मानसून की दस्तक के बावजूद बिजली की मांग बृहस्पतिवार को 23 हजार मेगावाट के पार बनी रही। मांग में कमी न आने से निगम की परियोजनाओं को कोयले का स्टॉक बढ़ाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उत्पादन निगम की परियोजनाओं ने बीते माह में कोयले की खूब किल्लत झेली है। किसी परियोजना के पास एक तो किसी के पास दो दिनों का ही कोयले का स्टॉक बचा था लेकिन रेल रैक शुरू होने और मानसून में मांग कम होने पर कोयला स्टॉक मेंटेन करने की उम्मीद बनी थी। पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग क्षेत्रों में बारिश के बाद तापमान में गिरावट होने पर भी बिजली की मांग में कमी नहीं आई है। नतीजा परियोजनाओं में कोयला स्टॉक में खास इजाफा नहीं हो पाया है। बृहस्पतिवार को बिजली की मांग का अधिकतम आंकड़ा 23678 मेगावाट रहा। वहीं न्यूनतम मांग 16609 मेगावाट रही। अनपरा की ए इकाई से 504, बी से 889, डी से 950 और निजी क्षेत्र की लैंको इकाई से 866 मेवा का उत्पादन किया गया। अनपरा तापीय परियोजना के अधिकारी राधामोहन ने बताया कि सूबे में पिछले दिनों चली आंधी बारिश में तेजी से घटी बिजली की मांग से तेजी से कोयले का स्टॉक बढ़ा था। इन दिनों बारिश होने के बाद भी मांग में कमी न होने से थर्मल बैकिंग में कोयले का स्टॉक मेंटेन कर पाना मुश्किल बना हुआ है।
मानसून की दस्तक के बावजूद बिजली की मांग बृहस्पतिवार को 23 हजार मेगावाट के पार बनी रही। मांग में कमी न आने से निगम की परियोजनाओं को कोयले का स्टॉक बढ़ाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उत्पादन निगम की परियोजनाओं ने बीते माह में कोयले की खूब किल्लत झेली है। किसी परियोजना के पास एक तो किसी के पास दो दिनों का ही कोयले का स्टॉक बचा था लेकिन रेल रैक शुरू होने और मानसून में मांग कम होने पर कोयला स्टॉक मेंटेन करने की उम्मीद बनी थी। पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग क्षेत्रों में बारिश के बाद तापमान में गिरावट होने पर भी बिजली की मांग में कमी नहीं आई है। नतीजा परियोजनाओं में कोयला स्टॉक में खास इजाफा नहीं हो पाया है। बृहस्पतिवार को बिजली की मांग का अधिकतम आंकड़ा 23678 मेगावाट रहा। वहीं न्यूनतम मांग 16609 मेगावाट रही। अनपरा की ए इकाई से 504, बी से 889, डी से 950 और निजी क्षेत्र की लैंको इकाई से 866 मेवा का उत्पादन किया गया। अनपरा तापीय परियोजना के अधिकारी राधामोहन ने बताया कि सूबे में पिछले दिनों चली आंधी बारिश में तेजी से घटी बिजली की मांग से तेजी से कोयले का स्टॉक बढ़ा था। इन दिनों बारिश होने के बाद भी मांग में कमी न होने से थर्मल बैकिंग में कोयले का स्टॉक मेंटेन कर पाना मुश्किल बना हुआ है।