{"_id":"75309","slug":"Hardoi-75309-37","type":"story","status":"publish","title_hn":"हरे चारे का टोटा, दूध का संकट ","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
हरदोई। गर्मी बढ़ने के साथ ही हरे चारे का टोटा पड़ गया है, जिससे दुधारू पशुओं का दूध 40 फीसदी तक क म हो गया है, जिससे दूध की मांग को पूरा करने को दूधियों ने मिलावट का खेल काफी तेज कर दिया है। दूध में पानी मिलाने के साथ ही उसे गाढ़ा करने को घातक रासायनिक चीजों का उपयोग किया जा रहा है।
जिले में 1101 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें प्रति ग्राम पंचायत सर्दी, बारिश के मौसम में 5 से 6 सौ लीटर दूध का उत्पादन होता है। जिले में 7 पालिका एवं 6 पंचायत क्षेत्र हैं, जहां औसतन हर रोज 1 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। इस तरह सर्दी, बारिश के मौसम में जिले भर में करीब 6 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है, जिसमें करीब 30 फीसदी दूध लोग अपने प्रयोग तथा खोया एवं घी आदि बनाने को रोक लेते हैं और करीब 4 लाख लीटर दूध की हर रोज बिक्री दूधियों एवं डेरियों के माध्यम से होती है। 40 लाख आबादी वाले इस जिले में दूध की सबसे ज्यादा मांग नगरीय क्षेत्रों में होती है।
हरदोई शहर में दूध की मांग हर रोज 50 हजार लीटर है, जिसकी पूर्ति में करीब 10 फीसदी हिस्सा सहकारी डेयरी पराग एवं 40 फीसदी पूर्ति नगर क्षेत्र के दुग्ध उत्पादकों द्वारा एवं 50 फीसदी पूर्ति आसपास के गांवों के दूधियों एवं पैकेट बंद दूध से होती है। इस समय सिर्फ हरदोई शहर में ही पराग डेयरी को छोड़कर शेष सभी पूर्ति करने वाले दुग्ध विक्रेताओं की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है। जिस तरह से गर्मी में 40 फीसदी तक दुग्ध उत्पादन घटा है, उसके सापेक्ष दूध की मांग घटी नहीं, बल्कि बढ़ी है। जिसकी पूर्ति को मिलावट की जा रही है। यही हाल संडीला, शाहाबाद, सांडी, पिहानी, बिलग्राम, मल्लावां आदि क्षेत्रों का है।
पंचायत क्षेत्रों में गोपामऊ, कछौना, पाली, बेनीगंज, पाली तथा कुरसठ एवं माधौगंज में भी दूध की मांग को पूरा करने को मिलावट हो रही है। ज्ञात हो कि गांवों से लेकर नगरों में दूध की खरीद कर रही निजी क्षेत्र की कंपनियों से मांग के सापेक्ष यहां दूध की उपलब्धता कम हो रही और मिलावट से मांग को पूरा किया जा रहा है। उधर, पराग डेयरी के वरिष्ठ प्रबंधक एससी सिंह कहते हैं कि गर्मी में दूध का उत्पादन 40 फीसदी तक गिर जाता है और इसे रोकने को पशुपालकों को दुधारू पशुओं को हरा चारा देने की व्यवस्था करने के साथ पौष्टिक दाना आदि देना चाहिए। दूध खरीदने वाले इसकी शुद्धता की जांच फूड सेल में या पराग डेयरी में करा सकते हैं।
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