत्रीय फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार भी हासिल हुआ। इस तरह वे इकलौते ऐसे अभिनेता बने जिन्हें एक साथ हिंदी और भोजपुरी की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त फिल्मों का हिस्सा होने का गौरव मिला।
इतना सब कुछ पाने के लिए उन्हें जो मेहनत करनी पड़ी उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। एक इंटरव्यू में रवि किशन ने बताया था कि फिल्म न मिलने पर एक समय ऐसा आया था जब वह गलत रास्ते पर चलने वाले थे। उस वक्त उनके पिता ने उन्हें ये सब करने से रोक दिया था। एक इंटरव्यू में रवि किशन ने बताया था- ''मेरे स्ट्रगल के समय मेरी मदद किसी ने भी नहीं की...मुझे याद है मेरी बेटी पैदा हुई थी मेरे पास उसे अस्पताल से लाने तक के पैसे नहीं थे। तब मैंने ब्याज पर पैसे लेकर अपनी पत्नी और बेटी को अस्पताल से बाहर निकाला था। मेरे खेत गिरवी पड़े थे।''
वहीं एक और इंटरव्यू में रवि किशन ने बताया था- ''फिल्मों में 10-12 साल काम करने के बाद भी मुझे पैसे नहीं मिलते थे। लोग पैदल चलकर ऊपर आते हैं मैं रेंगकर ऊपर आया हूं। बचपन से जुड़े किस्से शेयर करते हुए रवि किशन बताते हैं कि जब वो रामलीला में सीता का रोल करते थे तो उनके पिता बेल्ट से उनकी पिटाई करते थे और कहते थे- तुम नचनिया क्यों बन रहे हो? उनके पिता चाहते थे कि वो कोई ऐसा काम करें जो ब्राह्मण परिवार को शोभा देती है। लेकिन उनकी मां ने उन्हें घर से भागने की सलाह दी। एक्टिंग के लिए उन्होंने 17 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया।
सबसे बुरे वक्त के बारे में बात करते हुए रवि किशन ने बताया था- मैं बारिश में भीगते हुए रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंचा था। जब मैं 7-8 घंटे की रिकॉर्डिंग कर बाहर निकला तो मैंने चेक मांगा। इस पर प्रोड्यूसर ने कहा- फिल्म में काम दे दिया ये क्या कम है...चेक मत मांगना नहीं तो रोल काट दूंगा। मैं हैरान रह गया था। मुझे जमीन छुड़ाने के लिए पैसे चाहिए थे। मैं बाइक पर बैठकर बारिश में भीगता हुआ वापस आया। आसमान में देखकर मैं खूब रोया था। उस दिन को मैं कभी नहीं भूल पाया। साल 2003 में मैंने अपनी मां के कहने पर भोजपुरी फिल्म 'सइयां हमार' की। इस फिल्म के लिए मुझे 75 हजार मिले। फिल्म सुपरहिट हो गई।