प्रदूषण के इस दौर में चंडीगढ़ की नई तस्वीर देखने को मिली है। चंडीगढ़ प्रशासन के पोल्यूशन कंट्रोल कमेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दस सालों में वाहनों की संख्या दोगुनी बढ़ी है, लेकिन प्रदूषण की स्थिति वही है, जो दस साल पहले थी।
रिस्पायरेबिल सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) के स्तर पर कोई बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई है। कई इलाकों में तो प्रदूषण का स्तर नीचे आया है। चंडीगढ़ में प्रदूषण का स्तर दीपावली और सर्दियों में बढ़ता है, जिसे एक रूटीन की प्रक्रिया कहा जा सकता है। इन दिनों में आरएसपीएम बढ़ रहा है, लेकिन इसके खतरे न के बराबर हैं।
दिल्ली और चंडीगढ़ के प्रदूषण की तुलना
दिल्ली में आरएसपीएम (पीएम-10) का स्तर 950 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि चंडीगढ़ में इन दिनों औसत आरएसपीएम का स्तर मात्र 165 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। आम दिनों में यह स्तर 100 के आसपास होता है, लेकिन ठंड के दौरान थोड़ी बढ़ोतरी होती है। हालांकि चंडीगढ़ की स्थिति कंट्रोल में है। आसपास के शहरों के मुकाबले काफी राहत देने वाली स्थिति है।
कार व जीपों की संख्या 107 प्रतिशत बढ़ी
पाल्यूशन कंट्रोल कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 में लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) यानी कार व जीप की संख्या 162263 थी, जबकि 2014 में वाहनों की स्थिति 3354524 पहुंच गई। यानि कि करीब 107 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई। दोपहिया वाहनों की बात करें तो 2005 में वाहनों की संख्या 431063 थी। साल 2014 में यह संख्या 633181 दर्ज की गई। आमतौर पर दूसरे शहरों में दोपहिया वाहनों की संख्या बढ़ती है, जबकि चंडीगढ़ में कारों की संख्या दोगुनी से ज्यादा रिकार्ड की गई है।
चंडीगढ़ में पाल्यूशन का कारण
चंडीगढ़ में पाल्यूशन का मुख्य कारण डीजल वाहनों से निकलने वाला धुआं, टायरों के घर्षण का धुआं, हार्टीकल्चर वेस्ट को जलाने से और आसपास के शहरों में पराली जलाना है। यदि दिल्ली जैसी चंडीगढ़ में स्थिति न बने तो इसके लिए डीजल की गाड़ियों में लगाम लगानी होगी और सड़क की धूल को रोकना होगा।
क्या होता है आरएसपीएम
आरएसपीएम वातावरण में रहने वाला एक कण है, जो सांस के साथ शरीर के अंदर जाता है। ये कण वाहनों के धुएं से, टायरों के घर्षण से, पराली जलाने से, धूल से और निर्माण कार्यों से उत्पन्न होता है। ये कण स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है।
यहां के लोगों में प्रदूषण के प्रति काफी जागरूकता है। चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से लगातार इस दिशा में काम किया जा रहा है। शहर की एयर क्वालिटी अच्छी है। लोगों से अपील है कि वे जागरूकता के स्तर को बनाए रखें और चंडीगढ़ प्रशासन के साथ सहयोग दें।
वीरेंद्र चौधरी, मेंबर सेक्रेटरी चंडीगढ़ पाल्यूशन कंट्रोल कमेटी
वाहनों की संख्या तो बढ़ी है, लेकिन इन दस सालों में शहर का ग्रीन कवर भी 25-30 प्रतिशत बढ़ा है, जिसकी प्रदूषण को रोकने में एक बहुत बड़ी भूमिका है। मेरी लोगों से अपील है कि वे जो भी कंस्ट्रक्शन करें, उसे ढक कर करें। कार पूल करें। इससे आने वाले सालों में भी शहर की हवा साफ रहेगी। संतोष कुमार, निर्देशक पर्यावरण डिपार्टमेंट चंडीगढ़
सेक्टर 17 में आरएसपीएम का स्तर
साल आरएसपीएम का स्तर
2006 87 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2010 86 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2014 79 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2015 81 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
इंडस्ट्रियल एरिया में आरएसपीएम का स्तर
साल आरएसपीएम का स्तर
2006 141 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2010 122 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2014 114 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2015 96 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
इमटेक में आरएसपीएम का स्तर
साल आरएसपीएम का स्तर
2006 103 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2010 95 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2014 89 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2015 88 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
कैंबवाला में आरएसपीएम का स्तर
साल आरएसपीएम का स्तर
2006 99 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2010 83 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2014 91 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
2015 85 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर
(नोट : आरएसपीएम की वार्षिक लिमिट 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि एक दिन की 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। )
प्रदूषण के इस दौर में चंडीगढ़ की नई तस्वीर देखने को मिली है। चंडीगढ़ प्रशासन के पोल्यूशन कंट्रोल कमेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दस सालों में वाहनों की संख्या दोगुनी बढ़ी है, लेकिन प्रदूषण की स्थिति वही है, जो दस साल पहले थी।
रिस्पायरेबिल सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर (आरएसपीएम) के स्तर पर कोई बढ़ोतरी दर्ज नहीं की गई है। कई इलाकों में तो प्रदूषण का स्तर नीचे आया है। चंडीगढ़ में प्रदूषण का स्तर दीपावली और सर्दियों में बढ़ता है, जिसे एक रूटीन की प्रक्रिया कहा जा सकता है। इन दिनों में आरएसपीएम बढ़ रहा है, लेकिन इसके खतरे न के बराबर हैं।
दिल्ली और चंडीगढ़ के प्रदूषण की तुलना
दिल्ली में आरएसपीएम (पीएम-10) का स्तर 950 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि चंडीगढ़ में इन दिनों औसत आरएसपीएम का स्तर मात्र 165 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। आम दिनों में यह स्तर 100 के आसपास होता है, लेकिन ठंड के दौरान थोड़ी बढ़ोतरी होती है। हालांकि चंडीगढ़ की स्थिति कंट्रोल में है। आसपास के शहरों के मुकाबले काफी राहत देने वाली स्थिति है।
कार व जीपों की संख्या 107 प्रतिशत बढ़ी
पाल्यूशन कंट्रोल कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005 में लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) यानी कार व जीप की संख्या 162263 थी, जबकि 2014 में वाहनों की स्थिति 3354524 पहुंच गई। यानि कि करीब 107 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई। दोपहिया वाहनों की बात करें तो 2005 में वाहनों की संख्या 431063 थी। साल 2014 में यह संख्या 633181 दर्ज की गई। आमतौर पर दूसरे शहरों में दोपहिया वाहनों की संख्या बढ़ती है, जबकि चंडीगढ़ में कारों की संख्या दोगुनी से ज्यादा रिकार्ड की गई है।