चंडीगढ़ की सड़कों, गांवों के विकास के लिए यूटी प्रशासन ने साल 2020-21 के लिए बुधवार को अतिरिक्त बजट मांगा। दिल्ली में आयोजित गृह मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक में अधिकारियों ने एक प्रजेंटेशन देकर बताया कि 13 गांवों के विकास के लिए शहर को बड़ी रकम की दरकार है।
नगर निगम ने समिति के सामने 700 करोड़ की मांग की, जबकि बजट में सिर्फ 425 करोड़ ही मिला था। गृह मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने की। बैठक में चंडीगढ़ से सांसद किरण खेर, एडवाइजर मनोज परिदा, फाइनेंस सेक्रेटरी अजॉय कुमार सिन्हा और स्पेशल फाइनेंस सेक्रेटरी मौजूद रहे।
प्रशासन ने वर्ष 2020-21 के लिए संसदीय स्थायी समिति के समक्ष 5658 करोड़ रुपये की मांग की। साथ ही नगर निगम के लिए दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट को भी लागू करने की मांग की। सूत्रों के अनुसार प्रशासन से यह भी कहा कि वह अपने उपलब्ध सोर्सेज से चंडीगढ़ का रेवेन्यू बढ़ाने की कोशिश करे।
इसके जवाब में अधिकारियों की तरफ से कहा गया कि चंडीगढ़वासी पहले ही कई तरह के टैक्स दे रहे हैं, ऐसे में नए टैक्स नहीं लगाए जा सकते हैं। समिति ने सांसद और अधिकारियों की मांगों को रिकॉर्ड कर लिया है, जल्द ही इस पर समिति का फैसला आ जाएगा।
सांसद किरण खेर गृह मामलों पर संसदीय स्थायी समिति को बताया कि चंडीगढ़ की नगर निगम में 13 गांवों को शामिल किया गया है। गांवों की स्थिति काफी खराब है। सड़क, स्वास्थ्य समेत शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार की जरूरत है। इन सभी मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बजट की जरूरत है।
प्रशासन के अधिकारियों ने वर्ष 2020-21 के लिए 5658 करोड़ की जरूरत को दिखाता एक प्रजेंटेशन भी दिया। इसमें बताया गया कि कुल बजट में से 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में ही खर्च हो जाता है। प्रशासन का करीब एक हजार करोड़ रुपये बिजली व दवाइयों की खरीद में निकल जाता है। 800 करोड़ की ग्रांट इन ऐड बसों इत्यादि की खरीद व संचालन पर खर्च हो जाती है। बचे 500 करोड़ रुपये में शहर के विकास कार्यों को रफ्तार देना कठिन है।
एक फरवरी को हुई थी बजट की घोषणा, चंडीगढ़ को मिले 5138 करोड़
एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में केंद्रीय बजट घोषणा की। यूटी प्रशासन को केंद्र सरकार से इस बार भी अनुमान के अनुसार बजट नहीं मिला। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र ने 5138.10 करोड़ ही चंडीगढ़ की झोली में डाले। इसमें रेवेन्यू हेड में 4693.96 करोड़ तो कैपिटल हेड में 494.14 करोड़ मिले। हालांकि, पिछले बार के मुकाबले 384.98 करोड़ चंडीगढ़ प्रशासन को ज्यादा मिले हैं।
वर्ष----------------मांग-------------बजट मिला
2015-16-------4229 करोड़-------3543 करोड़
2016-17-------5489 करोड़-------3937.47 करोड़
2017-18-------6151 करोड़-------4312.40 करोड़
2018-19-------5908 करोड़-------4511.91 करोड़
2019-20-------5218 करोड़-------4753.12 करोड़
2020-21-------5300 करोड़-------5138.10 करोड़
नोट: सभी राशि करोड़ में
