गोरखपुर जिले के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग से सेवानिवृत्त पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. आशीष घोष अपनी दिवंगत पत्नी डॉ. नंदिनी घोष के बागवानी के शौक को संरक्षित कर रहे हैं। दो साल पहले डॉ नंदिनी घोष का निधन हो गया, लेकिन डॉ. आशीष घोष आज भी आरोग्य मंदिर के सामने स्थित अपने आवास में पत्नी के बागवानी के शौक को आगे बढ़ा रहे हैं।
डॉ आशीष घोष ने बताया कि डॉ. नंदिनी घोष को पेड़-पौधों से बहुत लगाव था। 40 वर्ष तक दोनों ने मिलकर बागवानी के शौक को पूरा किया। पहले फर्टिलाइजर तो बाद में मेडिकल कॉलेज कैंपस में मिले आवास में गार्डेन बनाया। दोनों ही अपने व्यस्ततम समय में से रोजाना दो घंटे निकालकर बागवानी को देते थे। उन्होंने बताया कि दो साल पहले पत्नी का निधन हो गया, लेकिन उनके लगाए पौधे आज भी आरोग्य मंदिर के पास स्थित आवास के गार्डेन में लहलहा रहे हैं। बताया कि 1000 स्क्वायर फीट के गार्डन में बोगनवेलिया, गुड़हल, बेला, हरश्रृंगार, मीठा नीम, पॉम, तुलसी, लेमन ग्रास के मौसमी फूलों का संग्रह है।
बीना की बगिया में हरियाली बिखेरने वाले पौधों की भरमार
कार्मल इंटर कॉलेज की सेवानिवृत्त प्रवक्ता बीना श्रीवास्तव ने अपने तारामंडल स्थित आवास पर 50 स्क्वायर फीट में लॉन तैयार करने के साथ ही उसे 50 गमलों से सजाया है। वर्ष 2016 से बागवानी का शौक पूरा करने लगीं बीना ने बताया कि उनके लॉन में फूल वाले पौधे न के बराबर हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए चौड़े पत्ते एवं सदा हरियाली बिखेरने वाले पौधों का संग्रह किया है। उनके पति वीके श्रीवास्तव उत्तर प्रदेश जल निगम से अधिशासी अभियंता पद से सेवानिवृत्त हैं। बीना श्रीवास्तव ने बताया कि वह रोजाना बागवानी के लिए दो घंटे का समय निकालती हैं। उनके गार्डन में चांदनी, मोरपंखी, ड्रेसिना, आर्डेनियम, ऑरेलिया, एरिका पाम, एकजोरा, डिफनवेकिया, शमी, गुलाब और तुलसी समेत कई अन्य प्रजातियों के पौधों का संग्रह मौजूद है।
शालिनी श्रीवास्तव: बागवानी के लिए प्रयागराज से ले आए गमले
तारामंडल क्षेत्र निवासी शालिनी श्रीवास्तव को चार साल से बागवानी का शौक है। उनके पति असित श्रीवास्तव एक कंपनी के रीजनल मैनेजर हैं। शालिनी श्रीवास्तव ने बताया कि वह चार महीने पहले जब प्रयागराज से गोरखपुर शिफ्ट हुईं तो वहां से अपने 100 गमले भी साथ लेकर आईं। उनका कहना है कि बागवानी का शौक ऐसा है कि इसके बिना अधूरा-अधूरा सा लगता है। हर पौधे की निगरानी को खुद करती हैं। मकान की बालकनी और टैरेस पर लगे गमलों में गुड़हल, अल्मांडा, अपराजिता, कनेर, जैसमीन, सदाबहार, एग्जोरा, बोगनवेलिया, जेड प्लांट, स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, मोरपंखी के साथ एलोवेरा, हल्दी, तुलसी और गिलोय की कई प्रजातियों का संग्रह मौजूद है।
डॉ. वीके जायसवाल: बागवानी के लिए बनाया बड़ा मकान
जिला चिकित्सालय के चर्मरोग विभाग से ज्वाइंट डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त डॉ. वीके जायसवाल और उनकी पत्नी ऊषा जायसवाल को बागवानी का शौक बचपन से है। सेवानिवृत्ति के बाद डॉ. जायसवाल ने शहर के बीचोबीच दाउदपुर में जमीन होने के बाद भी बशारतपुर में मकान बनवाया। इसकी वजह थी कि यहां उन्हें बागवानी के लिए जगह ज्यादा मिल रही थी। मकान तैयार होने के बाद उन्होंने लॉन पर काम करना शुरू किया। आज उनके आवास में 400 स्क्वायर फीट का गार्डेन है। इसके साथ ही 150 गमलों में सजावटी, मौसमी फूल और औषधीय पौधों का संग्रह है। उनके गार्डेन में मौजूद एडेनियम, मीठी नीम, गुड़हल, साइकस, हेजेज, क्रीपर, देसी गुलाब, फीयरी रेड, कैक्टस, डहेलिया और गुलदाउदी के पौधे चार चांद लगाते हैं।