जिले में राजकीय बालिका इंटर कालेज जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। नए भवन के निर्माण को लेकर करीब चार साल से कवायद चल रही है। 4 करोड़ का बजट स्वीकृत होने के बाद भी अब तक एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी है। नए शिक्षासत्र में भी छात्राएं जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं।
शहर के मकंद्रूगंज चौकी के समीप राजकीय बालिका इंटर कालेज है। इसका संचालन अंग्रेजों के जमाने के भवन में हो रहा है। ब्रिटिश हुकूमत में यह भवन अंग्रेजों का कोर्ट हुआ करता था। आजादी के बाद से ही भवन में राजकीय बालिका इंटर कालेज का संचालन हो रहा है। मौजूदा समय में विद्यालय का भवन बदहाल हो चुका है। छत व दीवारें जर्जर हैं। हल्की बारिश में ही छत टपकने लगती है। इससे कभी भी हादसा हो सकता है। विभाग की ओर से इसके निर्माण को लेकर बीच में कवायद शुरू की गई थी। भवन निर्माण को लेकर प्रस्ताव बनाकर भेजा गया। विभागीय सूत्रों की मानें तो जीजीआईसी के निर्माण के लिए चार करोड़ का बजट भी स्वीकृत हुआ था। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की देखरेख में भवन निर्माण होना था। बीते शिक्षासत्र में विद्यालय के निर्माण की कवायद शुरू हुई। बताया जा रहा था कि अंग्रेजों के जमाने के जर्जर भवन का ध्वस्तीकरण किया जाएगा। साइंस व आर्ट दोनों फैकल्टी बनाई जाएगी। संभावना थी कि नए शिक्षासत्र में भवन बन कर तैयार हो जाएगा। मगर छात्राओं की उम्मींदों पर पानी फिर गया। निर्माण कार्य नहीं शुरू हो सका। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया कि बजट स्वीकृति के दौरान कागजी त्रुटि के चलते धनराशि रिलीज नहीं हो सकी। इससे निर्माण कार्य नहीं शुरू हो सका। डीआईओएस एसपी यादव ने बताया कि योजना बैठक में जीजीआईसी भवन निर्माण को लेकर प्रस्ताव रखा गया है। बजट स्वीकृत होने पर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
बदहाल साइंस फैकल्टी में लटक गया ताला
बदहाली के चलते वर्ष 2013 में साइंस फैकल्टी में ताला लटक गया। साइंस वर्ग की छात्राओं को आर्ट फैकल्टी में शिफ्ट करना पड़ा। जगह कम होने से पठन-पाठन दो शिफ्टों में किया गया। पहली शिफ्टं सुबह 7 बजे से 11.45 तक व 12 से 5 बजे तक दूसरी शिफ्ट में पढ़ाई होती है।
जिले में राजकीय बालिका इंटर कालेज जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। नए भवन के निर्माण को लेकर करीब चार साल से कवायद चल रही है। 4 करोड़ का बजट स्वीकृत होने के बाद भी अब तक एक ईंट भी नहीं रखी जा सकी है। नए शिक्षासत्र में भी छात्राएं जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं।
शहर के मकंद्रूगंज चौकी के समीप राजकीय बालिका इंटर कालेज है। इसका संचालन अंग्रेजों के जमाने के भवन में हो रहा है। ब्रिटिश हुकूमत में यह भवन अंग्रेजों का कोर्ट हुआ करता था। आजादी के बाद से ही भवन में राजकीय बालिका इंटर कालेज का संचालन हो रहा है। मौजूदा समय में विद्यालय का भवन बदहाल हो चुका है। छत व दीवारें जर्जर हैं। हल्की बारिश में ही छत टपकने लगती है। इससे कभी भी हादसा हो सकता है। विभाग की ओर से इसके निर्माण को लेकर बीच में कवायद शुरू की गई थी। भवन निर्माण को लेकर प्रस्ताव बनाकर भेजा गया। विभागीय सूत्रों की मानें तो जीजीआईसी के निर्माण के लिए चार करोड़ का बजट भी स्वीकृत हुआ था। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की देखरेख में भवन निर्माण होना था। बीते शिक्षासत्र में विद्यालय के निर्माण की कवायद शुरू हुई। बताया जा रहा था कि अंग्रेजों के जमाने के जर्जर भवन का ध्वस्तीकरण किया जाएगा। साइंस व आर्ट दोनों फैकल्टी बनाई जाएगी। संभावना थी कि नए शिक्षासत्र में भवन बन कर तैयार हो जाएगा। मगर छात्राओं की उम्मींदों पर पानी फिर गया। निर्माण कार्य नहीं शुरू हो सका। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया कि बजट स्वीकृति के दौरान कागजी त्रुटि के चलते धनराशि रिलीज नहीं हो सकी। इससे निर्माण कार्य नहीं शुरू हो सका। डीआईओएस एसपी यादव ने बताया कि योजना बैठक में जीजीआईसी भवन निर्माण को लेकर प्रस्ताव रखा गया है। बजट स्वीकृत होने पर निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
बदहाल साइंस फैकल्टी में लटक गया ताला
बदहाली के चलते वर्ष 2013 में साइंस फैकल्टी में ताला लटक गया। साइंस वर्ग की छात्राओं को आर्ट फैकल्टी में शिफ्ट करना पड़ा। जगह कम होने से पठन-पाठन दो शिफ्टों में किया गया। पहली शिफ्टं सुबह 7 बजे से 11.45 तक व 12 से 5 बजे तक दूसरी शिफ्ट में पढ़ाई होती है।