रामपुर। जिले में कृषि भूमि की मिट्टी की उर्वरा शक्ति लगातार दम तोड़ रही है। मिट्टी में जीवांश कार्बन न्यून कमी के कारण उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है, जिसका मुख्य कारण पराली जलाना बताया जा रहा है। यदि लगातार कृषि भूमि की मिट्टी में जीवांश कार्बन की कमी होगी तो जमीन बंजर हो जाएगी।
खेतीबाड़ी के लिहाज से रामपुर की जमीन काफी अच्छी है। तराई क्षेत्र होने की वजह से रामपुर की जमीन उपजाऊ है, जिसमें भरपूर पोषक तत्व मौजूद हैं। लेकिन, धीरे धीरे जमीनों को नुकसान हो रहा है। पिछले तीन वर्षों में देखा जाए तो जमीनों से जीवांश कार्बन की मात्रा कम होती जा रही है।
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पिछले वर्षों में मिट्टी के नमूनों की जांच और उनके परिणाम
वर्ष 2019-20 में कृषि विभाग की ओर से जिले के छह ब्लॉकों से 1627 कृषि भूमि की मिट्टी के नमूने लिए गए थे, जिसमें से 1187 मिट्टी के नमूनों में जीवांश कार्बन निर्धारित मानक से कम पाया गया था।
वर्ष 2020-21 में 82 किसान अपने खेतों की मिट्टी की जांच कराने के लिए आए थे, जिसमें से 60 नमूनों में जीवांश कार्बन कम मिला था। जबकि, 2021-22 में अब तक 93 मिट्टी के नमूनों की जांच हो चुकी हैं। इन सभी नमूनों में जीवांश कार्बन की उपलब्धता निर्धारित मानक से कम पाई गई है।
क्या होता है जीवांश कार्बन
रामपुर। कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक कृषि भूमि में जीवांश कार्बन की उपलब्धता अहम है। तय मानक के अनुसार में मिट्टी में 0.8 जीवांश कार्बन होना चाहिए। यह जीवांश कार्बन पौधों की उपज बढ़ाने में सहायक होता है।
निजी खर्च पर दो साल में 175 किसानों ने कराई मिट्टी की जांच
रामपुर। सरकार की ओर से दो साल से मिट्टी की जांच कराने के लिए लक्ष्य नहीं आ सका है। ऐसे में किसान निजी खर्च पर ही मिट्टी की जांच करा रहे हैं। अफसरों के मुताबिक छह पैरामीटर की जांच के लिए 29 रुपये का शुल्क निर्धारित है। इसमें जमीन का पीएच, ईसी (इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी), जीवांश, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश चेक किया जाता है। मानक के अनुसार पीएच 6.5 से लेकर आठ तक, ईसी एक मिली मौज, जीवांश 0.8, नाइट्रोजन 180 किलोग्राम, फास्फोरस 40 किलोग्राम, पोटाश 250 किलोग्राम होना चाहिए। जबकि, 12 पैरामीटर की जांच के लिए 102 रुपये शुल्क निर्धारित है। इसमें इन छह पैरामीटर के अलावा सल्फर, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, बोरोन और तांबा तत्वों की जांच की जाती है। विभाग के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते शासन से दो साल से निशुल्क मृदा परीक्षण का लक्ष्य व निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
रामपुर में ज्यादातर किसान अपने खेतों में फसलों के अवशेष जलाते हैं। यह सही नहीं है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो रही है। वर्तमान में रामपुर में जांच के लिए सामने आए 93 नमूनों में जीवांश कार्बन की उपलब्धता कम मिली। ऐसे में किसानों को चाहिए कि देशी खाद के साथ खेतों में फसलों के अवशेष न जलाएं। -रणवीर सिंह, अध्यक्ष, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, रामपुर
रामपुर। जिले में कृषि भूमि की मिट्टी की उर्वरा शक्ति लगातार दम तोड़ रही है। मिट्टी में जीवांश कार्बन न्यून कमी के कारण उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है, जिसका मुख्य कारण पराली जलाना बताया जा रहा है। यदि लगातार कृषि भूमि की मिट्टी में जीवांश कार्बन की कमी होगी तो जमीन बंजर हो जाएगी।
खेतीबाड़ी के लिहाज से रामपुर की जमीन काफी अच्छी है। तराई क्षेत्र होने की वजह से रामपुर की जमीन उपजाऊ है, जिसमें भरपूर पोषक तत्व मौजूद हैं। लेकिन, धीरे धीरे जमीनों को नुकसान हो रहा है। पिछले तीन वर्षों में देखा जाए तो जमीनों से जीवांश कार्बन की मात्रा कम होती जा रही है।
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पिछले वर्षों में मिट्टी के नमूनों की जांच और उनके परिणाम
वर्ष 2019-20 में कृषि विभाग की ओर से जिले के छह ब्लॉकों से 1627 कृषि भूमि की मिट्टी के नमूने लिए गए थे, जिसमें से 1187 मिट्टी के नमूनों में जीवांश कार्बन निर्धारित मानक से कम पाया गया था।
वर्ष 2020-21 में 82 किसान अपने खेतों की मिट्टी की जांच कराने के लिए आए थे, जिसमें से 60 नमूनों में जीवांश कार्बन कम मिला था। जबकि, 2021-22 में अब तक 93 मिट्टी के नमूनों की जांच हो चुकी हैं। इन सभी नमूनों में जीवांश कार्बन की उपलब्धता निर्धारित मानक से कम पाई गई है।
क्या होता है जीवांश कार्बन
रामपुर। कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक कृषि भूमि में जीवांश कार्बन की उपलब्धता अहम है। तय मानक के अनुसार में मिट्टी में 0.8 जीवांश कार्बन होना चाहिए। यह जीवांश कार्बन पौधों की उपज बढ़ाने में सहायक होता है।
निजी खर्च पर दो साल में 175 किसानों ने कराई मिट्टी की जांच
रामपुर। सरकार की ओर से दो साल से मिट्टी की जांच कराने के लिए लक्ष्य नहीं आ सका है। ऐसे में किसान निजी खर्च पर ही मिट्टी की जांच करा रहे हैं। अफसरों के मुताबिक छह पैरामीटर की जांच के लिए 29 रुपये का शुल्क निर्धारित है। इसमें जमीन का पीएच, ईसी (इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी), जीवांश, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश चेक किया जाता है। मानक के अनुसार पीएच 6.5 से लेकर आठ तक, ईसी एक मिली मौज, जीवांश 0.8, नाइट्रोजन 180 किलोग्राम, फास्फोरस 40 किलोग्राम, पोटाश 250 किलोग्राम होना चाहिए। जबकि, 12 पैरामीटर की जांच के लिए 102 रुपये शुल्क निर्धारित है। इसमें इन छह पैरामीटर के अलावा सल्फर, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, बोरोन और तांबा तत्वों की जांच की जाती है। विभाग के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते शासन से दो साल से निशुल्क मृदा परीक्षण का लक्ष्य व निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
रामपुर में ज्यादातर किसान अपने खेतों में फसलों के अवशेष जलाते हैं। यह सही नहीं है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम हो रही है। वर्तमान में रामपुर में जांच के लिए सामने आए 93 नमूनों में जीवांश कार्बन की उपलब्धता कम मिली। ऐसे में किसानों को चाहिए कि देशी खाद के साथ खेतों में फसलों के अवशेष न जलाएं। -रणवीर सिंह, अध्यक्ष, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, रामपुर