वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में मंदिर था या मस्जिद थी, देश की आजादी के दिन परिसर का धार्मिक स्वरूप कैसा था, इसका पता लगाने के लिए अब रडार तकनीक और खोदाई के जरिये पुरातात्विक सर्वेक्षण किया जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के पक्ष में फैसला देते हुए कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का रडार तकनीक से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मंजूरी दे दी है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल पांच सदस्यीय टीम का गठन करेंगे।
यह आदेश सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी की अदालत ने बृहस्पतिवार को प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ से संबंधित ज्ञानवापी प्रकरण पर दिया है। साथ ही याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 31 मई का दिन तय किया है।
ज्ञानवापी प्रकरण में अदालत के आदेश की प्रमुख बातें
- ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करने वाले पांच विख्यात पुरातत्ववेत्ताओं की टीम में दो लोग अल्पसंख्यक समुदाय के होंगे। पुरातत्व विज्ञान के एक विशेषज्ञ और अनुभवी व्यक्ति को इस कमेटी के पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी जाए। कमेटी विवादित स्थल की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी।
- पुरातात्विक सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य यह है कि विवादित स्थल पर धार्मिक ढांचा किसी अन्य धार्मिक निर्माण पर अध्यारोपण, परिवर्तन, संवर्धन अथवा अतिछाजन है...? यदि ऐसा है तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्पीय डिजाइन और बनावट विवादित स्थल पर वर्तमान में किस प्रकार की सामग्री का प्रयोग किया गया।
- कमेटी यह पता करेगी कि विवादित स्थल पर क्या कोई मंदिर हिंदू समुदाय का कभी रहा, जिस पर मस्जिद बनाई गई या अध्यारोपित की गई या उस पर जोड़ी गई। यदि हां तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्प और बनावट के विवरण के साथ किस हिंदू देवता अथवा देवतागण को समर्पित था।
- कमेटी विवादित स्थल के धार्मिक निर्माण के प्रत्येक भाग में प्रवेश कर सकेगी तथा जांच जीपीआर (भूमि वेधक रडार) अथवा जियो रेडियोलाजी सिस्टम अथवा दोनों का प्रयोग कर सर्वेक्षण करेगी। समानांतर खोदाई तभी होगी, जब कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि ऐसी खुदाई से निश्चित जमीन के नीचे अवशेष मिलने की संभावना है।
- सर्वे के दौरान प्राचीन कलाकृति जो वादी अथवा प्रतिवादी को संबल प्रदान कर रही है, उसको सुरक्षित रखा जाएगा। यदि किसी गहरी खुदाई से वर्तमान ढांचा गंभीर रूप से प्रभावित होता है अथवा कमेटी ऐसा निर्णय लेती है तो फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और बाहरी माप, नक्शा, ड्राइंग से पुरातात्विक अवशेष को दर्ज किया जाए और उसे हटाया न जाए।
- सर्वे के दौरान कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि विवादित स्थल पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के नमाज अदा करने में रुकावट न हो। सर्वे कार्य से नमाज अदा करने की सहूलियत देना संभव प्रतीत नहीं होता हो तो कमेटी कोई दूसरा समुचित स्थान नमाज अदा करने के लिए मस्जिद के परिसर में उपलब्ध कराएगी।
- कमेटी का दोनों समुदायों से समभाव का व्यवहार होगा। सर्वे के पहले कमेटी पक्षकारों अथवा उनके अधिवक्ताओं को नोटिस देगी। पक्षकार स्वयं या अधिवक्ता के जरिये उपस्थित रह सकेंगे, परंतु कोई भी पक्षकार एक से अधिक अधिवक्ता नामित नहीं कर सकेगा।
- समस्त सर्वे कार्य ढक कर किया जाएगा। आम जनता एवं मीडिया का प्रवेश निषेध रहेगा। न तो पर्यवेक्षक और न ही कमेटी का कोई सदस्य सर्वे के संबंध में मीडिया से बात करेगा। किसी भी पक्षकार को कमेटी को निर्देश देने का अधिकार नहीं होगा।
- कमेटी सर्वे के कार्य की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराएगी। सर्वे कार्य पूर्ण होने के बाद कमेटी अपनी संपूर्ण रिपोर्ट बंद लिफाफे में न्यायालय में प्रस्तुत करेगी।
विस्तार
वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में मंदिर था या मस्जिद थी, देश की आजादी के दिन परिसर का धार्मिक स्वरूप कैसा था, इसका पता लगाने के लिए अब रडार तकनीक और खोदाई के जरिये पुरातात्विक सर्वेक्षण किया जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर के पक्ष में फैसला देते हुए कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर का रडार तकनीक से पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मंजूरी दे दी है। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल पांच सदस्यीय टीम का गठन करेंगे।
यह आदेश सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी की अदालत ने बृहस्पतिवार को प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ से संबंधित ज्ञानवापी प्रकरण पर दिया है। साथ ही याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 31 मई का दिन तय किया है।
ज्ञानवापी प्रकरण में अदालत के आदेश की प्रमुख बातें
- ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण करने वाले पांच विख्यात पुरातत्ववेत्ताओं की टीम में दो लोग अल्पसंख्यक समुदाय के होंगे। पुरातत्व विज्ञान के एक विशेषज्ञ और अनुभवी व्यक्ति को इस कमेटी के पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी जाए। कमेटी विवादित स्थल की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी।
- पुरातात्विक सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य यह है कि विवादित स्थल पर धार्मिक ढांचा किसी अन्य धार्मिक निर्माण पर अध्यारोपण, परिवर्तन, संवर्धन अथवा अतिछाजन है...? यदि ऐसा है तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्पीय डिजाइन और बनावट विवादित स्थल पर वर्तमान में किस प्रकार की सामग्री का प्रयोग किया गया।
- कमेटी यह पता करेगी कि विवादित स्थल पर क्या कोई मंदिर हिंदू समुदाय का कभी रहा, जिस पर मस्जिद बनाई गई या अध्यारोपित की गई या उस पर जोड़ी गई। यदि हां तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्प और बनावट के विवरण के साथ किस हिंदू देवता अथवा देवतागण को समर्पित था।
- कमेटी विवादित स्थल के धार्मिक निर्माण के प्रत्येक भाग में प्रवेश कर सकेगी तथा जांच जीपीआर (भूमि वेधक रडार) अथवा जियो रेडियोलाजी सिस्टम अथवा दोनों का प्रयोग कर सर्वेक्षण करेगी। समानांतर खोदाई तभी होगी, जब कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि ऐसी खुदाई से निश्चित जमीन के नीचे अवशेष मिलने की संभावना है।
- सर्वे के दौरान प्राचीन कलाकृति जो वादी अथवा प्रतिवादी को संबल प्रदान कर रही है, उसको सुरक्षित रखा जाएगा। यदि किसी गहरी खुदाई से वर्तमान ढांचा गंभीर रूप से प्रभावित होता है अथवा कमेटी ऐसा निर्णय लेती है तो फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और बाहरी माप, नक्शा, ड्राइंग से पुरातात्विक अवशेष को दर्ज किया जाए और उसे हटाया न जाए।
- सर्वे के दौरान कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि विवादित स्थल पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के नमाज अदा करने में रुकावट न हो। सर्वे कार्य से नमाज अदा करने की सहूलियत देना संभव प्रतीत नहीं होता हो तो कमेटी कोई दूसरा समुचित स्थान नमाज अदा करने के लिए मस्जिद के परिसर में उपलब्ध कराएगी।
- कमेटी का दोनों समुदायों से समभाव का व्यवहार होगा। सर्वे के पहले कमेटी पक्षकारों अथवा उनके अधिवक्ताओं को नोटिस देगी। पक्षकार स्वयं या अधिवक्ता के जरिये उपस्थित रह सकेंगे, परंतु कोई भी पक्षकार एक से अधिक अधिवक्ता नामित नहीं कर सकेगा।
- समस्त सर्वे कार्य ढक कर किया जाएगा। आम जनता एवं मीडिया का प्रवेश निषेध रहेगा। न तो पर्यवेक्षक और न ही कमेटी का कोई सदस्य सर्वे के संबंध में मीडिया से बात करेगा। किसी भी पक्षकार को कमेटी को निर्देश देने का अधिकार नहीं होगा।
- कमेटी सर्वे के कार्य की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराएगी। सर्वे कार्य पूर्ण होने के बाद कमेटी अपनी संपूर्ण रिपोर्ट बंद लिफाफे में न्यायालय में प्रस्तुत करेगी।