प्रतापगढ़। गैस सिलिंडर के दामों में बढ़ोत्तरी होने से प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना के लाभार्थियों ने सिलिंडर रिफिल कराने से हाथ खड़ा कर दिए हैं। जिले की लगभग 35 प्रतिशत महिलाओं ने अब चूल्हा जलाना शुरु कर दिया है। मुफ्त गैस सिलेंडर का इंतजार करने वाली महिलाओं के निराशा हाथ लगी है।
जिले में प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना के 1,32,120 लाभार्थी हैं। 42,200 लाभार्थी ऐसे हैं, जिन्होंने दो माह से गैस सिलिंडर को रिफिल नहीं कराया है। मुफ्त में गैस कनेक्शन मिलने के बाद सिलिंडर भराने के लिए सीधे खाते में धनराशि आने से खुश रहने वाली महिलाओं को अब सिलेंडर रिफिल कराना भारी पड़ रहा है। इन दिनों एक गैस सिलेंडर रिफिल कराने पर 1055 रुपये चुकना पड़ता है। मगर, यह धनराशि गांव की महिलाओं के लिए अधिक होने के कारण वह अब चूल्हा जलाना अधिक पसंद कर रही हैं।
महिलाओं का कहना है कि सिलिंडर के दाम 1055 रुपये होने से रिफिल कराना काफी भारी पड़ रहा है। गर्मी के दिनों में गांव में रोजगार नहीं मिलने से प्रतिदिन का खर्च चलाना मुश्किल होता है। जिले में स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन के नारे के साथ केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरूआत करके महिलाओं को बड़ी राहत दी थी, मगर आज हालात यह हैं कि लोगों को रिफिल कराने के लिए रुपये नहीं हैं। मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले परिवारों का यह हाल है कि उनके पास गैस सिलेंडर भरवाने के लिए रुपये नहीं हैं। इससे अधिकांश परिवारों ने गैस चूल्हे को कपड़े से बांध कर रख दिया है और दाम कम होने का इंतजार कर रहे हैं।
पसंद नहीं आ रहा है छोटा गैस सिलिंडर
गांव की महिलाओं को महंगाई की मार से बचाने के लिए एजेंसियों पर छोटा सिलेंडर मुहैया कराया है। पांच किग्रा का छोटा सिलिंडर उपभोक्ताओं को पसंद नहीं आ रहा है। दरअसल, छोटा सिलेंडर गांव में भराने को लेकर बड़ी समस्या होती है। बड़ा सिलेंडर हर स्थान पर आसानी से मिल जाता है।
इनसेट---
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना के तहत मुफ्त में गैस कनेक्शन देने पर बहुत खुशी मिली थी। कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री ने मुफ्त में रिफिल कराने का तोहफा दिया। मगर अब गैस सिलिंडर भराना काफी महंगा पड़ रहा है। महंगाई के चलते गृहस्थी की गाड़ी चलाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में गैस सिलेंडर कैसे भराया जाय।
सुमन देवी, मऊ,रामपुर, रानीगंज
इनसेट
0 कोरोना काल तक सिलेंडर रिफिल कराने का तोहफा मिला। मगर अब महंगाई ने कमर तोड़ दी है। 1055 रुपये में सिलिंडर रिफिल कराना काफी महंगा साबित हो रहा है। घर की गाड़ी चलाना वैसे भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। बच्चों की महंगी हुई पढ़ाई-लिखाई ने घर के बजट बिगाड़ दिया है।
अंतिमा गौतम, मुआरअधारगंज, शिवगढ़
0 मनरेगा की मजदूरी 213 रुपये प्रतिदिन है। अगर पांच दिन लगातार काम किया जाय, तो एक सिलेंडर रिफिल कराने के लिए रुपये मिलते हैं। अगर गैस सिलिंडर ले लिया जाय, तो घर का खर्च कैसेे चलेगा। 1055 रुपये में सिलिंडर रिफिल हो रहा है, इतने रुपये से सप्ताह भर के रसोई का खर्च निकल जाएगा। सब्सिडी भी आना बंद हो गई है, 49.50 रुपये में कुछ नहीं होता है।
कमला देवी, शिवगढ़
0 गैस सिलेंडर की महंगाई ने कमर तोड़ दिया है। डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने के बाद कम हुए, मगर सिलिंडर के दाम बढ़ने के बाद कम नहीं हुए। छोटा सिलिंडर गांव में मिलता नहीं है और बड़ा सिलिंडर भराने के लिए रुपये नहीं होते हैं। हम गरीब लोग हैं, इतने रुपये नहीं होते हैं कि 1055 रुपये खर्च करके सिलेंडर रिफिल कराया जाय।
