हरदोई। कभी भुगतान में देरी तो कभी तौल में खेल के कारण किसानों की गन्ने की खेती के प्रति रुचि कुछ कम होती दिख रही है। किसानों का कहना है कि तौल न होने और पर्ची व भुगतान न मिलने से वह परेशान हैं। अगर ऐसा ही हाल रहा तो गन्ना सूख जाएगा और उन्हें नुकसान होगा। किसानों का कहना है कि मिल प्रबंधन इसके प्रति बेपरवाह है।
एक दौर था जब जिले में सिर्फ एक सरकारी चीनी मिल थी, तब करीब 65 हजार हेक्टेयर रकबे में सवा लाख के करीब किसान गन्ने की खेती करते थे। वर्तमान में तीन चीनी मिलें हैं लेकिन बीस सालों में गन्ने का रकबा सिर्फ 13 हजार हेक्टेयर ही बढ़ा है। इकलौती सरकारी चीनी मिल 20 साल पहले बंद हो गई थी और सरकार इसकी नीलामी भी कर चुकी है। इसके बाद निजी क्षेत्र की चार चीनी मिलें स्थापित हुईं। जिसमें एक ही ग्रुप की तीन चीनी मिलें रूपापुर, हरियावां, लोनी में हैं। बघौली में स्थापित हुई चीनी मिल कुछ वर्षों तक संचालित होने के बाद बंद हो गई।
इस बार चीनी मिलों ने गन्ना खरीदने के 15 दिन के भीतर भुगतान करने के नियम का पालन कर अभी तक कुल खरीद 218.78 लाख क्विंटल के मूल्य 75817.08 लाख की जगह 63632.56 लाख का भुगतान किया है। मगर गन्ना खरीदने व तौल को लेकर गति काफी धीमी है। कृषक अनिल कुमार ने कहा कि गन्ने की पर्ची और तौल कराने के मामले में मिल प्रबंधन बेपरवाह है। ऐसे ही रहा तो अगले महीने से बदलते मौसम के बीच चटख धूप में गन्ने का रस सूखने लगेगा और किसानों को कम वजन के कारण नुकसान उठाना पड़ेगा।
पांच वर्षों में उतार चढ़ाव
वर्ष रकबा हेक्टेयर गन्ना उत्पादन
2017-18 48791 690.00 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
2018-19 78897 755.32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
2019-20 73719 783.20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
2020-21 72714 784.28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
2021-22 78160 793.24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
लाल रोग ने बढ़ाई किसानों की चिंता
चीनी मिलों के आंकड़ों में करीब एक लाख 60 हजार गन्ना किसान दर्ज हैं। इनमें से कई किसानों ने पांच साल पूर्व गन्ना मूल्य के भुगतान से लेकर अन्य दिक्कतों के कारण गन्ने की खेती से मुंह मोड़ लिया था। 2017-18 और उससे पहले गन्ने का रकबा 50 हजार हेक्टयर के नीचे आ गया था। पांच वर्षों में गन्ने की उपज 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ी है। उपज बढ़ने वाली गन्ने की प्रजाति में अब लाल रोग लग गया है, जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। गन्ना किसान अरुण कुमार ने बताया कि लाल रोग में गन्ना भीतर से सूख जाता है और गन्ने की भीतर लाल रंग लिए कम रस वाली खोई रह जाती है। इसके कारण गन्ने का वजन काफी कम हो जाता है।
इस तरह हो रही पेेराई
जिले में संचालित तीनों चीनी मिलें एक शुगर समूह की हैं। इनका पेराई सत्र नवंबर के प्रथम सप्ताह में शुरू हो गया था। तीनों चीनी मिलों रूपापुर, हरियावां, लोनी के गेटों पर गन्ने की तौल होने के साथ ही करीब 90 सेंटरों के माध्यम से गन्ने की खरीद की जाती है। गन्ने का सर्वे कराने के बाद किसानों को पर्ची उनके मोबाइल नंबर पर भेजी जाती है। इस साल गन्ने का मूल्य 350 रुपये निर्धारित है।
जानकारी कर बताएंगे
जिला गन्ना अधिकारी सना आफरीन ने कहा कि जिले में कितने तौल सेंटर संचालित हो रहे हैं और कितने किसानों तक खरीद की पर्चियां उनके मोबाइल नंबर पर पहुंच गईं, इसकी जानकारी चीनी मिलों से करने के बाद दे सकेंगे। उन्होंने बताया कि निर्वाचन ड्यूटी के कारण अभी वो बाहर हैं ।
