मौजूदा दौर में कृषि अध्यादेशों को लेकर देश की सियासत गर्म है, वहीं धान खरीद शुरू होेने में सप्ताहभर शेष है लेकिन अभी तक खरीद नीति घोषित नहीं हो सकी है। किसान संगठनों से लेकर आढ़ती, राइस मिलर्स तक आंदोलन कर रहे हैं, ऐसे में अन्नदाता को पुराने सियासतदार याद आ रहे हैं। चौधरी देवी लाल हों अथवा चौधरी भजन लाल। प्रकाश सिंह बादल हों या चौधरी चरण सिंह। किसानों का कहना है कि पहले जब भी फसल खेत में पकती थी या कोई और समस्या आती थी तो ये राजनीतिज्ञ इन समस्याओं को लेकर दिल्ली पहुंच जाते थे और उनका समाधान भी हो जाता था।
आज हर कोई किसानों के हक की लड़ाई लड़ने की बात तो कर रहा लेकिन सूबे की मंडियों में पिछले 15 दिन से रोजाना करीब 10 से 15 हजार क्विंटल धान की आवक हो रही है, जिसे 1888 के स्थान पर 1200 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा है। किसानों को सीधे 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है, उसकी बात कोई नहीं कर रहा है। चक्का जाम से लेकर मंडियों की हड़ताल तक, कई मुद्दे उठे लेकिन इसमें 15 सितंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू कराने का मुद्दा गायब था।
किसानों का कहना है कि केंद्र हो या राज्य सरकारें, सभी जल बचत की बात करती हैं, कम समय में पकने वाली प्रजातियों का उत्पादन करने की बात करती हैं लेकिन जब कम समय में कोई फसल तैयार होती है तो उसे बाजार देना भूल जाती हैं। 1509 की प्रजाति तो कम समय में पकती ही है लेकिन बासमती कहलाने वाली पीआर-126 की प्रजाति 126 दिनों में पक जाती है। इसके चावल लंबे और पतले होते हैं। इसकी औसत पैदावार करीब 30 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह प्रजाति इस बार भी 15 सितंबर से पहले ही मंडियों में पहुंचने लगी थी। इन दिनों मंडियों में इसकी आवक करीब 15 हजार क्विंटल प्रतिदिन है।
-हैरानी है कि किसानों की वास्तविक परेशानी कोई नहीं देख रहा। चौधरी देवी लाल, चौधरी चरण सिंह जैसे पुराने नेता, सरकार चाहे किसी भी दल की हो, जब किसान की फसल बिकती थी तो वे यह समस्या लेकर दिल्ली पहुंच जाते थे, उनके कहने पर कई बार 21 से भी खरीद शुरू हुई है। अब शीघ्र पकने वाली प्रजाति उत्पादित हो रही है तो धान की खरीद 15 सितंबर से शुरू होनी ही चाहिए।
-ईलम सिंह, प्रगतिशील किसान/पूर्व चेयरमैन-मार्केट कमेटी कुंजपुरा
खेतों में धान की फसल पक गई है, कटाई भी शुरू हो गई हैं, आज मंडी में धान लेकर आए हैं, लेकिन सरकार ने खरीद शुरू नहीं की तो फिर क्यों कम दिनों में फसल उत्पादन करने को कहा जा रहा है। मंडी में आज पूसा बासमती धान को 1400 रुपये में बेचना पड़ा है। जिसमें लागत भी नहीं निकल रही है, आखिर यह घाटा कौन पूरा करेगा। इस पर कोई नहीं बोल रहा है।
-कर्मवीर सिंह, किसान महमूदपुर
मौजूदा दौर में कृषि अध्यादेशों को लेकर देश की सियासत गर्म है, वहीं धान खरीद शुरू होेने में सप्ताहभर शेष है लेकिन अभी तक खरीद नीति घोषित नहीं हो सकी है। किसान संगठनों से लेकर आढ़ती, राइस मिलर्स तक आंदोलन कर रहे हैं, ऐसे में अन्नदाता को पुराने सियासतदार याद आ रहे हैं। चौधरी देवी लाल हों अथवा चौधरी भजन लाल। प्रकाश सिंह बादल हों या चौधरी चरण सिंह। किसानों का कहना है कि पहले जब भी फसल खेत में पकती थी या कोई और समस्या आती थी तो ये राजनीतिज्ञ इन समस्याओं को लेकर दिल्ली पहुंच जाते थे और उनका समाधान भी हो जाता था।
आज हर कोई किसानों के हक की लड़ाई लड़ने की बात तो कर रहा लेकिन सूबे की मंडियों में पिछले 15 दिन से रोजाना करीब 10 से 15 हजार क्विंटल धान की आवक हो रही है, जिसे 1888 के स्थान पर 1200 से 1400 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जा रहा है। किसानों को सीधे 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हो रहा है, उसकी बात कोई नहीं कर रहा है। चक्का जाम से लेकर मंडियों की हड़ताल तक, कई मुद्दे उठे लेकिन इसमें 15 सितंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू कराने का मुद्दा गायब था।
किसानों का कहना है कि केंद्र हो या राज्य सरकारें, सभी जल बचत की बात करती हैं, कम समय में पकने वाली प्रजातियों का उत्पादन करने की बात करती हैं लेकिन जब कम समय में कोई फसल तैयार होती है तो उसे बाजार देना भूल जाती हैं। 1509 की प्रजाति तो कम समय में पकती ही है लेकिन बासमती कहलाने वाली पीआर-126 की प्रजाति 126 दिनों में पक जाती है। इसके चावल लंबे और पतले होते हैं। इसकी औसत पैदावार करीब 30 क्विंटल प्रति एकड़ होती है। यह प्रजाति इस बार भी 15 सितंबर से पहले ही मंडियों में पहुंचने लगी थी। इन दिनों मंडियों में इसकी आवक करीब 15 हजार क्विंटल प्रतिदिन है।
-हैरानी है कि किसानों की वास्तविक परेशानी कोई नहीं देख रहा। चौधरी देवी लाल, चौधरी चरण सिंह जैसे पुराने नेता, सरकार चाहे किसी भी दल की हो, जब किसान की फसल बिकती थी तो वे यह समस्या लेकर दिल्ली पहुंच जाते थे, उनके कहने पर कई बार 21 से भी खरीद शुरू हुई है। अब शीघ्र पकने वाली प्रजाति उत्पादित हो रही है तो धान की खरीद 15 सितंबर से शुरू होनी ही चाहिए।
-ईलम सिंह, प्रगतिशील किसान/पूर्व चेयरमैन-मार्केट कमेटी कुंजपुरा
खेतों में धान की फसल पक गई है, कटाई भी शुरू हो गई हैं, आज मंडी में धान लेकर आए हैं, लेकिन सरकार ने खरीद शुरू नहीं की तो फिर क्यों कम दिनों में फसल उत्पादन करने को कहा जा रहा है। मंडी में आज पूसा बासमती धान को 1400 रुपये में बेचना पड़ा है। जिसमें लागत भी नहीं निकल रही है, आखिर यह घाटा कौन पूरा करेगा। इस पर कोई नहीं बोल रहा है।
-कर्मवीर सिंह, किसान महमूदपुर