गुजराती देवी, गोबरी
प्रतापगढ़। गैस सिलिंडर के दामों में बढ़ोत्तरी होने से प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना के लाभार्थियों ने सिलिंडर रिफिल कराने से हाथ खड़ा कर दिए हैं। जिले की लगभग 35 प्रतिशत महिलाओं ने अब चूल्हा जलाना शुरु कर दिया है। मुफ्त गैस सिलेंडर का इंतजार करने वाली महिलाओं के निराशा हाथ लगी है।
जिले में प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना के 1,32,120 लाभार्थी हैं। 42,200 लाभार्थी ऐसे हैं, जिन्होंने दो माह से गैस सिलिंडर को रिफिल नहीं कराया है। मुफ्त में गैस कनेक्शन मिलने के बाद सिलिंडर भराने के लिए सीधे खाते में धनराशि आने से खुश रहने वाली महिलाओं को अब सिलेंडर रिफिल कराना भारी पड़ रहा है। इन दिनों एक गैस सिलेंडर रिफिल कराने पर 1055 रुपये चुकना पड़ता है। मगर, यह धनराशि गांव की महिलाओं के लिए अधिक होने के कारण वह अब चूल्हा जलाना अधिक पसंद कर रही हैं।
महिलाओं का कहना है कि सिलिंडर के दाम 1055 रुपये होने से रिफिल कराना काफी भारी पड़ रहा है। गर्मी के दिनों में गांव में रोजगार नहीं मिलने से प्रतिदिन का खर्च चलाना मुश्किल होता है। जिले में स्वच्छ ईंधन, बेहतर जीवन के नारे के साथ केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरूआत करके महिलाओं को बड़ी राहत दी थी, मगर आज हालात यह हैं कि लोगों को रिफिल कराने के लिए रुपये नहीं हैं। मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले परिवारों का यह हाल है कि उनके पास गैस सिलेंडर भरवाने के लिए रुपये नहीं हैं। इससे अधिकांश परिवारों ने गैस चूल्हे को कपड़े से बांध कर रख दिया है और दाम कम होने का इंतजार कर रहे हैं।
पसंद नहीं आ रहा है छोटा गैस सिलिंडर
गांव की महिलाओं को महंगाई की मार से बचाने के लिए एजेंसियों पर छोटा सिलेंडर मुहैया कराया है। पांच किग्रा का छोटा सिलिंडर उपभोक्ताओं को पसंद नहीं आ रहा है। दरअसल, छोटा सिलेंडर गांव में भराने को लेकर बड़ी समस्या होती है। बड़ा सिलेंडर हर स्थान पर आसानी से मिल जाता है।
इनसेट---
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना के तहत मुफ्त में गैस कनेक्शन देने पर बहुत खुशी मिली थी। कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री ने मुफ्त में रिफिल कराने का तोहफा दिया। मगर अब गैस सिलिंडर भराना काफी महंगा पड़ रहा है। महंगाई के चलते गृहस्थी की गाड़ी चलाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में गैस सिलेंडर कैसे भराया जाय।
सुमन देवी, मऊ,रामपुर, रानीगंज
इनसेट
0 कोरोना काल तक सिलेंडर रिफिल कराने का तोहफा मिला। मगर अब महंगाई ने कमर तोड़ दी है। 1055 रुपये में सिलिंडर रिफिल कराना काफी महंगा साबित हो रहा है। घर की गाड़ी चलाना वैसे भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। बच्चों की महंगी हुई पढ़ाई-लिखाई ने घर के बजट बिगाड़ दिया है।
अंतिमा गौतम, मुआरअधारगंज, शिवगढ़
0 मनरेगा की मजदूरी 213 रुपये प्रतिदिन है। अगर पांच दिन लगातार काम किया जाय, तो एक सिलेंडर रिफिल कराने के लिए रुपये मिलते हैं। अगर गैस सिलिंडर ले लिया जाय, तो घर का खर्च कैसेे चलेगा। 1055 रुपये में सिलिंडर रिफिल हो रहा है, इतने रुपये से सप्ताह भर के रसोई का खर्च निकल जाएगा। सब्सिडी भी आना बंद हो गई है, 49.50 रुपये में कुछ नहीं होता है।
कमला देवी, शिवगढ़
0 गैस सिलेंडर की महंगाई ने कमर तोड़ दिया है। डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ने के बाद कम हुए, मगर सिलिंडर के दाम बढ़ने के बाद कम नहीं हुए। छोटा सिलिंडर गांव में मिलता नहीं है और बड़ा सिलिंडर भराने के लिए रुपये नहीं होते हैं। हम गरीब लोग हैं, इतने रुपये नहीं होते हैं कि 1055 रुपये खर्च करके सिलेंडर रिफिल कराया जाय।
गुजराती देवी, गोबरी