हरदोई। कभी भुगतान में देरी तो कभी तौल में खेल के कारण किसानों की गन्ने की खेती के प्रति रुचि कुछ कम होती दिख रही है। किसानों का कहना है कि तौल न होने और पर्ची व भुगतान न मिलने से वह परेशान हैं। अगर ऐसा ही हाल रहा तो गन्ना सूख जाएगा और उन्हें नुकसान होगा। किसानों का कहना है कि मिल प्रबंधन इसके प्रति बेपरवाह है।
एक दौर था जब जिले में सिर्फ एक सरकारी चीनी मिल थी, तब करीब 65 हजार हेक्टेयर रकबे में सवा लाख के करीब किसान गन्ने की खेती करते थे। वर्तमान में तीन चीनी मिलें हैं लेकिन बीस सालों में गन्ने का रकबा सिर्फ 13 हजार हेक्टेयर ही बढ़ा है। इकलौती सरकारी चीनी मिल 20 साल पहले बंद हो गई थी और सरकार इसकी नीलामी भी कर चुकी है। इसके बाद निजी क्षेत्र की चार चीनी मिलें स्थापित हुईं। जिसमें एक ही ग्रुप की तीन चीनी मिलें रूपापुर, हरियावां, लोनी में हैं। बघौली में स्थापित हुई चीनी मिल कुछ वर्षों तक संचालित होने के बाद बंद हो गई।
इस बार चीनी मिलों ने गन्ना खरीदने के 15 दिन के भीतर भुगतान करने के नियम का पालन कर अभी तक कुल खरीद 218.78 लाख क्विंटल के मूल्य 75817.08 लाख की जगह 63632.56 लाख का भुगतान किया है। मगर गन्ना खरीदने व तौल को लेकर गति काफी धीमी है। कृषक अनिल कुमार ने कहा कि गन्ने की पर्ची और तौल कराने के मामले में मिल प्रबंधन बेपरवाह है। ऐसे ही रहा तो अगले महीने से बदलते मौसम के बीच चटख धूप में गन्ने का रस सूखने लगेगा और किसानों को कम वजन के कारण नुकसान उठाना पड़ेगा।
पांच वर्षों में उतार चढ़ाव
वर्ष रकबा हेक्टेयर गन्ना उत्पादन
2017-18 48791 690.00 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
2018-19 78897 755.32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
2019-20 73719 783.20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
2020-21 72714 784.28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
2021-22 78160 793.24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
लाल रोग ने बढ़ाई किसानों की चिंता
चीनी मिलों के आंकड़ों में करीब एक लाख 60 हजार गन्ना किसान दर्ज हैं। इनमें से कई किसानों ने पांच साल पूर्व गन्ना मूल्य के भुगतान से लेकर अन्य दिक्कतों के कारण गन्ने की खेती से मुंह मोड़ लिया था। 2017-18 और उससे पहले गन्ने का रकबा 50 हजार हेक्टयर के नीचे आ गया था। पांच वर्षों में गन्ने की उपज 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ी है। उपज बढ़ने वाली गन्ने की प्रजाति में अब लाल रोग लग गया है, जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। गन्ना किसान अरुण कुमार ने बताया कि लाल रोग में गन्ना भीतर से सूख जाता है और गन्ने की भीतर लाल रंग लिए कम रस वाली खोई रह जाती है। इसके कारण गन्ने का वजन काफी कम हो जाता है।
इस तरह हो रही पेेराई
जिले में संचालित तीनों चीनी मिलें एक शुगर समूह की हैं। इनका पेराई सत्र नवंबर के प्रथम सप्ताह में शुरू हो गया था। तीनों चीनी मिलों रूपापुर, हरियावां, लोनी के गेटों पर गन्ने की तौल होने के साथ ही करीब 90 सेंटरों के माध्यम से गन्ने की खरीद की जाती है। गन्ने का सर्वे कराने के बाद किसानों को पर्ची उनके मोबाइल नंबर पर भेजी जाती है। इस साल गन्ने का मूल्य 350 रुपये निर्धारित है।
जानकारी कर बताएंगे
जिला गन्ना अधिकारी सना आफरीन ने कहा कि जिले में कितने तौल सेंटर संचालित हो रहे हैं और कितने किसानों तक खरीद की पर्चियां उनके मोबाइल नंबर पर पहुंच गईं, इसकी जानकारी चीनी मिलों से करने के बाद दे सकेंगे। उन्होंने बताया कि निर्वाचन ड्यूटी के कारण अभी वो बाहर हैं ।