पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
उरई। रेलवे स्टेशन पर टिकटों की मारामारी है। हालत यह है कि लोग रजाई गद्दा लेकर आरक्षण काउंटर के सामने रात गुजारने को मजबूर है। दो-दो दिनों तक लाइन लगाने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं मिल पाता है। आरोप लगाया कि खिड़कियों पर दलालों का बोलबाला है। जीआरपी और आरपीएफ को यात्रियों की बेबसी नजर नहीं आती। जिसे टिकट मिल जाता है, वह कहता है कि जंग जीत ली।
बता दें कि कोरोना काल के बाद अब जनरल टिकट के लिए आरक्षण जरूरी हो गया। दिवाली और छठ पूजा के त्योहार के बाद अब टिकटों को लेकर मारामारी तेज हो गई। ऐसे में तत्काल टिकट पाना किसी जंग जीतने के बराबर ही हो गया है। सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक आरक्षण खिड़की संचालित होती है। इसमें एसी कोच के लिए सुबह 10 बजे से और स्लीपर क्लास के लिए 11 बजे से तत्काल आरक्षण होते हैं।
मंगलवार की रात आरक्षण खिड़की के पास कुछ लोग रजाई गद्दा लेकर लेटे हुए थे। पूछने पर बताया कि बुधवार को तत्काल टिकट के लिए अभी से लाइन लगा ली है। मंगलवार को जो चार पांच लोग रात में लाइन लगाए थे, उनमें बुधवार को सिर्फ एक व्यक्ति का ही तत्काल आरक्षण टिकट बन पाया।
छिरिया सलेमपुर के विनय कुमार ने बताया कि वह 19 तारीख से रोजाना रात को नंबर लगा जाते है और सुबह जब नंबर आता है तो खिड़की पर तैनात कर्मचारी सीट फुल होने की बात कह देता है। एक दो बार वेटिंग भी टिकट मिला लेकिन कंफर्म न होने के कारण यात्रा नहीं कर पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि रात में ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मी भरोसा देते रहते हैं लेकिन सुबह न जाने क्या हो जाता है, उनका टिकट नहीं हो पाता है। उन्हें झांसी से गुंदकल (कर्नाटक) जाना है।
गोहन निवासी राहुल कुशवाहा ने बताया कि उनके चाचा समेत तीन लोगों को झांसी से धर्मावरम (कर्नाटक) जाना है। वह अपने साथी के साथ टिकट के लिए आए थे। यहां एक लिस्ट रखी थी, उसमें नाम लिखकर कुछ देर के लिए बाहर चले गए थे। वापस आए तो लिस्ट गायब हो गई। उन्होंने पुलिस कर्मियों से भी शिकायत की लेकिन वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। सुबह तीसरे नंबर पर लगे थे। जब तक नंबर आया, तब तक सीट फुल हो चुकी थी।
उरई। रेलवे स्टेशन पर टिकटों की मारामारी है। हालत यह है कि लोग रजाई गद्दा लेकर आरक्षण काउंटर के सामने रात गुजारने को मजबूर है। दो-दो दिनों तक लाइन लगाने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं मिल पाता है। आरोप लगाया कि खिड़कियों पर दलालों का बोलबाला है। जीआरपी और आरपीएफ को यात्रियों की बेबसी नजर नहीं आती। जिसे टिकट मिल जाता है, वह कहता है कि जंग जीत ली।
बता दें कि कोरोना काल के बाद अब जनरल टिकट के लिए आरक्षण जरूरी हो गया। दिवाली और छठ पूजा के त्योहार के बाद अब टिकटों को लेकर मारामारी तेज हो गई। ऐसे में तत्काल टिकट पाना किसी जंग जीतने के बराबर ही हो गया है। सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक आरक्षण खिड़की संचालित होती है। इसमें एसी कोच के लिए सुबह 10 बजे से और स्लीपर क्लास के लिए 11 बजे से तत्काल आरक्षण होते हैं।
मंगलवार की रात आरक्षण खिड़की के पास कुछ लोग रजाई गद्दा लेकर लेटे हुए थे। पूछने पर बताया कि बुधवार को तत्काल टिकट के लिए अभी से लाइन लगा ली है। मंगलवार को जो चार पांच लोग रात में लाइन लगाए थे, उनमें बुधवार को सिर्फ एक व्यक्ति का ही तत्काल आरक्षण टिकट बन पाया।
छिरिया सलेमपुर के विनय कुमार ने बताया कि वह 19 तारीख से रोजाना रात को नंबर लगा जाते है और सुबह जब नंबर आता है तो खिड़की पर तैनात कर्मचारी सीट फुल होने की बात कह देता है। एक दो बार वेटिंग भी टिकट मिला लेकिन कंफर्म न होने के कारण यात्रा नहीं कर पाए। उन्होंने आरोप लगाया कि रात में ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मी भरोसा देते रहते हैं लेकिन सुबह न जाने क्या हो जाता है, उनका टिकट नहीं हो पाता है। उन्हें झांसी से गुंदकल (कर्नाटक) जाना है।
गोहन निवासी राहुल कुशवाहा ने बताया कि उनके चाचा समेत तीन लोगों को झांसी से धर्मावरम (कर्नाटक) जाना है। वह अपने साथी के साथ टिकट के लिए आए थे। यहां एक लिस्ट रखी थी, उसमें नाम लिखकर कुछ देर के लिए बाहर चले गए थे। वापस आए तो लिस्ट गायब हो गई। उन्होंने पुलिस कर्मियों से भी शिकायत की लेकिन वे कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। सुबह तीसरे नंबर पर लगे थे। जब तक नंबर आया, तब तक सीट फुल हो चुकी थी।