शहर की हृदयस्थली कही जाने वाली छोटा चौराहा से अताउल्ला नाला के बीच स्थित लोहा मंडी व बर्तन बाजार पर शुक्रवार को लगभग पूरी तरह से धराशाई हो गई। बहुमंजिली इमारतें टूटकर जमींदोज हो गई हैं। यहां जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे ध्वस्तीकरण अभियान में पोकलैंड व जेसीबी मशीनों का कहर लगातार दूसरे दिन भी बरपा। शुक्रवार को प्रशासन ने सड़क चौड़ी करने में आड़े आ रही इमारतों को गिराया। जिन लोगों ने खुद तोड़ने का वादा किया उन्हें शनिवार तक की मोहलत दे दी गई। बवाल की आशंका को देखते हुए प्रशासनिक अफसर व पुलिस बल के साथ डटे रहे।
दो दिन पहले तक सुबह से देर रात तक गुलजार रहने वाला छोटा चौराहा अब वीरान हो गया है। जिला प्रशासन की ओर से इस दो सौ मीटर की दूरी में सड़क चौड़ी करने के लिए यहां के 85 इमारतों के सड़क के बीच से दोनो ओर 9-9 मीटर दायरे में आने वाले हिस्से को अवैध घोषित करने के बाद गुरुवार को ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया था। अभियान लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। गुरुवार को बचे करीब दो दर्जन मकानों को शुक्रवार के दिन चिह्नांकन सीमा तक गिरवा दिया गया। एक ओर जहां प्रशासन की जेसीबी बचे निर्माणों को गिराती रहीं वहीं दूसरी ओर इन निर्माणों से निकले मलबे को डंपरों व ट्रैक्टरों में भरवाकर हटवाया जाता रहा। इस मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट शंकर मुखर्जी की अगुवाई में पालिका व तहसील के अधिकारी/कर्मचारी व भारी मात्रा में पुलिस बल मौजूद रहा।
किसी बवंडर के गुजर जाने का सा मंजर
गुरुवार को छोटा चौराहा से अताउल्ला नाला तक चले ध्वस्तीकरण अभियान के बाद शुक्रवार को यहां का नजारा कुछ ऐसा था कि जैसे यहां से कोई बवंडर गुजरा हो और उसने यहां भारी तबाही मचा दी हो। चारों ओर सरियों के सहारे लटके मकानों के हिस्से और रोड पर फैला मकानों व दुकानों का मलबा ही दिख रहा था।
इनसेट
कबाड़ियों की रही चांदी
ध्वस्तीकरण अभियान में गिरे मकानों के मलबे में घरों की छतों के साथ गिरी सरिया, खिड़की, दरवाजे, फर्नीचर व अन्य चीजों को बटोरने के चक्कर में स्थानीय कबाड़ी पूरे दिन लगे रहे। हालांकि यहां मौजूद पुलिस बल इन्हें यहां से भगाता रहा, लेकिन यह गली कूचों से अभियान वाली जगह में घुसकर लोहे व अन्य सामान को उठाने में लगे रहे।
शहर की हृदयस्थली कही जाने वाली छोटा चौराहा से अताउल्ला नाला के बीच स्थित लोहा मंडी व बर्तन बाजार पर शुक्रवार को लगभग पूरी तरह से धराशाई हो गई। बहुमंजिली इमारतें टूटकर जमींदोज हो गई हैं। यहां जिला प्रशासन की ओर से चलाए जा रहे ध्वस्तीकरण अभियान में पोकलैंड व जेसीबी मशीनों का कहर लगातार दूसरे दिन भी बरपा। शुक्रवार को प्रशासन ने सड़क चौड़ी करने में आड़े आ रही इमारतों को गिराया। जिन लोगों ने खुद तोड़ने का वादा किया उन्हें शनिवार तक की मोहलत दे दी गई। बवाल की आशंका को देखते हुए प्रशासनिक अफसर व पुलिस बल के साथ डटे रहे।
दो दिन पहले तक सुबह से देर रात तक गुलजार रहने वाला छोटा चौराहा अब वीरान हो गया है। जिला प्रशासन की ओर से इस दो सौ मीटर की दूरी में सड़क चौड़ी करने के लिए यहां के 85 इमारतों के सड़क के बीच से दोनो ओर 9-9 मीटर दायरे में आने वाले हिस्से को अवैध घोषित करने के बाद गुरुवार को ध्वस्तीकरण शुरू कर दिया था। अभियान लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। गुरुवार को बचे करीब दो दर्जन मकानों को शुक्रवार के दिन चिह्नांकन सीमा तक गिरवा दिया गया। एक ओर जहां प्रशासन की जेसीबी बचे निर्माणों को गिराती रहीं वहीं दूसरी ओर इन निर्माणों से निकले मलबे को डंपरों व ट्रैक्टरों में भरवाकर हटवाया जाता रहा। इस मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट शंकर मुखर्जी की अगुवाई में पालिका व तहसील के अधिकारी/कर्मचारी व भारी मात्रा में पुलिस बल मौजूद रहा।
किसी बवंडर के गुजर जाने का सा मंजर
गुरुवार को छोटा चौराहा से अताउल्ला नाला तक चले ध्वस्तीकरण अभियान के बाद शुक्रवार को यहां का नजारा कुछ ऐसा था कि जैसे यहां से कोई बवंडर गुजरा हो और उसने यहां भारी तबाही मचा दी हो। चारों ओर सरियों के सहारे लटके मकानों के हिस्से और रोड पर फैला मकानों व दुकानों का मलबा ही दिख रहा था।
इनसेट
कबाड़ियों की रही चांदी
ध्वस्तीकरण अभियान में गिरे मकानों के मलबे में घरों की छतों के साथ गिरी सरिया, खिड़की, दरवाजे, फर्नीचर व अन्य चीजों को बटोरने के चक्कर में स्थानीय कबाड़ी पूरे दिन लगे रहे। हालांकि यहां मौजूद पुलिस बल इन्हें यहां से भगाता रहा, लेकिन यह गली कूचों से अभियान वाली जगह में घुसकर लोहे व अन्य सामान को उठाने में लगे रहे।