अमर उजाला ब्यूरो
भिवानी। आधे शहर की सफाई का दिया गया ठेका खत्म हो चुका है। ऐसे में आधे शहर में सफाई व्यवस्था ठप सी हो गई है। अब नगर परिषद ने बाकी आधे शहर को संभालने वाले नप कर्मचारियों में से 30 कर्मचारी इस आधे हिस्से में लगाए हैं। इससे शहर की सफाई व्यवस्था गड़बड़ा गई है। हालात ये हैं कि शहर में अनेक जगह कचरे के ढ़ेर लगे हैं। नप अधिकारियों की टेंशन इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अगले महीने स्वच्छता सर्वे भी होना है। इसी बाबत बुधवार को सीटीएम की अध्यक्षता में नप अधिकारियों की बैठक हुई जिसमें आधे शहर की सफाई का फिर से ठेका देने पर विचार विमर्श किया गया। मगर इसकी टेंडर प्रक्रिया में महीनेभर का समय लग सकता है और ऐसे में स्वच्छता सर्वें में रैंकिंग सुधारना नप अधिकारियों के लिए आसान नहीं है।
नगर परिषद में सफाई कर्मचारियों की कमी है। फिलहाल 162 नियमित और करीब 156 अनुबंधित सफाई कर्मचारी हैं। कर्मचारियों की कमी को देखते हुए नगर परिषद ने पिछले वर्ष बस स्टैंड से रेलवे स्टेशन तक विद्या नगर, आदर्श नगर, पटेल नगर, विकास नगर आदि की सफाई का ठेका दिया था। ठेका अब 30 अगस्त को समाप्त हो चुका है और ठेकेदार के कारिंदों ने काम करना छोड़ दिया है।
इसका सीधा असर शहर की सफाई व्यवस्था पर पड़ा और जगह-जगह कचरे के ढ़ेर लग गए हैं। व्यवस्था बिगड़ी तो नगर परिषद ने बाकी आधे शहर की सफाई का जिम्मा संभाल रहे नियमित और अनुबंधित कर्मचारियों में से करीब 30 की जिम्मेवारी इस आधे शहर के लिए लगा दी। 30 कर्मचारी और आधा शहर की सफाई व्यवस्था हो तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है स्थिति कैसी होगी। इतना ही नहीं जिस जगह ये कर्मचारी ड्यूटी कर रहे थे वहां भी व्यवस्था गड़बड़ा गई है।
अधिकारियों ने किया मंथन
सीटीएम महेश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को नगर परिषद अधिकारियों की बैठक हुई जिसमें शहर की सफाई व्यवस्था पर विचार विमर्श किया गया। बैठक में दोबारा आधे शहर की सफाई का ठेका देने का निर्णय लिया गया और जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की हिदायत दी गई। मगर इस कार्य में करीब महीनेभर का समय लग जाएगा। ऐसे में शहर की सफाई व्यवस्था स्वच्छता सर्वे तक दुरुस्त हो पाएगी यह कहना मुश्किल है।
50 कर्मचारी, 20 ऑटो और 50 रेहड़ी मिले तो बने व्यवस्था
नगर परिषद में कर्मचारियों के साथ-साथ उपकरणों की भी कमी है। फिलहाल की बात की जाए तो सात ही टैंपों से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का काम हो रहा है जो शहर के लिए नाकाफी है। नप की ओर से 10 और टैंपों के लिए चंडीगढ़ कार्यालय में प्रपोजल भेजा हुआ है मगर शहर की आबादी को देखते हुए 20 ऑटो और चाहिए। इसके अलावा नगर परिषद के अन्य उपकरण लोडर, जेसीबी भी खस्ता हालत में है। अभी जेसीबी को ठीक करवाया है। पिदले दो-तीन दिन यह खराब रही। इसके अलावा कचरा उठाने का उपकरण भी खराब था। शहर की आबादी को देखते हुए कम से कम 50 और सफाई कर्मचारियों की आवश्यकता है। इसके अलावा सभी सफाई कर्मचारियों के पास हाथ रेहड़ी भी नहीं है जोकि एक समस्या है।
अगले महीने होना है सर्वे
स्वच्छता सर्वे अगले महीने होना है। पहली बार हुए सर्वे में भिवानी सबसे गंदे शहरों की सूची में चौथे नंबर पर था। पिछले वर्ष स्थिति में कुछ सुधार हुआ और 238वां स्थान मिला। उस समय लगातार दो महीने तक नप कर्मचारियों ने मेहनत की थी। मगर अब की स्थिति को देखते हुए रैंकिंग सुधरने की उम्मीद कम है। हालांकि नप अधिकारी टॉप 100 में स्थान बनाने की तैयारी कर रहे हैं। स्वच्छता सर्वे इस बार पांच हजार अंकों के आधार पर होगा जिसमें एक हजार अंक ऑडिट टीम के होंगे। जो यह तय करेगी सर्वे करने वाली टीम ने सर्वे ठीक किया है या नहीं। इसके अलावा चार हजार अंक स्वच्छता, रात को सफाई होती है या नहीं, डंप प्वाइंट, शहर के शौचालयों की स्थिति, जागरूकता के प्रयासों के आधार पर होंगे।
वर्जन:::
आधे शहर की सफाई का दिया गया ठेका खत्म हो चुका है। बुधवार को सीटीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक में दोबारा से ठेका देने पर विचार किया है। जल्द ही इसका टेंडर छोड़ा जाएगा। अगले महीने स्वच्छता सर्वे होना है और उम्मीद है कि तब तक सफाई व्यवस्था बेहतर होगी।
-राजेश महता, सचिव नगर परिषद