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सरकारी कर्मचारियों में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने और सरकारी कामकाज में और ज्यादा पारदर्शिता लाने के मकसद से पंजाब कैबिनेट ने बुधवार को एक बहु सदस्यीय सतर्कता आयोग की स्थापना को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री ने 2006 में ऐसा ही एक आयोग कायम करने का रास्ता साफ किया था, जिसे अकालियों ने 2007 में सत्ता संभालने के बाद भंग कर दिया था।
सरकारी प्रवक्ता ने कैबिनेट मीटिंग के बाद बताया कि पंजाब राज्य सतर्कता आयोग आर्डिनेंस, 2020 में आयोग की एक स्वतंत्र संस्था के तौर पर स्थापना का प्रस्ताव है। इससे विजिलेंस ब्यूरो और राज्य सरकार के सभी विभागों के कामकाज पर असरदार ढंग से निगरानी रखी जा सकेगी।
आयोग में एक चेयरमैन और दो सदस्य होंगे, जिनका कार्यकाल पांच साल का होगा। कैबिनेट ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कानूनी सलाहकार की तरफ से इस आर्डिनेंस का प्रारूप तैयार किए जाने के बाद इसमें किसी भी बदलाव के अधिकार दे दिए हैं।
पंजाब राज्य सतर्कता आयोग, विजिलेंस ब्यूरो द्वारा की गई जांच और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के पास लंबित पड़ी कार्रवाई की मंजूरी वाले मामलों पर निगरानी करेगा। सतर्कता आयोग की तरफ से राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और विजिलेंस के मामलों में चल रही जांच संबंधी सलाह दी जाएगी।
इसे यह भी अधिकार दिए गए हैं कि विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी गई जिम्मेदारी ठीक ढंग से निभाने के लिए निर्देश दें। इसके साथ ही आयोग को यह भी अधिकार दिए गए हैं कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम एक्ट और अन्य अपराधों के अंतर्गत लगे आरोपों की जांच के निर्देश दें या खुद जांच करें।
मुख्य सतर्कता कमिश्नर होंगे आयोग के चेयरमैन
वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रवक्ता ने बताया कि इस आयोग का चेयरमैन, राज्य के मुख्य सतर्कता कमिश्नर होंगे। उनकी नियुक्ति उन तीन व्यक्तियों में से जाएगी जो या तो हाईकोर्ट के मौजूदा या सेवामुक्त जज हों या भारत सरकार के सचिव पद और वेतन स्केल के बराबर के अफसर हों।
आयोग में बतौर सदस्य दो सतर्कता कमिश्नर ऐसे व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाएंगे जो केंद्र या किसी भी राज्य की सिविल सेवा में सर्व भारतीय सेवा निभा रहे या सेवामुक्त हो चुके हों या केंद्र सरकार या राज्य सरकार में किसी भी सिविल पद पर नियुक्त हों और जिन्हें सतर्कता, नीति निर्धारण, प्रशासन (पुलिस प्रशासन सहित), वित्त (इंशोरेंस और बैंकिंग कानून सहित) से संबंधित मामलों का तजुर्बा हो और जो व्यक्ति राज्य के वित्त कमिश्नर या केंद्र सरकार में अतिरिक्त सचिव के पद और वेतन स्केल पर काम कर चुके हों।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी नियुक्तियां
आयोग में नियुक्तियां मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक कमेटी की सिफारिशों पर की जाएंगी, जिसके बाकी सदस्यों में पंजाब विधानसभा के स्पीकर और मंत्रिमंडल के सबसे सीनियर सदस्य (मुख्यमंत्री के बाद) शामिल होंगे।
अब एसएसपी, डीसीपी के खिलाफ शिकायत पर हो सकेगी जांच
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस साल की शुरुआत में स्थापित की गई पंजाब स्टेट पुलिस शिकायत अथॉरिटी-2020 के कामकाज के नियमों को मंजूरी दे दी। इससे पुलिस के एसएसपी/डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस और इनसे अतिरिक्त रैंकों के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गंभीर किस्म के आरोपों की जांच की जा सकेगी।
संशोधित पंजाब पुलिस एक्ट-2007 की धारा 54-एफ के अंतर्गत यह निर्धारित किया गया है कि पंजाब पुलिस शिकायत अथॉरिटी राज्य सरकार की मंजूरी से प्रांतीय अथॉरिटी और डिविजनल पुलिस शिकायत अथॉरिटी के कामकाज के लिए नियम बनाएगी। प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार व अन्य में 22 सितंबर, 2006 के फैसले के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में 5 फरवरी, 2008 को पंजाब पुलिस एक्ट-2007 नोटिफाई किया गया था।
मूल (असंशोधित) पंजाब पुलिस एक्ट-2007 की धारा 54 में दर्ज उपबंध के मुताबिक, राज्य सरकार नोटिफिकेशन द्वारा राज्य और जिला स्तर पर पुलिस शिकायत अथॉरिटी का गठन कर सकती है। राज्य सरकार ने 29 अगस्त, 2014 को नोटिफिकेशन जारी किया गया और पंजाब पुलिस एक्ट-2007 की धारा 54 में संशोधन किया गया और प्रांतीय एवं डिविजनल स्तर पर चेयरपर्सन के पद और सदस्यों और उनके कामकाज की शर्तों के साथ गठन करने के लिए उपबंध शामिल कर दिए गए।
