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जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में अब कक्षा आठ तक संस्कृत को वैकल्पिक विषय में शुरू करने की तैयारी है। अब तक स्कूलों में नौवीं से 12वीं तक संस्कृत की पढ़ाई होती है। स्कूल शिक्षा विभाग ने दोनों संभाग के स्कूल शिक्षा निदेशक से कक्षा नौ से 12 तक में संस्कृत विषय लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या तथा अन्य जानकारियां मांगी हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक मदन गोपाल शर्मा की ओर से शिक्षा निदेशक जम्मू व कश्मीर दोनों को अलग-अलग पत्र भेजकर कहा है कि कक्षा एक से आठवीं तक संस्कृत को वैकल्पिक तथा भाषा विषय के रूप में लागू किया जाना है।
इसके लिए ड्राफ्ट तैयार किया जाना है। विभाग ने दोनों निदेशकों से तीन बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। यह बताने को कहा गया है कि कितने हायर तथा हायर सेकेंडरी स्कूल में संस्कृत पढ़ाई जाती है। संस्कृत शिक्षकों के स्वीकृत पद तथा कितने शिक्षक कार्यरत हैं। नौवीं, 10वीं, 11वीं व 12वीं में संस्कृत विषय में पंजीकृत छात्रों की संख्या कितनी है।
इन तीन बिंदुओं पर जल्द से जल्द जानकारी देने को कहा गया है। सूत्रों ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग से पत्र मिलने के बाद शिक्षा निदेशक कार्यालय जम्मू ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) से तीन दिन के भीतर सूचनाएं भेजने को कहा है। सूत्रों ने बताया कि दोनों संभाग से सूचनाएं आने के बाद विभाग संस्कृत को कक्षा आठ तक लागू करने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
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अभिनव गुप्त संस्थान खोलने पर भी चल रहा काम
सूत्रों का कहना है कि उप राज्यपाल प्रशासन संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयासरत है। यहां अभिनव गुप्त संस्थान खोलने की भी योजना पर काम चल रहा है। जम्मू-कश्मीर को संस्कृत की जननी माना जाता है। लेकिन देश के अन्य राज्यों की तुलना में यहां इस भाषा का प्रचार प्रसार नहीं हो सका। लंबे समय से संस्कृत को स्कूली शिक्षा में शामिल करने की मांग उठती रही है।