सुल्तानपुर। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं पर चिकित्सकों की कमी ने ग्रहण लगा दिया है। वायरल फीवर के साथ ही कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञों का होना बेहद जरूरी है, लेकिन जिले में मात्र छह ही चिकित्सक तैनात हैं।
वायरल फीवर के प्रकोप से बड़ी संख्या में बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं। जिला अस्पताल का चिल्ड्रेन वार्ड बीमार बच्चों से भरा पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्र के सीएचसी व पीएचसी पर भी बच्चों के उपचार के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। किसी भी सीएचसी और पीएचसी पर बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती ही नहीं है। जिले में मात्र छह बाल रोग विशेषज्ञ तैनात हैं। इनमें एक बाल रोग विशेषज्ञ जिला महिला अस्पताल, दो बाल रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल और तीन बाल रोग विशेषज्ञ सीएमओ के अधीन काम कर रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञों की कमी से बच्चों को होने वाले वायरल फीवर, निमोनिया जैसी बीमारियों का समुचित उपचार नहीं हो पा रहा है। प्रतिदिन जिला अस्पताल और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कर उपचार चल रहा है।
14 सीएचसी व 43 पीएचसी पर चिकित्सकों के 155 पद खाली
जिले में ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों की मौजूदगी नहीं होने से बीमार लोगों को लेकर प्रतिदिन उनके तीमारदार जिला मुख्यालय का रुख करते हैं। जिला अस्पताल में भारी भीड़ की वजह से अधिकांश लोगों को प्राइवेट चिकित्सकों के यहां इलाज कराना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में 14 सीएचसी और 43 पीएचसी पर 287 चिकित्सकों के पद सृजित हैं। इनमें से मात्र 132 चिकित्सकों की ही तैनाती है। 155 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। ऐसे में सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर सीमित चिकित्सकों के सहारे ही लोगों का उपचार किया जा रहा है।
सुल्तानपुर। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं पर चिकित्सकों की कमी ने ग्रहण लगा दिया है। वायरल फीवर के साथ ही कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए बाल रोग विशेषज्ञों का होना बेहद जरूरी है, लेकिन जिले में मात्र छह ही चिकित्सक तैनात हैं।
वायरल फीवर के प्रकोप से बड़ी संख्या में बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं। जिला अस्पताल का चिल्ड्रेन वार्ड बीमार बच्चों से भरा पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्र के सीएचसी व पीएचसी पर भी बच्चों के उपचार के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। किसी भी सीएचसी और पीएचसी पर बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती ही नहीं है। जिले में मात्र छह बाल रोग विशेषज्ञ तैनात हैं। इनमें एक बाल रोग विशेषज्ञ जिला महिला अस्पताल, दो बाल रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल और तीन बाल रोग विशेषज्ञ सीएमओ के अधीन काम कर रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञों की कमी से बच्चों को होने वाले वायरल फीवर, निमोनिया जैसी बीमारियों का समुचित उपचार नहीं हो पा रहा है। प्रतिदिन जिला अस्पताल और प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कर उपचार चल रहा है।
14 सीएचसी व 43 पीएचसी पर चिकित्सकों के 155 पद खाली
जिले में ग्रामीण अंचल में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों की मौजूदगी नहीं होने से बीमार लोगों को लेकर प्रतिदिन उनके तीमारदार जिला मुख्यालय का रुख करते हैं। जिला अस्पताल में भारी भीड़ की वजह से अधिकांश लोगों को प्राइवेट चिकित्सकों के यहां इलाज कराना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में 14 सीएचसी और 43 पीएचसी पर 287 चिकित्सकों के पद सृजित हैं। इनमें से मात्र 132 चिकित्सकों की ही तैनाती है। 155 चिकित्सकों के पद रिक्त हैं। ऐसे में सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर सीमित चिकित्सकों के सहारे ही लोगों का उपचार किया जा रहा है।