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सर्वखाप पंचायतों के चलते चर्चाओं में रहा सोरम
मुजफ्फरनगर। शाहपुर से सटा गांव सोरम जिले के ऐतिहासिक गांवों में जाना जाता है। यहां प्राचीन समय से ही सर्वखाप पंचायतें होती आई हैं। 2013 के दंगे से पहले सोरम में ही दो वर्गों के युवकों के बीच विवाद हुआ था, जिसने जिले में चिंगारी का काम किया था। सोरम भाजपा और रालोद कार्यकर्ताओं की भिड़ंत के बाद एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है।
सोमवार को एक रस्म तेरहवी के दौरान गांव सोरम में भाजपा और रालोद समर्थकों के बीच हुई मारपीट ने तूल पकड़ लिया है। घटना के अगले दिन ही रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह जहां इस गांव में पहुंचे, वहीं पीछे नहीं हटने का संकल्प लेते हुए केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ संजीव बालियान ने भी एक भट्ठे पर जनसभा कर डाली। इससे क्षेत्र में रालोद और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच टकराव बढ़ने के आसार पैदा हो गए हैं। सोरम अपनी पंचायतों और एतिहासिक चौपाल के चलते जाना जाता है। 2013 के दंगे से पहले भी यह उस समय चर्चाओं में रहा, जब शाहपुर से सोरम जाते समय दो वगो4ं के युवकों में यहां मारपीट की घटना हुई। मामले ने इतना तूल पकड़ा की कई दिन तक विवाद बना रहा। तत्कालीन डीएम सुरेंद्र सिंह और एसएसपी मंजिल सैनी को मौके पर पहुंचकर कमान संभालनी पड़ी थी। उस समय के विधायक नवाजिश आलम सत्ता में शामिल थे और उन्हीं का प्रभाव था। बाद में भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत और पूर्व सांसद अमीर आलम खां के बीच बातचीत हुई और पूर्व सांसद के घर पर दोनो पक्षों के बीच फैसला हुआ। दोनो पक्षों में फैंसला तो हो गया, लेकिन इस घटना ने जिले में चिंगारी का काम किया और तत्कालीन सरकार के खिलाफ एक माहौल तैयार हुआ। कवाल की घटना के बाद जिले में दंगा हो गया।