सेशन जज संदीप सिंह बाजवा की अदालत ने चौकमुनी सामूहिक आत्महत्या कांड में पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह को आठ वर्ष की सजा सुनाई है।
इसके साथ इस हरदीप सिंह व उसके परिवार को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले चार रिश्तेदारों मोहिंदर सिंह (ताऊ), परमिंदर सिंह (ताऊ का दामाद), सबरीन कौर (ताऊ की बहू) और परमिंदर कौर (ताऊ की बेटी) को भी आठ-आठ वर्ष की सजा सुनाई गई है। इस मामले में सुबूतों को नष्ट करने के आरोपी डीएसपी हरदेव सिंह को चार साल की सजा सुनाई गई है।
अदालत ने कुलतार सिंह पर 23 हजार व हरदेव सिंह पर 20 हजार का जुर्माना भी लगाया है। चौकमुनी इलाके में 31 अक्तूबर 2004 उस समय सनसनी फैल गई थी जब लोगों को जानकारी मिली कि केसर व्यापारी हरदीप सिंह ने अपने पत्नी, मां, बेटे और बेटी सहित जहर खाकर आत्महत्या कर ली है।
आत्महत्या से पहले हरदीप व उसकी पत्नी ने कमरे की दीवारों पर लिखकर बताया था किस प्रकार ताऊ, उसके परिवार के सदस्यों और पुलिस अधिकारी कुलतार सिंह ने उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया है। यही सुबूत कुलतार और हरदीप के रिश्तेदारों को जेल की सलाखों तक ले गए। कुलतार सिंह पर हरदीप सिंह की पत्नी के साथ दुष्कर्म करने का भी आरोप था।
चौकमुनी सामूहिक आत्महत्या कांड में पूर्व डीआईजी समेत पांच को आठ वर्ष की सजा पर पंजाब मानव अधिकार संगठन ने नाखुशी जताई है। संगठन के सदस्य सरबजीत सिंह का कहना है कि वह इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाएंगे। वकील परमिंदर सिंह सेठी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पुलिस वालों ने सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाई थीं। इस पर यह सजा बेहद कम है। इसे बढ़ाने के लिए वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
यह था मामला
पारिवारिक झगड़े के दौरान केसर व्यापारी हरदीप सिंह के हाथों पिता की हत्या हो गई। घर में हुई हत्या के बाद हरदीप ने रात के समय पिता की लाश को एक बोर में बंद कर उसे नहर के नजदीक फेंकने की योजना बनाई। जब वह घर से पिता की लाश निकल रहा था तो ताऊ मोहिंदर सिंह व परिवार के अन्य सदस्यों ने हरदीप को देख लिया। हरदीप पिता की लाश नहर के नजदीक फेंक आया, लेकिन घर आते ही ताऊ व अन्य सदस्यों ने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।
उन्होंने हरदीप को ब्लैकमेल कर लाखों की राशि हड़पी थी। बाद में इन्हीं रिश्तेदारों ने इसकी सूचना एसएसपी को दी थी। इसी दौरान पुलिस ने नहर किनारे लाश बरामद की। तत्कालीन एसएसपी कुलतार सिंह ने मामले को रफा दफा करने के लिए पहले पांच लाख की मांग की। जब यह राशि मिल गई तो फिर दस लाख की राशि मांगनी शुरू कर दी। इस राशि को देने के लिए हरदीप सिंह अपनी पत्नी को भी साथ ले गया।
एसएसपी ने एक साजिश के अंतर्गत हरदीप को दफ्तर से बाहर भेज कर उससे दुष्कर्म किया। कुलतार ने हरदीप व उसकी पत्नी को धमकी भी दी अगर उसके आदेश नहीं माने गए तो वह इस केस में दोनों को फंसा देगा। इसी से आहत होकर हरदीप सिंह ने परिवार सहित आत्महत्या जैसा कदम उठाया। ताऊ के परिवार ने हरदीप से वसूली की।
