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गोरखपुर में लाखों का खेल: गोलघर में जाम, नो वेंडिंग जोन में फड़ लगाने का चढ़ावा सौ रुपये और एक नारियल

अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Sat, 01 Apr 2023 10:55 AM IST
सार

गोलघर में 50 से ज्यादा गन्ना जूस, ककड़ी-खीरा और फल के ठेले वाले भी हैं, जो घूमते रहते हैं। जाम की स्थिति होने पर, पुलिस वाले दिखावे के लिए डंडा घुमाने लगते हैं। ठेले वाले भी स्थान बदलकर खड़े हो जाते हैं।

No vending zone handed over to street vendors for 50 to 100 rupees
गोलघर में रोड पर लगी दुकाने एवं खड़ी गाड़ियां। - फोटो : अमर उजाला।

विस्तार
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गोरखपुर शहर का दिल कहे जाने वाले गोलघर को 50 से सौ रूपये रोजाना में फड़-रेहड़ी वालों के हवाले किया जा रहा है। जबकि यह इलाका नो वेडिंग जोन घोषित है। फड़-रेहड़ी वालों से दोहरी वसूली होती है। दुकान के सामने फड़ लगाने की कीमत कुछ दुकानदार रोजाना वसूलते हैं और पुलिस वाले अलग वसूली करते हैं। एक ठेले से 50 से 100 रुपये लिए जाते हैं। अगर नारियल पानी का ठेला है तो 100 रुपये के साथ एक नारियल भी।



गोलघर में कलक्ट्रेट से बलदेव प्लाजा तक ही 50 से ज्यादा ठेले व फड़ लगते हैं। अगर गोलघर से जाने वाली अन्य सड़कों को शामिल करें तो यह संख्या 300 से ज्यादा हो जाती है। इस हिसाब से 10 से 12 लाख रुपये हर महीने का वसूली खेल है। यही कारण है कि अतिक्रमण हटाने के लिए बने सारे नियम-कानून की धज्जियां उड़ रही हैं।


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नजरों में न खटके इसलिए खिसकाते रहते हैं ठेला
गोलघर में 50 से ज्यादा गन्ना जूस, ककड़ी-खीरा और फल के ठेले वाले भी हैं, जो घूमते रहते हैं। जाम की स्थिति होने पर, पुलिस वाले दिखावे के लिए डंडा घुमाने लगते हैं। ठेले वाले भी स्थान बदलकर खड़े हो जाते हैं। जिन दुकानों के सामने फड़ लगते हैं, किसी की क्या मजाल वहां ठेले लगा दे। फड़ लगाने वाले से पहले दुकानदार ही उन्हें हटाने के लिए दौड़ पड़ते हैं। वहीं, बाटा की दुकान के सामने मोची फड़ लगाते हैं। उनके चलते फुटपाथ घिरा रहता है।
 

अपाची दस्ता तो फल ही मुफ्त ले जाता है

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शास्त्री चौक पर यातायात पुलिसकर्मियों के सामने चौराहे पर खड़े है भारी संख्या में ऑटो। - फोटो : अमर उजाला।
अतिक्रमण की वजह ये ठेले व फड़ वाले हैं और वसूली के इस खेल में पिसती जनता है। गोलघर में नारियल पानी का ठेला लगाने वाले ने बताया कि वह जिस दुकान के सामने ठेला लगा रहा है, दुकानदार को रोजाना 100 रुपये व एक नारियल देता है। पुलिस के लोग अलग से 50 से सौ रूपये वसूलते हैं। वहीं, फल की दुकान वाले ने बताया कि अपाची दस्ता वाले बाइक से आते हैं, जैसी दुकान है, उस तरह का सुविधा शुल्क लेते हैं। मेरी दुकान तो नाले से पीछे है लेकिन, मेरे यहां आकर भी मुफ्त में फल ले लेते हैं।

शाम को सादा कपड़ों में वसूली करने आता है सिपाही
गोलघर के एक दुकानदार का कहना है कि उनकी दुकान के सामने ठेले लगाकर एक युवक बैग बेचता है। कई बार ठेला हटाने की मांग कर चुका हूं, लेकिन पुलिस वाले सुनते ही नहीं है। शाम को रोजाना सादा कपड़ों में एक सिपाही आकर वसूली करता है।

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कलक्ट्रेट से बलदेवा प्लाजा तक ठेले-फड़ की संख्या
बैग वाले ठेले व फड़ : 11
नारियल पानी के ठेले : 09
चाट-मोमो, पानी-बताशा : 08
कवर के फड़ : 12
आइसक्रीम, फालूदा : 06
डोसा : 02
 

अवैध वसूली का मुद्दा उठाया था

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गोलघर में रोड पर लगी दुकाने एवं खड़ी गाड़ियां। - फोटो : अमर उजाला।
गोलघर व्यापार मंडल अध्यक्ष अभिषेक शाही ने कहा कि व्यापार बंधु की बैठक 21 मार्च 2023 को हुई थी, जिसमें मैंने अधिकारियों के सामने सुविधा शुल्क लेकर ठेले-फड़ लगवाने का मुद्दा उठाया था। यह भी कहा था कि पुलिस की वसूली रोजाना होती है। इसे बंद करा दें और अभियान चलाएं तो सड़क से अतिक्रमण साफ हो जाएगा। लेकिन, किसी ने ध्यान ही नहीं दिया।

सब पुलिस की शह पर हो रहा
गणेश लेदर से कार्तिक तिवारी ने कहा कि सड़क पर नारियल पानी और मोमो की दुकानें लग जाती हैं। इससे सड़क पर जाम लग जाता है। इन दुकानों को सख्ती के साथ हटाया जाए। जब दुकानदारी का समय रहता है तो ठेले लग जाते हैं। इन सब पर पुलिस का शह है। यह अतिक्रमण हटना चाहिए।

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अधिकारियों से कहा, कोई सुनवाई नहीं हुई
लवली गिफ्ट से मनीष विश्वकर्मा ने कहा कि बर्फ बेचने वाले मेरे दुकान के सामने ठेला लगाना शुरू किए। ट्रैफिक पुलिस व नगर निगम के अधिकारियों से कहा तो कोई सुनवाई नहीं हुई। फिर मैंने खुद ही सख्ती के साथ हटवा दिया। अगर ठेले व फड़ वालों को कहीं और जगह देकर शिफ्ट कर दिया जाए तो सड़क बहुत चौड़ी हो जाएगी।

सख्ती से अभियान कभी नहीं चलता
विजय इलेक्ट्रानिक्स से राजेश चंद कौशिक ने कहा कि व्यापारी वर्ग ठेले-फड़ वालों ने लगने से बहुत ही परेशान हैं। इनकी वजह से लोग दुकान के सामने बाइक खड़ा कर देते हैं। इन्हें हटाने के लिए सख्ती से अभियान कभी नहीं चलता है। बिना पुलिस की शह के से दुकानें लग ही नहीं सकती है।

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