चंडीगढ़ के राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज और वकील सुखमनप्रीत सिंह उर्फ सिप्पी सिद्धू को अपनी मौत का डर सता रहा था। इसलिए उसने अपनी हत्या से दो दिन पहले सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए एयर कंडीशनिंग मैकेनिक गुरमीत सिंह से संपर्क साधा था। 20 सितंबर 2015 को हत्या वाले दिन वह अपने घर पर सीसीटीवी कैमरे लगवाना चाहता था।
सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सिप्पी की हत्या से 35 दिन पहले 17 अगस्त 2015 को उसके घर के बाहर एक कार में कुछ संदिग्ध युवक आए थे। उन्होंने काले रंग का एक पाउच घर के बाहर छोड़ दिया था। पाउच में एक डायरी थी जिसमें सिप्पी और एक अन्य सदस्य का नाम, पता और मोबाइल नंबर था। इसके अलावा डायरी में 7 जुलाई 2015 की तारीख, धारा 302, दो लोगों के नाम भिवानी, दिनेश और एक मोबाइल लिखा था। इस मामले में मोहाली पुलिस को शिकायत दी गई थी। इस रिकॉर्ड को चेक किया गया तो पता चला कि पांच अदालतों में 7 जुलाई 2015 तक भिवानी के खिलाफ हत्या के 32 केस अंडर ट्रायल थे। इनमें से 10 मामलों की सुनवाई सात जुलाई 2015 को थी।
सीबीआई ने उन मामलों का रिकॉर्ड भी खंगाला। भिवानी के आपराधिक मामलों की जांच की गई, लेकिन कुछ हाथ नहीं लग सका। वहीं डायरी में लिखे मोबाइल नंबर की जांच की गई तो वह दिल्ली में फोटोशॉप और मोबाइल रिचार्ज की दुकान चलाने वाले सुमित गुप्ता का निकला। सुमित ने कहा कि वह किसी दिनेश को नहीं जानते। यह मामला अभी तक अनट्रेस है। 2001 में खेल उपलब्धि के चलते उसे एएसआई की नौकरी मिली थी। 2004 में उसने नौकरी छोड़ दी थी।
पर्स से 33 हजार रुपये, घड़ी और नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया का मिला था कार्ड
सेक्टर 27 स्थित पार्क में वॉकिंग ट्रैक पर सिप्पी का शव मिला था। पुलिस को उसके पास से 33 हजार 230 रुपये, आई फोन, तीन अंगुठियां, घड़ी, बार काउंसिल ऑफ पंजाब एवं हरियाणा का आई कार्ड, सुप्रीम कोर्ट का टेंपरेरी आई कार्ड, बार एसोसिएशन का आई कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, मास्टर कार्ड, डेबिट कार्ड, नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कार्ड भी मिला था।
विस्तार
चंडीगढ़ के राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज और वकील सुखमनप्रीत सिंह उर्फ सिप्पी सिद्धू को अपनी मौत का डर सता रहा था। इसलिए उसने अपनी हत्या से दो दिन पहले सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए एयर कंडीशनिंग मैकेनिक गुरमीत सिंह से संपर्क साधा था। 20 सितंबर 2015 को हत्या वाले दिन वह अपने घर पर सीसीटीवी कैमरे लगवाना चाहता था।
सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सिप्पी की हत्या से 35 दिन पहले 17 अगस्त 2015 को उसके घर के बाहर एक कार में कुछ संदिग्ध युवक आए थे। उन्होंने काले रंग का एक पाउच घर के बाहर छोड़ दिया था। पाउच में एक डायरी थी जिसमें सिप्पी और एक अन्य सदस्य का नाम, पता और मोबाइल नंबर था। इसके अलावा डायरी में 7 जुलाई 2015 की तारीख, धारा 302, दो लोगों के नाम भिवानी, दिनेश और एक मोबाइल लिखा था। इस मामले में मोहाली पुलिस को शिकायत दी गई थी। इस रिकॉर्ड को चेक किया गया तो पता चला कि पांच अदालतों में 7 जुलाई 2015 तक भिवानी के खिलाफ हत्या के 32 केस अंडर ट्रायल थे। इनमें से 10 मामलों की सुनवाई सात जुलाई 2015 को थी।
सीबीआई ने उन मामलों का रिकॉर्ड भी खंगाला। भिवानी के आपराधिक मामलों की जांच की गई, लेकिन कुछ हाथ नहीं लग सका। वहीं डायरी में लिखे मोबाइल नंबर की जांच की गई तो वह दिल्ली में फोटोशॉप और मोबाइल रिचार्ज की दुकान चलाने वाले सुमित गुप्ता का निकला। सुमित ने कहा कि वह किसी दिनेश को नहीं जानते। यह मामला अभी तक अनट्रेस है। 2001 में खेल उपलब्धि के चलते उसे एएसआई की नौकरी मिली थी। 2004 में उसने नौकरी छोड़ दी थी।
पर्स से 33 हजार रुपये, घड़ी और नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया का मिला था कार्ड
सेक्टर 27 स्थित पार्क में वॉकिंग ट्रैक पर सिप्पी का शव मिला था। पुलिस को उसके पास से 33 हजार 230 रुपये, आई फोन, तीन अंगुठियां, घड़ी, बार काउंसिल ऑफ पंजाब एवं हरियाणा का आई कार्ड, सुप्रीम कोर्ट का टेंपरेरी आई कार्ड, बार एसोसिएशन का आई कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, मास्टर कार्ड, डेबिट कार्ड, नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कार्ड भी मिला था।