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सरकारी कर्मचारियों में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने और सरकारी कामकाज में और ज्यादा पारदर्शिता लाने के मकसद से पंजाब कैबिनेट ने बुधवार को एक बहु सदस्यीय सतर्कता आयोग की स्थापना को मंजूरी दे दी। मुख्यमंत्री ने 2006 में ऐसा ही एक आयोग कायम करने का रास्ता साफ किया था, जिसे अकालियों ने 2007 में सत्ता संभालने के बाद भंग कर दिया था।
सरकारी प्रवक्ता ने कैबिनेट मीटिंग के बाद बताया कि पंजाब राज्य सतर्कता आयोग आर्डिनेंस, 2020 में आयोग की एक स्वतंत्र संस्था के तौर पर स्थापना का प्रस्ताव है। इससे विजिलेंस ब्यूरो और राज्य सरकार के सभी विभागों के कामकाज पर असरदार ढंग से निगरानी रखी जा सकेगी।
आयोग में एक चेयरमैन और दो सदस्य होंगे, जिनका कार्यकाल पांच साल का होगा। कैबिनेट ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को कानूनी सलाहकार की तरफ से इस आर्डिनेंस का प्रारूप तैयार किए जाने के बाद इसमें किसी भी बदलाव के अधिकार दे दिए हैं।
विजिलेंस ब्यूरो को निर्देशित कर सकेगा नवगठित सतर्कता आयोग
पंजाब राज्य सतर्कता आयोग, विजिलेंस ब्यूरो द्वारा की गई जांच और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के पास लंबित पड़ी कार्रवाई की मंजूरी वाले मामलों पर निगरानी करेगा। सतर्कता आयोग की तरफ से राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और विजिलेंस के मामलों में चल रही जांच संबंधी सलाह दी जाएगी।
इसे यह भी अधिकार दिए गए हैं कि विजिलेंस ब्यूरो को सौंपी गई जिम्मेदारी ठीक ढंग से निभाने के लिए निर्देश दें। इसके साथ ही आयोग को यह भी अधिकार दिए गए हैं कि सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम एक्ट और अन्य अपराधों के अंतर्गत लगे आरोपों की जांच के निर्देश दें या खुद जांच करें।
मुख्य सतर्कता कमिश्नर होंगे आयोग के चेयरमैन
वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रवक्ता ने बताया कि इस आयोग का चेयरमैन, राज्य के मुख्य सतर्कता कमिश्नर होंगे। उनकी नियुक्ति उन तीन व्यक्तियों में से जाएगी जो या तो हाईकोर्ट के मौजूदा या सेवामुक्त जज हों या भारत सरकार के सचिव पद और वेतन स्केल के बराबर के अफसर हों।
आयोग में बतौर सदस्य दो सतर्कता कमिश्नर ऐसे व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाएंगे जो केंद्र या किसी भी राज्य की सिविल सेवा में सर्व भारतीय सेवा निभा रहे या सेवामुक्त हो चुके हों या केंद्र सरकार या राज्य सरकार में किसी भी सिविल पद पर नियुक्त हों और जिन्हें सतर्कता, नीति निर्धारण, प्रशासन (पुलिस प्रशासन सहित), वित्त (इंशोरेंस और बैंकिंग कानून सहित) से संबंधित मामलों का तजुर्बा हो और जो व्यक्ति राज्य के वित्त कमिश्नर या केंद्र सरकार में अतिरिक्त सचिव के पद और वेतन स्केल पर काम कर चुके हों।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी नियुक्तियां
आयोग में नियुक्तियां मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एक कमेटी की सिफारिशों पर की जाएंगी, जिसके बाकी सदस्यों में पंजाब विधानसभा के स्पीकर और मंत्रिमंडल के सबसे सीनियर सदस्य (मुख्यमंत्री के बाद) शामिल होंगे।
अब एसएसपी, डीसीपी के खिलाफ शिकायत पर हो सकेगी जांच
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस साल की शुरुआत में स्थापित की गई पंजाब स्टेट पुलिस शिकायत अथॉरिटी-2020 के कामकाज के नियमों को मंजूरी दे दी। इससे पुलिस के एसएसपी/डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस और इनसे अतिरिक्त रैंकों के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गंभीर किस्म के आरोपों की जांच की जा सकेगी।
संशोधित पंजाब पुलिस एक्ट-2007 की धारा 54-एफ के अंतर्गत यह निर्धारित किया गया है कि पंजाब पुलिस शिकायत अथॉरिटी राज्य सरकार की मंजूरी से प्रांतीय अथॉरिटी और डिविजनल पुलिस शिकायत अथॉरिटी के कामकाज के लिए नियम बनाएगी। प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार व अन्य में 22 सितंबर, 2006 के फैसले के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुपालन में 5 फरवरी, 2008 को पंजाब पुलिस एक्ट-2007 नोटिफाई किया गया था।
मूल (असंशोधित) पंजाब पुलिस एक्ट-2007 की धारा 54 में दर्ज उपबंध के मुताबिक, राज्य सरकार नोटिफिकेशन द्वारा राज्य और जिला स्तर पर पुलिस शिकायत अथॉरिटी का गठन कर सकती है। राज्य सरकार ने 29 अगस्त, 2014 को नोटिफिकेशन जारी किया गया और पंजाब पुलिस एक्ट-2007 की धारा 54 में संशोधन किया गया और प्रांतीय एवं डिविजनल स्तर पर चेयरपर्सन के पद और सदस्यों और उनके कामकाज की शर्तों के साथ गठन करने के लिए उपबंध शामिल कर दिए गए।
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