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झांसी में लाइट मेट्रो दौड़ाने का जिम्मा राइट्स कंपनी को मिला, रूट के लिए सर्वे जल्द

Jhansi Bureau झांसी ब्यूरो
Updated Tue, 12 Jul 2022 01:21 AM IST
Rights company got the responsibility of running light metro in Jhansi, soon the survey for the route
झांसी। झांसी में लाइट मेट्रो परियोजना के काम में अब तेजी आएगी। शासन ने मेट्रो के लिए जाल बिछाने का जिम्मा राइट्स कंपनी को दिया है। यह कंपनी जल्द ही रूट के लिए सर्वे शुरू करने जा रही है। इस कंपनी को पहले फेज का काम 2024 तक पूरा करना होगा। सर्वे के बाद ही रूट और कुल कितने स्टेशन बनेंगे यह तय किया जाएगा। वहीं शासन ने भी प्रोजेक्ट को तेजी के साथ शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

मई माह में यूपी कैबिनेट ने झांसी में लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इसकी कार्यदायी संस्था के तौर पर जेडीए को चुना गया था। आवास एवं शहरी नियोजन को निर्माण एजेंसी चयनित करने की जिम्मेदारी दी गई। करीब डेढ़ महीने की कवायद के बाद केंद्रीय निर्माण एजेंसी राइट्स लिमिटेड को यह काम सौंप दिया गया। राइट्स अभी नगर निगम की मदद से महानगर का मोबिलिटी प्लान तैयार करने में जुटी है। राइट्स महानगर की ट्रैफिक व्यवस्था का भी सर्वे कर चुकी है। इसके चलते ही यह काम उसे दिया गया है। वहीं, जेडीए सचिव दिनेश कुमार का कहना है शासन की गाइड लाइन के मुताबिक काम शुरू कर दिया गया है। इस काम में जल्द ही तेजी आएगी।

पहले मेट्रो को मंजूरी मिली थी अब लाइट मेट्रो आ गई
लाइट मेट्रो से पहले वर्ष 2019 में महानगर में मेट्रो चलाने का प्रस्ताव भी कैबिनेट मंजूर कर चुकी है। सरकार ने सर्वे एवं डीपीआर तैयार करने को बजट में 150 करोड़ का प्रावधान भी कर दिया लेकिन, पूरा प्रस्ताव तीन साल तक ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। बजट में प्रस्तावित रकम के बारे में भी कुछ नहीं पता चला। जेडीए अफसरों का कहना है कि मेट्रो प्रोजेक्ट के काफी महंगा होने की वजह से इसे आगे नहीं बढ़ाया गया।
करीब एक हजार करोड़ की लागत का अनुमान
लाइट मेट्रो की लागत मेट्रो की लागत से काफी कम होती है। राइट्स कंपनी के अभियंताओं का कहना है कि मेट्रो को अगर पुलों के सहारे बिछाया जाता है तब उसकी लागत करीब 250 करोड़ प्रति किलोमीटर पड़ती है जबकि अंडरग्राउंड बिछाने पर यह लागत बढ़कर करीब 450 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर हो जाती है। लाइट मेट्रो में यह लागत करीब 135-150 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर के बीच रहती है। राइट्स कंपनी के जेएम जोशी का कहना है कि छोटे शहरों में लाइट मेट्रो बिछाने का काम अधिक किफायती है। कांट्रेक्ट होने के बाद जल्द ही डीपीआर बनाने का काम शुरू होगा।
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