सेशन जज संदीप सिंह बाजवा की अदालत ने चौकमुनी सामूहिक आत्महत्या कांड में पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह को आठ वर्ष की सजा सुनाई है।
इसके साथ इस हरदीप सिंह व उसके परिवार को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले चार रिश्तेदारों मोहिंदर सिंह (ताऊ), परमिंदर सिंह (ताऊ का दामाद), सबरीन कौर (ताऊ की बहू) और परमिंदर कौर (ताऊ की बेटी) को भी आठ-आठ वर्ष की सजा सुनाई गई है। इस मामले में सुबूतों को नष्ट करने के आरोपी डीएसपी हरदेव सिंह को चार साल की सजा सुनाई गई है।
अदालत ने कुलतार सिंह पर 23 हजार व हरदेव सिंह पर 20 हजार का जुर्माना भी लगाया है। चौकमुनी इलाके में 31 अक्तूबर 2004 उस समय सनसनी फैल गई थी जब लोगों को जानकारी मिली कि केसर व्यापारी हरदीप सिंह ने अपने पत्नी, मां, बेटे और बेटी सहित जहर खाकर आत्महत्या कर ली है।
आत्महत्या से पहले हरदीप व उसकी पत्नी ने कमरे की दीवारों पर लिखकर बताया था किस प्रकार ताऊ, उसके परिवार के सदस्यों और पुलिस अधिकारी कुलतार सिंह ने उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया है। यही सुबूत कुलतार और हरदीप के रिश्तेदारों को जेल की सलाखों तक ले गए। कुलतार सिंह पर हरदीप सिंह की पत्नी के साथ दुष्कर्म करने का भी आरोप था।
‘कम सजा मिली, मामला हाईकोर्ट ले जाएंगे’
चौकमुनी सामूहिक आत्महत्या कांड में पूर्व डीआईजी समेत पांच को आठ वर्ष की सजा पर पंजाब मानव अधिकार संगठन ने नाखुशी जताई है। संगठन के सदस्य सरबजीत सिंह का कहना है कि वह इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाएंगे। वकील परमिंदर सिंह सेठी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पुलिस वालों ने सरेआम कानून की धज्जियां उड़ाई थीं। इस पर यह सजा बेहद कम है। इसे बढ़ाने के लिए वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
यह था मामला
पारिवारिक झगड़े के दौरान केसर व्यापारी हरदीप सिंह के हाथों पिता की हत्या हो गई। घर में हुई हत्या के बाद हरदीप ने रात के समय पिता की लाश को एक बोर में बंद कर उसे नहर के नजदीक फेंकने की योजना बनाई। जब वह घर से पिता की लाश निकल रहा था तो ताऊ मोहिंदर सिंह व परिवार के अन्य सदस्यों ने हरदीप को देख लिया। हरदीप पिता की लाश नहर के नजदीक फेंक आया, लेकिन घर आते ही ताऊ व अन्य सदस्यों ने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया।
उन्होंने हरदीप को ब्लैकमेल कर लाखों की राशि हड़पी थी। बाद में इन्हीं रिश्तेदारों ने इसकी सूचना एसएसपी को दी थी। इसी दौरान पुलिस ने नहर किनारे लाश बरामद की। तत्कालीन एसएसपी कुलतार सिंह ने मामले को रफा दफा करने के लिए पहले पांच लाख की मांग की। जब यह राशि मिल गई तो फिर दस लाख की राशि मांगनी शुरू कर दी। इस राशि को देने के लिए हरदीप सिंह अपनी पत्नी को भी साथ ले गया।
एसएसपी ने एक साजिश के अंतर्गत हरदीप को दफ्तर से बाहर भेज कर उससे दुष्कर्म किया। कुलतार ने हरदीप व उसकी पत्नी को धमकी भी दी अगर उसके आदेश नहीं माने गए तो वह इस केस में दोनों को फंसा देगा। इसी से आहत होकर हरदीप सिंह ने परिवार सहित आत्महत्या जैसा कदम उठाया। ताऊ के परिवार ने हरदीप से वसूली की।