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लखनऊ। सरोजनीनगर तहसील के लेखपाल रमेश कुमार प्रजापति को एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते रंगेहाथ दबोच लिया। जमीन की वरासत कराने के लिए 15 हजार रुपये रिश्वत मांगी थी। मंगलवार को पीड़ित किसान ने 5,000 रुपये दिए जिसके बाद टीम ने उसे तुरंत दबोच लिया। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पूछताछ शुरू कर दी गई है।
सरोजनीनगर के रामचौरा गांव निवासी संतराम साहू के मुताबिक, उसके गांव में मौजूद उसकी जमीन उसके बाबा कुशहर के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। कुशहर की करीब 15 वर्ष पहले मौत हो गई थी जिसके बाद खतौनी में कुशहर के बेटे गंगा प्रसाद के नाम जमीन दर्ज होनी थी लेकिन दो साल पहले गंगा प्रसाद की भी मौत हो गई और खतौनी में गंगा प्रसाद का नाम नहीं चढ़ सका। इसको लेकर संतराम ने करीब साल भर पहले खतौनी में अपने पिता के नाम जमीन दर्ज कराने के लिए तहसील अधिकारियों से संपर्क किया। लेकिन अधिकारी उसे टहलाते रहे।
लेखपाल रमेश कुमार प्रजापति ने वरासत करने के एवज में संतराम से 15 हजार रुपये मांगे। इस पर संतराम ने लेखपाल को 10 हजार रुपये देने की बात कही। मगर लेखपाल ने 15 हजार रुपये से कम रकम लेने से मना कर दिया। बाद में परेशान होकर संतराम ने 19 फरवरी को शिकायत विजिलेंस के लखनऊ स्थित कार्यालय में की। इसके बाद एंटी करप्शन की टीम ने लेखपाल के पास संतराम को भेजा और पांच हजार रुपये रिश्वत लेते समय लेखपाल को दबोच लिया।
लखनऊ। सरोजनीनगर तहसील के लेखपाल रमेश कुमार प्रजापति को एंटी करप्शन टीम ने रिश्वत लेते रंगेहाथ दबोच लिया। जमीन की वरासत कराने के लिए 15 हजार रुपये रिश्वत मांगी थी। मंगलवार को पीड़ित किसान ने 5,000 रुपये दिए जिसके बाद टीम ने उसे तुरंत दबोच लिया। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पूछताछ शुरू कर दी गई है।
सरोजनीनगर के रामचौरा गांव निवासी संतराम साहू के मुताबिक, उसके गांव में मौजूद उसकी जमीन उसके बाबा कुशहर के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज है। कुशहर की करीब 15 वर्ष पहले मौत हो गई थी जिसके बाद खतौनी में कुशहर के बेटे गंगा प्रसाद के नाम जमीन दर्ज होनी थी लेकिन दो साल पहले गंगा प्रसाद की भी मौत हो गई और खतौनी में गंगा प्रसाद का नाम नहीं चढ़ सका। इसको लेकर संतराम ने करीब साल भर पहले खतौनी में अपने पिता के नाम जमीन दर्ज कराने के लिए तहसील अधिकारियों से संपर्क किया। लेकिन अधिकारी उसे टहलाते रहे।
लेखपाल रमेश कुमार प्रजापति ने वरासत करने के एवज में संतराम से 15 हजार रुपये मांगे। इस पर संतराम ने लेखपाल को 10 हजार रुपये देने की बात कही। मगर लेखपाल ने 15 हजार रुपये से कम रकम लेने से मना कर दिया। बाद में परेशान होकर संतराम ने 19 फरवरी को शिकायत विजिलेंस के लखनऊ स्थित कार्यालय में की। इसके बाद एंटी करप्शन की टीम ने लेखपाल के पास संतराम को भेजा और पांच हजार रुपये रिश्वत लेते समय लेखपाल को दबोच लिया।