23 अक्तूबर 2010 को हुई थी सर्राफ अतुल की गोली मारकर हत्या
गाजियाबाद। जिले के इतिहास के सबसे सनसनीखेज हत्याकांडों में से एक है सर्राफ अतुल गोयल हत्याकांड। लखनऊ तक गूंजने और एनसीआर को झकझोर देने वाला यह मर्डर हमेशा के लिए मिस्ट्री बनकर रह जाएगा। दरअसल, अतुल गोयल के कातिलों ने खाकी को भी मात दे दी है। कातिलों को पकड़ने में नाकाम पुलिस ने गुपचुप तरीके से इस केस में फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगाकर केस की फाइल बंद कर दी है। फाइनल रिपोर्ट में पुलिस ने लिखा...‘हमें कातिलों का कोई सुराग नहीं मिला, इसलिए केस बंद किया जाता है।’
23 अक्तूबर 2010 को शहर के प्रतिष्ठित सर्राफ अतुल गोयल उर्फ टोनी (50) का दिनदहाड़े अगवा कर कत्ल कर दिया गया था। कविनगर सी-ब्लॉक में पुलिस चौकी से महज चंद कदमों की दूरी पर उनकी लाश उन्हीं की वैगनआर कार में मिली थी। गोली उनकी बाईं कनपटी पर लगी थी। उनके दोनों मोबाइल, पर्स और लाइसेंसी पिस्टल कार में ही थे। उनके पिस्टल से एक गोली चली हुई थी, जबकि एक गोली पिस्टल में फंसी थी। कार में डैक की आवाज तेज कर दी गई थी, ताकि गोली की आवाज और अतुल की चीख लोगों तक न पहुंच सके। सनसनीखेज वारदात से शहर में कोहराम मच गया था। गुस्साए व्यापारियों ने बाजार बंद कर दिए थे।
इस केस की जांच दो इंस्पेक्टरों और एक एसएसआई ने की। लेकिन तीनों फेल हो गए। पहले एसएसआई बिजेंद्र सिंह को सौंपी गई थी, फिर इंस्पेक्टर विवेक रंजन राय और आखिर में इंस्पेक्टर एलएस मौर्य को।