हाड़ कंपाने वाली ठंड से बच्चों को महफूज रखने के लिए डीएम ने जिले की समस्त शिक्षण संस्थाओं में कक्षा आठ तक का अवकाश घोषित कर रखा है। वैसे तो यह अवकाश मंगलवार तक ही फिलहाल प्रभावी रहेगा। इसके बावजूद सोमवार को शहर के अंग्रेजी माध्यम से संचालित होने वाले स्कूल हमेशा की तरह खुले।
जिससे बच्चों को तो भारी परेशानी का सामना करना ही पड़ा, साथ ही अभिभावक भी कड़ाके की सर्दी में परेशान हुए। कुछ बच्चों को तैयार कराकर बस और वैन तक छोड़ने आए तो कुछ स्कूल तक बच्चों को पहुंचाते नजर आए। इसकी सूचना किसी अभिभावक ने एडीएम को फोन पर दे दी।
एडीएम ने इसे गंभीरता से लेते हुए सिटी मजिस्ट्रेट को इसका निरीक्षण कराने के निर्देश दे दिए। आनन-फानन में सिटी मजिस्ट्रेट ने बीएसए को शहर के स्कूलों में दौड़ा दिया कि वह खुले पाए जाने वाले स्कूलों के संचालकों के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई करें। इसकी सूचना किसी तरह स्कूलों तक भी पहुंच गई, जिस कारण कुछ स्कूल तो बंद कर दिए गए, लेकिन कुछ स्कूल बाकायदा खुले भी रहे।
यहां बतादें कि प्राइवेट स्कूल संचालक खासतौर पर अंग्रेजी माध्यम के स्कूल संचालक डीएम के आदेशों पर कभी ध्यान नहीं देते। इतना ही नहीं, प्रदेश सरकार की ओर से घोषित होने वाले सार्वजनिक अवकाशों पर भी स्कूल संचालक कोई तवज्जो नहीं देते। संभवत: वह अभिभावकों को यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि उनके यहां शिक्षा का महत्व है, छुट्टियों का नहीं।
यह अलग बात है कि इन स्कूलों में पढ़ाई कम तीज-त्योहारों के कार्यक्रम अथवा विभिन्न प्रकार के दिवस अधिक मनाए जाते हैं। इन क्रियाकलापों से अभिभावक भी खासे नाराज रहते हैं, क्योंकि इस प्रकार के आयोजनों के नाम पर उनकी जेब पर एक तरह से डांका भी डाला जाता है।
सीबीएसई से संबद्धता होने के कारण प्रशासन और विभाग भी खामोश रहता है, इसलिए इन स्कूलों के संचालक हमेशा मनमानी ही करते रहते हैं। सोमवार को जब एक-दो स्कूलों में छापा पड़ा तो इन स्कूलों के संचालकों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और आनन-फानन में उन्हें स्कूल बंद करने पड़े।
अब देखना है कि आगे घोषित होने वाले अवकाशों में स्कूल संचालक और जिला प्रशासन क्या रणनीति अपनाता है।
हाड़ कंपाने वाली ठंड से बच्चों को महफूज रखने के लिए डीएम ने जिले की समस्त शिक्षण संस्थाओं में कक्षा आठ तक का अवकाश घोषित कर रखा है। वैसे तो यह अवकाश मंगलवार तक ही फिलहाल प्रभावी रहेगा। इसके बावजूद सोमवार को शहर के अंग्रेजी माध्यम से संचालित होने वाले स्कूल हमेशा की तरह खुले।
जिससे बच्चों को तो भारी परेशानी का सामना करना ही पड़ा, साथ ही अभिभावक भी कड़ाके की सर्दी में परेशान हुए। कुछ बच्चों को तैयार कराकर बस और वैन तक छोड़ने आए तो कुछ स्कूल तक बच्चों को पहुंचाते नजर आए। इसकी सूचना किसी अभिभावक ने एडीएम को फोन पर दे दी।
एडीएम ने इसे गंभीरता से लेते हुए सिटी मजिस्ट्रेट को इसका निरीक्षण कराने के निर्देश दे दिए। आनन-फानन में सिटी मजिस्ट्रेट ने बीएसए को शहर के स्कूलों में दौड़ा दिया कि वह खुले पाए जाने वाले स्कूलों के संचालकों के खिलाफ तत्काल कड़ी कार्रवाई करें। इसकी सूचना किसी तरह स्कूलों तक भी पहुंच गई, जिस कारण कुछ स्कूल तो बंद कर दिए गए, लेकिन कुछ स्कूल बाकायदा खुले भी रहे।
यहां बतादें कि प्राइवेट स्कूल संचालक खासतौर पर अंग्रेजी माध्यम के स्कूल संचालक डीएम के आदेशों पर कभी ध्यान नहीं देते। इतना ही नहीं, प्रदेश सरकार की ओर से घोषित होने वाले सार्वजनिक अवकाशों पर भी स्कूल संचालक कोई तवज्जो नहीं देते। संभवत: वह अभिभावकों को यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि उनके यहां शिक्षा का महत्व है, छुट्टियों का नहीं।
यह अलग बात है कि इन स्कूलों में पढ़ाई कम तीज-त्योहारों के कार्यक्रम अथवा विभिन्न प्रकार के दिवस अधिक मनाए जाते हैं। इन क्रियाकलापों से अभिभावक भी खासे नाराज रहते हैं, क्योंकि इस प्रकार के आयोजनों के नाम पर उनकी जेब पर एक तरह से डांका भी डाला जाता है।
सीबीएसई से संबद्धता होने के कारण प्रशासन और विभाग भी खामोश रहता है, इसलिए इन स्कूलों के संचालक हमेशा मनमानी ही करते रहते हैं। सोमवार को जब एक-दो स्कूलों में छापा पड़ा तो इन स्कूलों के संचालकों की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और आनन-फानन में उन्हें स्कूल बंद करने पड़े।
अब देखना है कि आगे घोषित होने वाले अवकाशों में स्कूल संचालक और जिला प्रशासन क्या रणनीति अपनाता है।