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कैग की रिपोर्ट में खुलासा: पंजाब में मनरेगा में जमकर धांधली, मजदूरों को भुगतान नहीं, मृतकों के बने जॉब कार्ड

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़ Published by: ajay kumar Updated Tue, 14 Mar 2023 12:56 AM IST
सार

कैग की पहली रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से 2021 के दौरान मनरेगा के तहत विभिन्न प्रोजेक्टों के लिए 743 करोड़ रुपये का सामान खरीदा गया, जिसमें सीमेंट, ईंटों सहित निर्माण सामग्री शामिल है। यह सामान सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को 381.42 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया, जिसके चलते सप्लायर ठेकेदारों ने बाकी सामान की डिलीवरी रोक दी और प्रोजेक्ट अधूरे रह गए

CAG report reveals irregularities in MNREGA in Punjab
पंजाब विधानसभा।

विस्तार

पंजाब में छह साल के दौरान मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत अंधाधुंध धांधलियां उजागर हुई हैं। कई जगह कामगारों को उनका मेहनताना नहीं दिया गया तो कहीं माल सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को भुगतान नहीं किया गया। कई मामलों में ऐसे लोगों को पैसे की अदायगी दिखाई गई, जो इस दुनिया से जा चुके हैं। 



कई जगह भुगतान न होने पर ठेकेदारों ने माल की सप्लाई रोक दी और प्रोजेक्ट अधूरे रह गए लेकिन अफसरों ने प्रोजेक्ट पूरे दिखाकर सरकारी पैसा हजम कर लिया। कुछ स्थानों पर तो प्रोजेक्ट की एक ईंट भी नहीं लगाई और अदायगी पूरी ले ली गई। भारत के कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) ने पंजाब विधानसभा में पेश की अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा किया है।


कैग की पहली रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से 2021 के दौरान मनरेगा के तहत विभिन्न प्रोजेक्टों के लिए 743 करोड़ रुपये का सामान खरीदा गया, जिसमें सीमेंट, ईंटों सहित निर्माण सामग्री शामिल है। यह सामान सप्लाई करने वाले ठेकेदारों को 381.42 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया, जिसके चलते सप्लायर ठेकेदारों ने बाकी सामान की डिलीवरी रोक दी और प्रोजेक्ट अधूरे रह गए। बावजूद इसके अफसरों ने प्रोजेक्ट पूरे होने की रिपोर्ट दाखिल कर दी। कैग के अधिकारियों ने प्रोजेक्ट स्थलों का दौरा कर पाया कि ज्यादातर प्रोजेक्टों का काम अधूरा है। अपनी रिपोर्ट में कैग ने संबंधित अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करते हुए गबन किए गए पैसे की वसूली की बात कही है।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मनरेगा योजना के लिए पात्र व्यक्तियों का चयन सुनिश्चित करने के लिए अफसर डोर-टू-डोर सर्वेक्षण करने में विफल रहे और उन्होंने तदर्थ आंकड़ों के आधार पर मजदूरों को किए जाने वाले भुगतान का बजट तैयार कर दिया। लेखा परीक्षा के दौरान, पात्र व्यक्तियों को जॉब कार्ड जारी करने में भी गंभीर कमियां उजागर हुईं। इसमें पाया गया कि 14 पंचायतों में कई जॉब कार्ड मृत व्यक्तियों के नाम न सिर्फ जारी किए गए बल्कि उनकी काम पर उपस्थिति भी दर्ज की गई और उन्हें भुगतान भी किया गया। इस धांधली के लिए कैग ने सिफारिश की है कि ब्लॉक स्तर पर घर-घर जाकर सर्वेक्षण न करने, जॉब कार्डों को अपडेट न करने, विकास योजनाएं तैयार न करने और कार्य की संख्या व प्रकृति में अनियमित फेरबदल के लिए अफसरों की जिम्मेदारी तय की जाए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग 426.90 करोड़ रुपये की बड़ी देनदारियों के बावजूद उपलब्ध धन का उपयोग करने में विफल रहा। इस तरह विभाग वित्तीय प्रबंधन के लिए अक्षम साबित हुआ। धनराशि जारी करने में देरी से 18.70 करोड़ रुपये के ब्याज का बोझ भी विभाग पर पड़ा। निगरानी सॉफ्टवेयर (नरेगासॉफ्ट) और प्रमाणित वित्तीय खातों में व्यापक फेरबदल सामने आया है। रिपोर्ट में पाया गया कि विभाग ने भुगतान जारी करने और कार्यों के निष्पादन में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए बहुत कम काम किया। लेखापरीक्षा में फर्जी भुगतान और फर्जी कार्यों का भी पता चला, जो इंगित करता है कि दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा था।

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