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जम्मू कश्मीर: डेंगू को लेकर लोगों को जागरूक करने में जुटा स्वास्थ्य विभाग, लारवा स्थलों की हो रही पहचान

अमर उजाला नेटवर्क, जम्मू Published by: विमल शर्मा Updated Sat, 01 Apr 2023 01:16 AM IST
सार

कड़ाके की ठंड के बावजूद कठुआ में एक और जम्मू जिला में दो मामले मिले हैं। स्टेट मलेरियाजिस्ट डॉ. हरजीत राय का कहना है कि मच्छरों के सफाए के लिए अभी से जरूरी उपाय किए जा रहे हैं।

Health department engaged in making people aware about dengue in Jammu and Kashmir
Dengue - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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जम्मू कश्मीर में पिछले साल के डेंगू के रिकार्ड मामलों और समय को देखते हुए इस बार अभी से ही स्वास्थ्य विभाग को चिंता सताने लगी है। विभाग का दावा है कि मच्छरों के बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ इसके लिए जिम्मेदार लारवा स्थलों की पहचान की जा रही है, ताकि उसे खत्म करके मच्छरों को पनपने से रोका जाए।



हालांकि, सामान्य तौर पर यह प्रक्रिया बरसात से पहले की जाती थी। लेकिन इस साल जनवरी और फरवरी में भी डेंगू के मामले मिले हैं, जो चिंता का विषय है। जानकारी के अनुसार इस साल जनवरी में एक और फरवरी में दो डेंगू के मामले मिल चुके हैं।


कड़ाके की ठंड के बावजूद कठुआ में एक और जम्मू जिला में दो मामले मिले हैं। स्टेट मलेरियाजिस्ट डॉ. हरजीत राय का कहना है कि मच्छरों के सफाए के लिए अभी से जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

जनवरी और फरवरी में डेंगू के सीमित मामले मिलने का एक कारण कुछ स्थानों पर लारवा का सक्रिय रहना हो सकता है, जिससे डेंगू के मच्छर पैदा हुए हैं। वर्ष 2022 में जम्मू-कश्मीर में डेंगू के 30500 परीक्षण किए गए थे, जिसमें रिकार्ड 8239 लोग पॉजिटिव मिले थे।

पिछले साल आधिकारिक तौर पर 14 लोगों की डेंगू से मौत हुई थी, हालांकि अनाधिकारिक तौर पर यह आंकड़ा अधिक है। इससे पहले वर्ष 2013 में 1838 मामले और चार मौत व वर्ष 2021 में 1709 पाॅजिटिव मामले और चार मौत हुई थीं।

पिछले साल जिला जम्मू रहा सबसे अधिक प्रभावित

पिछले साल डेंगू की बात करें तो सबसे अधिक जिला जम्मू रहा है। करीब 90 प्रतिशत मामले इसी जिले से मिले थे। डेंगू से पुराने शहर का न्यू प्लाट, सुभाष नगर, पलौड़ा, रिहाड़ी, सरवाल और जानीपुर इलाका सबसे अधिक प्रभावित रहा।

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एजिला टेस्ट ही करवाना चाहिए

डेंगू के दौरान परीक्षण की नतीजों को लेकर असमंजस रहती है। इसमें खासतौर पर निजी लेबोरेटरी में आईजीजी रेपिड टेस्ट को डेंगू दर्शाया जाता है। आईजीजी टेस्ट में लंबे समय पहले का भी वायरस दर्शाता है, जबकि एलिजा टेस्ट में ताजा वायरस को दर्शाता है और इसी से डेंगू की सही पुष्टि होती है। लोगों को एलिजा टेस्ट ही करवाना चाहिए।

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