न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मेरठ
Updated Thu, 05 Dec 2019 12:04 AM IST
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच स्थापना की मांग को लेकर सांसद राजेंद्र अग्रवाल और केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद के बीच लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान चार मिनट सात सेकेंड तक संवाद हुआ।
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि जसवंत सिंह कमीशन ने भी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की तीन खंडपीठ स्थापित करने की सिफारिश की। विधि आयोग की 230वीं रिपोर्ट में भी देश भर के बड़े राज्यों में उच्चन्यायालय की खंडपीठ स्थापित करने की सिफारिश की गई। लेकिन राज्य सरकार की सिफारिश के बावजूद इसके लिए आज तक इलाहाबाद उच्चन्यायालय की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। उन्होंने विधि मंत्री से सवाल किया कि जब उच्चन्यायालय से खंडपीठ स्थापित करने की स्वीकृति नहीं मिल पा रही है तो ऐसे में सरकार गरीबों के हितों की रक्षा करने के लिए क्या कदम उठाएगी। मंत्री ने सांसद की मांग को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में उनके सुझाव पर विचार अवश्य किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट बेंच मांग: वकीलों ने किया हड़ताल का ऐलान, संयुक्त बैठक में लिया गया यह बड़ा निर्णय
उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित करने की मांग वर्ष 1955 से चली आ रही है। तब यह मांग तत्कालीन मुख्यमंत्री संपूर्णानंद ने उठाई थी। उसके बाद साल 1976, 1978, 1979 और 1981 में भी इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया। समय-समय पर बड़े आंदोलन भी हुए। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में एक खंडपीठ और महाराष्ट्र में चार खंडपीठ मौजूद हैं। बेंच की मांग को लेकर पश्चिमी उप्र के वकील लंबे समय से हर शनिवार को हड़ताल पर रहते हैं।
संघर्ष समिति ने दिया धन्यवाद
लोकसभा में हाईकोर्ट बेंच का मुद्दा उठाने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट बेंच केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन मांगे राम और संयोजक नरेश दत्त शर्मा ने सांसद राजेंद्र अग्रवाल को धन्यवाद दिया है। दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि अपेक्षा है कि सरकार बेंच की मांग को जल्द पूरा करेगी।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच स्थापना की मांग को लेकर सांसद राजेंद्र अग्रवाल और केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद के बीच लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान चार मिनट सात सेकेंड तक संवाद हुआ।
सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि जसवंत सिंह कमीशन ने भी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की तीन खंडपीठ स्थापित करने की सिफारिश की। विधि आयोग की 230वीं रिपोर्ट में भी देश भर के बड़े राज्यों में उच्चन्यायालय की खंडपीठ स्थापित करने की सिफारिश की गई। लेकिन राज्य सरकार की सिफारिश के बावजूद इसके लिए आज तक इलाहाबाद उच्चन्यायालय की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। उन्होंने विधि मंत्री से सवाल किया कि जब उच्चन्यायालय से खंडपीठ स्थापित करने की स्वीकृति नहीं मिल पा रही है तो ऐसे में सरकार गरीबों के हितों की रक्षा करने के लिए क्या कदम उठाएगी। मंत्री ने सांसद की मांग को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में उनके सुझाव पर विचार अवश्य किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट बेंच मांग: वकीलों ने किया हड़ताल का ऐलान, संयुक्त बैठक में लिया गया यह बड़ा निर्णय
वर्ष 1955 से उठाई जा रही मांग
उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापित करने की मांग वर्ष 1955 से चली आ रही है। तब यह मांग तत्कालीन मुख्यमंत्री संपूर्णानंद ने उठाई थी। उसके बाद साल 1976, 1978, 1979 और 1981 में भी इस संबंध में प्रस्ताव भेजा गया। समय-समय पर बड़े आंदोलन भी हुए। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में एक खंडपीठ और महाराष्ट्र में चार खंडपीठ मौजूद हैं। बेंच की मांग को लेकर पश्चिमी उप्र के वकील लंबे समय से हर शनिवार को हड़ताल पर रहते हैं।
संघर्ष समिति ने दिया धन्यवाद
लोकसभा में हाईकोर्ट बेंच का मुद्दा उठाने पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट बेंच केंद्रीय संघर्ष समिति के चेयरमैन मांगे राम और संयोजक नरेश दत्त शर्मा ने सांसद राजेंद्र अग्रवाल को धन्यवाद दिया है। दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि अपेक्षा है कि सरकार बेंच की मांग को जल्द पूरा करेगी।
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