अनुच्छेद 370 हटने के बाद नए जम्मू-कश्मीर में अगले साल पहले विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच दो साल पहले वजूद में आए गुपकार गठबंधन (पीएजीडी) में दरार बढ़ने लगी है।
गठबंधन के प्रमुख घटक नेकां और पीडीपी के बीच उठापटक शुरू हो गई है। सरकार गिरने के बाद से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती गठबंधन में भी अलग-थलग पड़ती दिख रही हैं। वह अपनी खोई जमीन को तलाशने में खामोशी से लगी हुई हैं।
प्रधानमंत्री, गृह मंत्री व उप राज्यपाल के लगातार परिसीमन के बाद विधानसभा चुनाव के संकेतों से सभी राजनीतिक दलों ने सरगर्मी बढ़ा दी। खासकर गुपकार गठबंधन में शामिल नेकां और पीडीपी अपनी गतिविधियां बढ़ाते हुए पीरपंजाल व राजोरी -पुंछ में अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं। महबूबा मुफ्ती पहले जम्मू संभाग में डटीं।
पीरपंजाल और राजोरी-पुंछ के साथ जम्मू में भी उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के अलावा जनसभाएं भी कीं। कुछ दिनों बाद नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला पीरपंजाल के दौरे पर आए। डोडा, किश्तवाड़, भद्रवाह के साथ ही रामबन में उन्होंने जनसभाएं कीं। इस दौरान उन्होंने अपने तेवर तल्ख करते हुए गुपकार गठबंधन में सहयोगी पीडीपी पर कड़ा हमला किया। 370 हटने के लिए साफ तौर पर पीडीपी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भाजपा के साथ पीडीपी की ओर से किए गए समझौते ने ही इसे हटाने की बुनियाद तैयार की।
कहा, 2015 में उन्होंने पीडीपी को सरकार बनाने के लिए बिना किसी शर्त के समर्थन देने की पेशकश की थी, लेकिन वह नहीं मानी। नतीजा सबके सामने है। उमर ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद पर भी हमला करते हुए कहा कि 370 पर कांग्रेस ने हाथ खींचे हैं, लेकिन हम पीछे नहीं हटने वाले हैं।
आजाद ने कहा था कि अनुच्छेद 370 पर बात करना फिजूल है। यह कभी वापस नहीं आएगा। बाद में आजाद ने स्पष्ट किया कि पांच अगस्त 2019 के निर्णय की खिलाफत में हम सभी एकजुट हैं। उनके बयान को कश्मीर घाटी में तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। वह जम्मू-कश्मीर का राज्य दर्जा बहाल करने और जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव करवाने की मांग करते हैं।
दिलचस्प यह है कि कश्मीर केंद्रित पार्टियों में घमासान है। नेकां, पीडीपी, अपनी पार्टी और पीपुल्स कांफ्रेंस के बीच आरोप-प्रत्यारोप के साथ ही एक दूसरे पर निशाना साधा जा रहा है। अपनी पार्टी अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी ने पीडीपी को भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की जमात बताते हुए कहा कि पीडीपी जमीन पर कहीं भी नहीं है।
महबूबा लोगों की भावनाओं को भड़काकर सियासत करना चाहती हैं। मुठभेड़ों पर बयान देने की क्या जरूरत है। पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने नेकां को निशाने पर लेते हुए कहा है कि प्रदेश को सबसे ज्यादा नुकसान इसी पार्टी ने पहुंचाया। नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला लगातार कश्मीर के लोगों से झूठ बोल रहे हैं। वहीं, पीडीपी चुप्पी साधे हुए है। पार्टी की ओर से किसी भी दल के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा गया है।
हितों का संघर्ष शुरू, सत्ता के लिए हमले और हो सकते हैं तेज
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कश्मीर केंद्रित दलों में हितों का संघर्ष शुरू हो गया है। विधानसभा चुनाव सामने दिख रहा है। ऐसे में वह अपने को मजबूत करने के लिए दूसरे दलों पर हमले कर रहे हैं। इसमें गठबंधन सहयोगी का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के डॉ. बच्चा बाबू कहते हैं कि गुपकार गठबंधन का गठन व्यापक परिप्रेक्ष्य में किया गया था।
मुख्य घटक दल नेकां, पीडीपी एवं पीपुल्स कांफ्रेंस थे, लेकिन पीपुल्स कांफ्रेंस ने डीडीसी चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर पहले ही बिदककर गठबंधन से नाता तोड़ लिया। अब नेकां एवं पीडीपी अपने-अपने आधार को मजबूत करने में अपने-अपने तरीके से जुटे हुए हैं। दरअसल उन्हें अपना भविष्य दिख रहा है। सत्ता के लिए सहयोगियों पर हमले होना लाजिमी है।
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अनुच्छेद 370 हटने के बाद नए जम्मू-कश्मीर में अगले साल पहले विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच दो साल पहले वजूद में आए गुपकार गठबंधन (पीएजीडी) में दरार बढ़ने लगी है।
गठबंधन के प्रमुख घटक नेकां और पीडीपी के बीच उठापटक शुरू हो गई है। सरकार गिरने के बाद से पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती गठबंधन में भी अलग-थलग पड़ती दिख रही हैं। वह अपनी खोई जमीन को तलाशने में खामोशी से लगी हुई हैं।
प्रधानमंत्री, गृह मंत्री व उप राज्यपाल के लगातार परिसीमन के बाद विधानसभा चुनाव के संकेतों से सभी राजनीतिक दलों ने सरगर्मी बढ़ा दी। खासकर गुपकार गठबंधन में शामिल नेकां और पीडीपी अपनी गतिविधियां बढ़ाते हुए पीरपंजाल व राजोरी -पुंछ में अपनी जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं। महबूबा मुफ्ती पहले जम्मू संभाग में डटीं।
पीरपंजाल और राजोरी-पुंछ के साथ जम्मू में भी उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के अलावा जनसभाएं भी कीं। कुछ दिनों बाद नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला पीरपंजाल के दौरे पर आए। डोडा, किश्तवाड़, भद्रवाह के साथ ही रामबन में उन्होंने जनसभाएं कीं। इस दौरान उन्होंने अपने तेवर तल्ख करते हुए गुपकार गठबंधन में सहयोगी पीडीपी पर कड़ा हमला किया। 370 हटने के लिए साफ तौर पर पीडीपी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि भाजपा के साथ पीडीपी की ओर से किए गए समझौते ने ही इसे हटाने की बुनियाद तैयार की।
कहा, 2015 में उन्होंने पीडीपी को सरकार बनाने के लिए बिना किसी शर्त के समर्थन देने की पेशकश की थी, लेकिन वह नहीं मानी। नतीजा सबके सामने है। उमर ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद पर भी हमला करते हुए कहा कि 370 पर कांग्रेस ने हाथ खींचे हैं, लेकिन हम पीछे नहीं हटने वाले हैं।
आजाद ने कहा था कि अनुच्छेद 370 पर बात करना फिजूल है। यह कभी वापस नहीं आएगा। बाद में आजाद ने स्पष्ट किया कि पांच अगस्त 2019 के निर्णय की खिलाफत में हम सभी एकजुट हैं। उनके बयान को कश्मीर घाटी में तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। वह जम्मू-कश्मीर का राज्य दर्जा बहाल करने और जल्द से जल्द विधानसभा चुनाव करवाने की मांग करते हैं।