डोंगरा खुर्द/अर्जुन खिरिया। नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्राम गौना में हजारों रुपये की एक्सपायरी दवा खुले मैदान में फेंक दी गई है। इससे छोटे बच्चों को खतरा हो सकता है। दवाओं के अलावा सिरिंज, मल्हम और पट्टी भी पड़ी हुई हैं। अगर दवाओं को समय पर मरीजों को वितरित कर दिया होता तो उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता और शासन को हजारों रुपये के राजस्व का नुकसान नहीं होता।
नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण सन 1953 में कराया गया था, लेकिन अस्पताल की इमारत अब जर्जर हालत में पहुंच गई है। ग्रामीणों को उपचार, गर्भवती महिलाओं को प्रसव व टीकाकरण की सुविधाएं उपलब्ध हों इसके लिए मरीजों को भर्ती करने के लिए दो पलंग का वार्ड है। आपरेशन थियेटर भी है। लेकिन, फिर भी मरीजों को झोलाछाप चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है। सुरक्षा न होने के कारण अराजकतत्वों ने अस्पताल में तोड़फोड़ कर बाउंड्रीवाल को नुकसान पहुंचा दिया है। अस्पताल के आसपास के गांव गौना, बम्होरी, सड़खरी, नया गांव, जमौरा, पिपरिया आदि गांवों के लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा के लिए खोले गए इस अस्पताल की जिम्मेदारी जिस चिकित्सक के पास है, उनके पास एक और अस्पताल की जिम्मेदारी है। इस कारण वह मरीजों को पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं। मजबूरन ग्रामीणों को झोलाछाप चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है।
प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकार गंभीर है। मेडिकल कचरा खुले में न फेंका जाए, इसके लिए भी कड़े निर्देश हैं। इसके बाद भी खुले में मेडिकल कचरा फेंके जाने से जिम्मेदारों की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
अस्पताल परिसर में बिना रोकटोक के छुट्टा जानवर घूमते रहते हैं। चूंकि आवास में चिकित्सक नहीं रहते हैं और आवास के दरवाजे टूटे हैं, इसलिए जानवर अक्सर आवास में घुस जाते हैं और गंदगी फैलाते हैं। आसपास घास उगी हुई है, जिससे मच्छर पनप रहे हैं।
एक्सपायरी दवाओं को खुले में फेंके जाने की जांच करके दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यदि कोई व्यक्ति पैसे मांगने की लिखित शिकायत करता है तो नियमानुुसार जांच कराएंगे।
- डा. प्रताप सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
चिकित्सक से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि अस्पताल में गंदगी क्यों रहती है। जवाब आने पर ही कार्रवाई की जाएगी।
- डा. विशाल पाठक, स्वास्थ्य अधीक्षक, मड़ावरा
शासन का ग्रामीणों को समुचित उपचार मिलने का मकसद पूरा नहीं हो रहा है। चारों ओर गंदगी पसरी है, जिससे लोगों को स्वस्थ्य होने की बजाए संक्रमित बीमारियों के फैलने का खतरा भी है।
- कल्लन महाराज
अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मी रुकते नहीं हैं। इस कारण गंदगी की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। अस्पताल खुलने का समय निर्धारित नहीं है, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
-बालकिशन कुशवाहा
अस्पताल में बिना पैसे की दवा नहीं मिल पाती है। अगर पैसा न दिया जाए तो टालमटोल की जाती है, जिससे मरीज भी अस्पताल से कन्नी काटते हैं।
- कोमल राय
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों से सीधे मुंह बात नहीं की जाती है। पैसा मांगा जाता है, जिससे ग्रामीण अस्पताल में आना कम पसंद करते हैं।
- जयपाल घोष
गौना का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। - फोटो : LALITPUR
डोंगरा खुर्द/अर्जुन खिरिया। नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्राम गौना में हजारों रुपये की एक्सपायरी दवा खुले मैदान में फेंक दी गई है। इससे छोटे बच्चों को खतरा हो सकता है। दवाओं के अलावा सिरिंज, मल्हम और पट्टी भी पड़ी हुई हैं। अगर दवाओं को समय पर मरीजों को वितरित कर दिया होता तो उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिलता और शासन को हजारों रुपये के राजस्व का नुकसान नहीं होता।
नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण सन 1953 में कराया गया था, लेकिन अस्पताल की इमारत अब जर्जर हालत में पहुंच गई है। ग्रामीणों को उपचार, गर्भवती महिलाओं को प्रसव व टीकाकरण की सुविधाएं उपलब्ध हों इसके लिए मरीजों को भर्ती करने के लिए दो पलंग का वार्ड है। आपरेशन थियेटर भी है। लेकिन, फिर भी मरीजों को झोलाछाप चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है। सुरक्षा न होने के कारण अराजकतत्वों ने अस्पताल में तोड़फोड़ कर बाउंड्रीवाल को नुकसान पहुंचा दिया है। अस्पताल के आसपास के गांव गौना, बम्होरी, सड़खरी, नया गांव, जमौरा, पिपरिया आदि गांवों के लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा के लिए खोले गए इस अस्पताल की जिम्मेदारी जिस चिकित्सक के पास है, उनके पास एक और अस्पताल की जिम्मेदारी है। इस कारण वह मरीजों को पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं। मजबूरन ग्रामीणों को झोलाछाप चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ता है।
प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सरकार गंभीर है। मेडिकल कचरा खुले में न फेंका जाए, इसके लिए भी कड़े निर्देश हैं। इसके बाद भी खुले में मेडिकल कचरा फेंके जाने से जिम्मेदारों की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
अस्पताल परिसर में बिना रोकटोक के छुट्टा जानवर घूमते रहते हैं। चूंकि आवास में चिकित्सक नहीं रहते हैं और आवास के दरवाजे टूटे हैं, इसलिए जानवर अक्सर आवास में घुस जाते हैं और गंदगी फैलाते हैं। आसपास घास उगी हुई है, जिससे मच्छर पनप रहे हैं।
एक्सपायरी दवाओं को खुले में फेंके जाने की जांच करके दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यदि कोई व्यक्ति पैसे मांगने की लिखित शिकायत करता है तो नियमानुुसार जांच कराएंगे।
- डा. प्रताप सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी
चिकित्सक से स्पष्टीकरण मांगा गया है कि अस्पताल में गंदगी क्यों रहती है। जवाब आने पर ही कार्रवाई की जाएगी।
- डा. विशाल पाठक, स्वास्थ्य अधीक्षक, मड़ावरा
शासन का ग्रामीणों को समुचित उपचार मिलने का मकसद पूरा नहीं हो रहा है। चारों ओर गंदगी पसरी है, जिससे लोगों को स्वस्थ्य होने की बजाए संक्रमित बीमारियों के फैलने का खतरा भी है।
- कल्लन महाराज
अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मी रुकते नहीं हैं। इस कारण गंदगी की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। अस्पताल खुलने का समय निर्धारित नहीं है, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
-बालकिशन कुशवाहा
अस्पताल में बिना पैसे की दवा नहीं मिल पाती है। अगर पैसा न दिया जाए तो टालमटोल की जाती है, जिससे मरीज भी अस्पताल से कन्नी काटते हैं।
- कोमल राय
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों से सीधे मुंह बात नहीं की जाती है। पैसा मांगा जाता है, जिससे ग्रामीण अस्पताल में आना कम पसंद करते हैं।
- जयपाल घोष
गौना का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र। - फोटो : LALITPUR