चंडीगढ़ की सड़कों, गांवों के विकास के लिए यूटी प्रशासन ने साल 2020-21 के लिए बुधवार को अतिरिक्त बजट मांगा। दिल्ली में आयोजित गृह मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक में अधिकारियों ने एक प्रजेंटेशन देकर बताया कि 13 गांवों के विकास के लिए शहर को बड़ी रकम की दरकार है।
नगर निगम ने समिति के सामने 700 करोड़ की मांग की, जबकि बजट में सिर्फ 425 करोड़ ही मिला था। गृह मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने की। बैठक में चंडीगढ़ से सांसद किरण खेर, एडवाइजर मनोज परिदा, फाइनेंस सेक्रेटरी अजॉय कुमार सिन्हा और स्पेशल फाइनेंस सेक्रेटरी मौजूद रहे।
प्रशासन ने वर्ष 2020-21 के लिए संसदीय स्थायी समिति के समक्ष 5658 करोड़ रुपये की मांग की। साथ ही नगर निगम के लिए दिल्ली वित्त आयोग की रिपोर्ट को भी लागू करने की मांग की। सूत्रों के अनुसार प्रशासन से यह भी कहा कि वह अपने उपलब्ध सोर्सेज से चंडीगढ़ का रेवेन्यू बढ़ाने की कोशिश करे।
इसके जवाब में अधिकारियों की तरफ से कहा गया कि चंडीगढ़वासी पहले ही कई तरह के टैक्स दे रहे हैं, ऐसे में नए टैक्स नहीं लगाए जा सकते हैं। समिति ने सांसद और अधिकारियों की मांगों को रिकॉर्ड कर लिया है, जल्द ही इस पर समिति का फैसला आ जाएगा।
नगर निगम में 13 गांव शामिल, विकास के लिए चाहिए अतिरिक्त बजट
सांसद किरण खेर गृह मामलों पर संसदीय स्थायी समिति को बताया कि चंडीगढ़ की नगर निगम में 13 गांवों को शामिल किया गया है। गांवों की स्थिति काफी खराब है। सड़क, स्वास्थ्य समेत शिक्षा व्यवस्था में काफी सुधार की जरूरत है। इन सभी मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त बजट की जरूरत है।
प्रशासन के अधिकारियों ने वर्ष 2020-21 के लिए 5658 करोड़ की जरूरत को दिखाता एक प्रजेंटेशन भी दिया। इसमें बताया गया कि कुल बजट में से 50 प्रतिशत सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में ही खर्च हो जाता है। प्रशासन का करीब एक हजार करोड़ रुपये बिजली व दवाइयों की खरीद में निकल जाता है। 800 करोड़ की ग्रांट इन ऐड बसों इत्यादि की खरीद व संचालन पर खर्च हो जाती है। बचे 500 करोड़ रुपये में शहर के विकास कार्यों को रफ्तार देना कठिन है।
एक फरवरी को हुई थी बजट की घोषणा, चंडीगढ़ को मिले 5138 करोड़
एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में केंद्रीय बजट घोषणा की। यूटी प्रशासन को केंद्र सरकार से इस बार भी अनुमान के अनुसार बजट नहीं मिला। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र ने 5138.10 करोड़ ही चंडीगढ़ की झोली में डाले। इसमें रेवेन्यू हेड में 4693.96 करोड़ तो कैपिटल हेड में 494.14 करोड़ मिले। हालांकि, पिछले बार के मुकाबले 384.98 करोड़ चंडीगढ़ प्रशासन को ज्यादा मिले हैं।
किस साल कितना बजट मिला
वर्ष----------------मांग-------------बजट मिला
2015-16-------4229 करोड़-------3543 करोड़
2016-17-------5489 करोड़-------3937.47 करोड़
2017-18-------6151 करोड़-------4312.40 करोड़
2018-19-------5908 करोड़-------4511.91 करोड़
2019-20-------5218 करोड़-------4753.12 करोड़
2020-21-------5300 करोड़-------5138.10 करोड़
नोट: सभी राशि करोड़ में