नारनौल। एसडीएम मनोज कुमार ने शनिवार को शहर में साफ-सफाई व विभिन्न सार्वजनिक शौचालयों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान नगर परिषद के 90 प्रतिशत शौचालय बंद पाए गए। 10 प्रतिशत शौचालय जो खुले हुए थे उनमें सफाई की व्यवस्था दयनीय थी। इसके अतिरिक्त शहर में सफाई व्यवस्था भी सही ना होने के कारण एसडीएम ने नाराजगी जताई। उन्होंने नगर परिषद अधिकारियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
एसडीएम मनोज कुमार ने नगर परिषद अधिकारियों को निर्देश दिए कि शहर के सभी सार्वजनिक शौचालय खुले होने चाहिए। उनमें साफ-सफाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने रेवाड़ी रोड, रेलवे रोड, बहरोड रोड, शोभा सागर तालाब, धोबी घाट, छलक नाला, सैन चौक एक्सचेंज के पीछे आदि स्थानों पर साफ सफाई का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान इन स्थानों पर साफ सफाई ना होने के कारण नाराजगी जताते हुए नगर परिषद के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जल्द से जल्द साफ सफाई कराई जाए। निरीक्षण के दौरान जहां जहां पर भी सफाई नहीं पाई गई वहां अधिकारियों व कर्मचारियों के स्पष्टीकरण मांगे गए।
उन्होंने नगर परिषद के अधिकारियों को निर्देश दिए कि समय-समय पर शहर के सभी क्षेत्रों में साफ-सफाई का औचक निरीक्षण करें। साथ ही उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि वे कूड़े को इधर उधर न फेंके। नगर परिषद की गाड़ी प्रतिदिन सुबह घर के आगे से निकलती है कूड़ा कचरा उसी गाड़ी में डालें। ताकि शहर साफ सुथरा रह सके। उन्होंने कहा कि कूड़ा कचरा इधर-उधर डालने से शहर में गंदगी तो फैलती ही है साथ में विभिन्न प्रकार की बीमारियां फैलने का भी डर रहता है।
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बाक्स
दुकानदार खुले में शौच जाने को मजबूर
नगर परिषद नारनौल में आमजन की सुविधा के लिए सार्वजनिक शौचालय बनाया गया है, लेकिन नियमित सफाई नहीं होने से शौचालय की हालत दयनीय बनी हुई है। जिससे दुकानदारों और ग्राहकों को खुले में शौच जाना पड़ता है। जबकि उक्त शौचालय का प्रयोग प्रतिदिन आसपास के दुकानदार के साथ नगर परिषद में आने वाले सैकड़ों लोग करते हैं। इसमें आती दुर्गंध व फैली गंदगी के चलते अनेक लोग इसके पास जाते ही वापस मुड़ जाते है। वहीं शौचालयों के दयनीय हालत के चलते सबसे अधिक परेशानी बाजार में खरीददारी आदि के लिए आने वाली महिलाओं को होती है क्योंकि एक तो शौचालयों में फैली गंदगी व दूसरी उनके दरवाजे न होना।
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बाक्स:
मार्च माह में हो चुका स्वच्छता सर्वेक्षण
शहर का स्वच्छता सर्वेक्षण मार्च माह के अंत में हुआ था। स्वच्छता सर्वेक्षण में शौचालयों की सफाई तथा ठीक रखने पर 450 अंक मिलते हैं। ये अंक स्वच्छता रैकिंग में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वर्तमान में शौचालय की हालात देखकर नहीं लगता कि नप को 450 में ज्यादा अंक मिलेंगे। इसके अलावा मार्च माह में ही ओडीएफ प्लस का निरीक्षण हुआ था। बाहर से आई टीम ने शहर के शौचालयों का निरीक्षण किया था, अभी उसका परिणाम भी आना बाकी है।
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नारनौल। एसडीएम मनोज कुमार ने शनिवार को शहर में साफ-सफाई व विभिन्न सार्वजनिक शौचालयों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान नगर परिषद के 90 प्रतिशत शौचालय बंद पाए गए। 10 प्रतिशत शौचालय जो खुले हुए थे उनमें सफाई की व्यवस्था दयनीय थी। इसके अतिरिक्त शहर में सफाई व्यवस्था भी सही ना होने के कारण एसडीएम ने नाराजगी जताई। उन्होंने नगर परिषद अधिकारियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
एसडीएम मनोज कुमार ने नगर परिषद अधिकारियों को निर्देश दिए कि शहर के सभी सार्वजनिक शौचालय खुले होने चाहिए। उनमें साफ-सफाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इसके बाद उन्होंने रेवाड़ी रोड, रेलवे रोड, बहरोड रोड, शोभा सागर तालाब, धोबी घाट, छलक नाला, सैन चौक एक्सचेंज के पीछे आदि स्थानों पर साफ सफाई का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान इन स्थानों पर साफ सफाई ना होने के कारण नाराजगी जताते हुए नगर परिषद के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जल्द से जल्द साफ सफाई कराई जाए। निरीक्षण के दौरान जहां जहां पर भी सफाई नहीं पाई गई वहां अधिकारियों व कर्मचारियों के स्पष्टीकरण मांगे गए।
उन्होंने नगर परिषद के अधिकारियों को निर्देश दिए कि समय-समय पर शहर के सभी क्षेत्रों में साफ-सफाई का औचक निरीक्षण करें। साथ ही उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि वे कूड़े को इधर उधर न फेंके। नगर परिषद की गाड़ी प्रतिदिन सुबह घर के आगे से निकलती है कूड़ा कचरा उसी गाड़ी में डालें। ताकि शहर साफ सुथरा रह सके। उन्होंने कहा कि कूड़ा कचरा इधर-उधर डालने से शहर में गंदगी तो फैलती ही है साथ में विभिन्न प्रकार की बीमारियां फैलने का भी डर रहता है।
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दुकानदार खुले में शौच जाने को मजबूर
नगर परिषद नारनौल में आमजन की सुविधा के लिए सार्वजनिक शौचालय बनाया गया है, लेकिन नियमित सफाई नहीं होने से शौचालय की हालत दयनीय बनी हुई है। जिससे दुकानदारों और ग्राहकों को खुले में शौच जाना पड़ता है। जबकि उक्त शौचालय का प्रयोग प्रतिदिन आसपास के दुकानदार के साथ नगर परिषद में आने वाले सैकड़ों लोग करते हैं। इसमें आती दुर्गंध व फैली गंदगी के चलते अनेक लोग इसके पास जाते ही वापस मुड़ जाते है। वहीं शौचालयों के दयनीय हालत के चलते सबसे अधिक परेशानी बाजार में खरीददारी आदि के लिए आने वाली महिलाओं को होती है क्योंकि एक तो शौचालयों में फैली गंदगी व दूसरी उनके दरवाजे न होना।
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मार्च माह में हो चुका स्वच्छता सर्वेक्षण
शहर का स्वच्छता सर्वेक्षण मार्च माह के अंत में हुआ था। स्वच्छता सर्वेक्षण में शौचालयों की सफाई तथा ठीक रखने पर 450 अंक मिलते हैं। ये अंक स्वच्छता रैकिंग में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वर्तमान में शौचालय की हालात देखकर नहीं लगता कि नप को 450 में ज्यादा अंक मिलेंगे। इसके अलावा मार्च माह में ही ओडीएफ प्लस का निरीक्षण हुआ था। बाहर से आई टीम ने शहर के शौचालयों का निरीक्षण किया था, अभी उसका परिणाम भी आना बाकी है।
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