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बंदियों ने खोली 36 क्विंटल नीबू पिलाने की पोल: कहा- जेल के अंदर चल रहा 'खेल', डीआईजी करेंगे मामले की जांच

संवाद न्यूज़ एजेंसी, बाराबंकी Published by: ishwar ashish Updated Fri, 20 May 2022 12:21 AM IST
सार

जेल में बंदियों को 36 क्विंटल नीबू पिलाने के मामले की जांच डीआईजी को सौंपी गई है। बंदियो ने मामले की पोल खोल दी और उन अफसरों के बारे में भी बताया जो जेल के अंदर वसूली करते हैं।

DIG jail will investigate in scam of lemon in Barabanki jail.
बाराबंकी जेल। - फोटो : amar ujala

विस्तार

बाराबंकी जिला जेल में नींबू खरीद का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। तीन महीने में 36 क्विंटल नींबू बंदियों को पिलाने की खबर पर डीजी जेल आनंद कुमार ने पूरे मामले की जांच डीआईजी जेल को सौंप दी है। यही नहीं, अब यहां के अलावा सभी जेलों में नींबू खरीद के मामले खंगाले जाने लगे हैं। डीआईजी मुख्यालय संजीव त्रिपाठी को इस पूरे मामले की सच्चाई के लिए बाराबंकी भेजा गया है। डीआईजी की रिपोर्ट मिलने के बाद जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।



गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को अमर उजाला ने बाराबंकी जेल में महंगे नींबू की खपत को लेकर खबर प्रकाशित की थी। बाराबंकी जेल में इस वर्ष शुरुआती तीन महीने में औसतन 40 किलो नींबू की खपत प्रतिदिन दिखाई गई, जब नींबू की कीमत आसमान छू रही थी। यानी हर दिन केवल नींबू पर आठ हजार रुपये खर्च किए गए। तीन महीनों में सात लाख रुपये से अधिक की केवल नींबू की खरीद की गई। जब नींबू की कीमत कम हुई तो जेल में इसकी खपत भी लगभग खत्म हो गई। अब इस पूरे मामले की जांच डीआईजी जेल मुख्यालय संजीव त्रिपाठी को सौंपी गई है।


जिला कारागार में नींबू खरीद में गड़बड़ी का मामला तो एक बानगी भर है। यहां तो हर तरफ अंधेरगर्दी व वसूली का खेल चल रहा है। कैंटीन में जहां दो से तीन गुना रेट पर बंदियों को सामान मिलता है, वहीं खाना भी मानक के अनुरूप नहीं दिया जाता है। इसी साल के जनवरी, फरवरी व मार्च में जेल से रिहा होने वाले कोठी, हैदरगढ़, सुबेहा व रामनगर इलाके के कुछ बंदियों ने बताया कि वे करीब एक-दो माह जेल में रहे और फरवरी के आखिरी सप्ताह में उनकी जमानत हुई।

सभी ने बताया कि उन्हें एक भी दिन नींबू नहीं दिया गया। रिहा होने वाले बंदियों ने यह भी बताया कि जेल के अंदर दो लंबरदार हैं जो बंदियों से वसूली का काम करते है। बताया जाता है कि ये लंबरदार जेल अफसरों के काफी खास हैं जिसके चलते इनसे किसी को बोलने की भी हिम्मत नहीं होती है। जेल के अंदर हाता व मोलहजा करवाने के नाम पर बंदियों का जमकर उत्पीड़न कर उनसे वसूली की जाती है। बताया कि इसके साथ ही एक बार टेलीफोन से बात कराने के नाम पर भी दो सौ रुपये तक की वसूली की जाती है। यही नहीं यदि कोई बंदी बीमार होता है तो उसका इलाज कराने में भी घोर लापरवाही बरती जाती है। ऐसे में अफसरों की जांच के बाद यहां तैनात कइयों की गर्दन भी नप सकती है।

जेल में सब्जी सप्लायर भी आएगा जद में

जिला कारागार में जिससे सब्जी व अन्य सामान खरीदा जाता है, अब इस जांच में वह भी जद में आ सकता है क्योंकि नींबू खरीद में बाकायदा बिल लगा होगा, इसके बाद ही भुगतान किया गया होगा। ऐसे में जांच अधिकारी जब प्रत्येक बिंदु की जांच करेगा तो बंदियों से लेकर कर्मचारी व अधिकारियों से भी सवाल-जवाब होना तय माना जा रहा है।

डीजी जेल आनंद कुमार का कहना है कि बाराबंकी जिला जेल में नीबू खरीद में गड़बड़ी का मामला संज्ञान में आया है। इस मामले की जांच डीआईजी स्तर के अधिकारी से कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
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