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Navjot Sidhu: अब छवि सुधारने पर सिद्धू को करना होगा काम, बड़ी जिम्मेदारी की चाह खड़े कर सकती है विवाद

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: निवेदिता वर्मा Updated Sat, 01 Apr 2023 10:26 AM IST
सार

कांग्रेस के भीतर नवजोत सिद्धू की वापसी को लेकर कोई उत्साह दिखाई नहीं दे रहा। पार्टी के पुराने दिग्गज पहले ही कांग्रेस नेतृत्व से मांग कर चुके हैं कि बाहर से आए नेताओं को ज्यादा तवज्जो न दी जाए। सिद्धू के अधिकतर नेताओं के साथ संबंध भी अच्छे नहीं रहे हैं।

Navjot Sidhu have to work on improving his image after released from Patiala Jail
राहुल गांधी के साथ नवजोत सिद्धू। - फोटो : फाइल

विस्तार
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पटियाला सेंट्रल जेल से आज रिहा हो रहे पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू का अगला सियासी सफर आसान नहीं रहने वाला है। कांग्रेस में मुकाम बनाने के लिए उनको सियासी जंग लड़नी होगी। उनको पार्टी में अपनी छवि सुधारनी होगी। पंजाब कांग्रेस के सीनियर नेता उन्हें पहले ही विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार का जिम्मेदार ठहरा चुके थे। जबकि पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान सिद्धू जिस भूमिका में रहे, वह पार्टी में दोबारा बड़ी भूमिका चाहेंगे। पूर्व प्रदेश प्रधान को कांग्रेस आलाकमान का वरदहस्त हासिल है। पंजाब में 'भारत जोड़ो' यात्रा के समय राहुल गांधी भी नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की बात कह चुके हैं।






शुक्रवार को सिद्धू ने ट्वीट कर एक अप्रैल को अपनी रिहाई की जानकारी दी है, हालांकि प्रशासनिक स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई। इससे पहले गणतंत्र दिवस पर सिद्धू को आम माफी दिए जाने की चर्चा ने जोर पकड़ा था और उनके समर्थकों ने भी रिहाई की मांग को जोरशोर से उठाया। लेकिन पंजाब कांग्रेस की तरफ से इस बाबत कोई बयान नहीं आया। जैसे ही सिद्धू को रिहा नहीं किए जाने की जानकारी सामने आई, कांग्रेस के नेताओं ने उनकी रिहाई की मांग शुरू कर दी। प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने तो बाकायदा इसके लिए सरकार को पत्र भी लिख डाला।

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नवजोत की रिहाई को लेकर पार्टी में कोई उत्साह नहीं
कांग्रेस के भीतर की बात करें तो सिद्धू की वापसी को लेकर पार्टी में कोई उत्साह दिखाई नहीं दे रहा। पार्टी के पुराने दिग्गज पहले ही कांग्रेस नेतृत्व से मांग कर चुके हैं कि बाहर से आए नेताओं को ज्यादा तवज्जो न दी जाए। सिद्धू के अधिकतर नेताओं के साथ संबंध भी अच्छे नहीं रहे हैं। उनकी सजा के एक साल के दौरान कांग्रेस ने उनकी सुध नहीं ली, हालांकि मनप्रीत सिंह बादल जैसे नेता उन्हें पटियाला जेल में मिलने पहुंचते रहे, लेकिन वह भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा चुके हैं। दरअसल, कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ उनके संबंध जगजाहिर हैं। कैप्टन से मुख्यमंत्री पद छीनने और उन्हें पार्टी से बाहर करने के लिए सिद्धू को ही जिम्मेदार माना जाता रहा है।

जाखड़ को हटाकर बनाया था प्रदेश अध्यक्ष
सिद्धू के इस हौसले और आक्रामक शैली के पीछे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से उनकी निकटता को माना जाता रहा। कैप्टन और सिद्धू के बीच खींचतान जब चरम पर थी, आलाकमान ने सिद्धू की मांग को स्वीकार करते हुए सुनील जाखड़ को हटाकर उनको प्रदेश अध्यक्ष का ओहदा भी दिया। इसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी की सरकार के दौरान भी मुखर रहे, क्योंकि कैप्टन से बाद वह मुख्यमंत्री पद चाहते थे, जिसे लेकर सुखजिंदर रंधावा ने भी दावेदारी पेश कर दी थी।
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कांग्रेस की हार के लिए ठहराया था सिद्धू को जिम्मेदार
आलाकमान ने बीच का रास्ता अपनाते हुए चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया था। इसके बाद जब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई तो खामोश बैठे पंजाब कांग्रेस के अधिकांश सीनियर नेता खुलकर सिद्धू के खिलाफ हो गए और हार के लिए उनको ही सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। सिद्धू पर पार्टी में फूट डालने के आरोप भी कांग्रेस के नेता लगाते रहे हैं।
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