संवाद न्यूज एजेंसी
अरनिया। सुचेतगढ़ ब्लाॅक की पंचायत परलाह में माह के पहले सोमवार को मासिक बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता सरपंच शशि कुमार ने की। बैठक में पंच और विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में बिजली बिल को लेकर ग्रामीणों और बिजली विभाग के कर्मचारियों के बीच तकरार हो गई। हालांकि बाद में मामले को शांत कर लिया गया।
पंचायतों को सुदृढ़ बनाने के लिए माह के पहले सोमवार को मुख्य सचिव के आदेश के अनुसार बैठक की जाती है। बैठक में 16 विभाग के कर्मचारी पंचायत के नुमाइंदों के साथ रूबरू होते हैं। पंचायत में चल रहे कार्यों और आ रही समस्याओं का लेखा-जोखा करते हैं। सोमवार को 8 विभागों के कर्मचारी मौजूद थे, जिनमें आईसीडीएस, जल शक्ति, सिंचाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, विद्युत, पशुपालन विभाग के अधिकारी मौजूद थे। बैठक में आठ विभाग के अधिकारी मौजूद नहीं थे। इसको लेकर सरपंच और पंचों ने पंचायत सचिव के समक्ष एतराज जताया।
गांव निवासी मदनलाल ने बिजली बिल को लेकर कर्मचारियों के समक्ष समस्या रखी। इसमें बिजली विभाग और पंचायत के नुमाइंदों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। पंचायत के नुमाइंदों ने कहा कि बिजली विभाग बिल तो समय पर लेता है, लेकिन बिजली कटौती पर चुप्पी साध लेता है। बिजली विभाग का यह रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मौके पर बाकी पंचों ने बताया कि राजस्व विभाग के अधिकारियों का सबसे ज्यादा काम होता है। लोगों की ज्यादातर समस्या उसे जुड़ी हैं, लेकिन उस विभाग के कर्मचारी नहीं आते हैं, जिसके चलते समस्या बढ़ रही है। जमीन से जुड़े दस्तावेजों के मुद्दों का हल नहीं हो पा रहा है। बैठक में विभागों के शामिल हो जाने से लोगों के मुद्दे हल हो जाते हैं।
सरपंच शशी कुमार ने कहा कि खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी बैठक में एक बार भी शामिल नहीं हुए हैं। इस विभाग के प्रति लोगों की जितनी समस्याएं हैं, उनका किसी प्रकार का भी संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायत के प्रतिनिधि तो जिम्मेदारी से काम कर रहे हैं, परंतु कई विभागों की लापरवाही उनकी रफ्तार को रोक रही है।
पंच दर्शन कुंडल ने कहा कि ज्यादातर विभागों का बैठक में शामिल न होना लापरवाही दर्शाता है, जिसका खामियाजा पंचायत के नुमाइंदों को भुगतना पड़ता है। बिजली विभाग तो अपना बिल तय समय पर जमा कराने के लिए कहता है, परंतु बिजली की कटौती पर चुप्पी साध लेते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी विभाग बैठक में शामिल नहीं होते हैं, उनकी शिकायत प्रशासनिक अफसरों तक की जाएगी।