फतेहपुर। जेल प्रशासन ने निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाने की मुहिम शुरू की है। ऐसे 250 बंदी काउंसलिंग के बाद छांटे गए हैं। उन्हें साक्षर बनाने की जिम्मेदारी होनहार बंदियों को दी गई है। जेल प्रशासन ने पढ़ाई लिखाई में आने वाले खर्च के लिए सामाजिक संस्थाओं की मदद ली है।
जिला कारागार में हत्या, लूट, डकैती, चोरी, जरायम पेशे समेत तमाम अपराधों में संलिप्त रहने वाले करीब 1400 बंदी निरुद्घ हैं। इनमें 55 महिला बंदी शामिल हैं। जेल में बंद 17 महिलाओं समेत 250 बंदी ऐेसे हैं जो निरक्षर हैं।
इनको साक्षर बनाने के लिए 11 शिक्षित बंदी नियुक्त किए गए हैं। बैरक के बरामदे में कक्षा चलाई जाएगी। ब्लैक बोर्ड लगाकर कैदियों को साक्षर बनाने के लिए प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से दो बजे तक कक्षाएं चलेंगी। पढ़ाई-लिखाई में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की आपूर्ति सामाजिक संस्था ‘ट्रुथ मिशन स्कूल’ द्वारा की जाएगी।
जेल अधीक्षक मो. अकरम खान ने बताया कि शिक्षा के अभाव में व्यक्ति अपराध करता है। हमारी कोशिश होगी कि जेल में रहने वाला हर बंदी कम से कम अपना नाम और पता लिखना सीख जाए। जेल से रिहा होने के बाद वह भी समाज की मुख्यधारा से जुड़े और जीवनयापन के लिए रोजगार कर सके। बीएसए कार्यालय से दो महिला शिक्षक महिला बंदियों के लिए मिली हैं। साक्षर अभियान का संचालक जेल में नियुक्त शिक्षक अभय प्रताप सिंह द्वारा किया जाएगा।
जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में लाइब्रेरी का जल्द ही इंतजाम किया जाएगा। जो बंदी पढ़ाई का शौक रखते हैं। उन्हें लाइब्रेरी से किताबें उपलब्ध होंगी। वह प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा जेल से ग्रहण कर सकेंगे।
फतेहपुर। जेल प्रशासन ने निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाने की मुहिम शुरू की है। ऐसे 250 बंदी काउंसलिंग के बाद छांटे गए हैं। उन्हें साक्षर बनाने की जिम्मेदारी होनहार बंदियों को दी गई है। जेल प्रशासन ने पढ़ाई लिखाई में आने वाले खर्च के लिए सामाजिक संस्थाओं की मदद ली है।
जिला कारागार में हत्या, लूट, डकैती, चोरी, जरायम पेशे समेत तमाम अपराधों में संलिप्त रहने वाले करीब 1400 बंदी निरुद्घ हैं। इनमें 55 महिला बंदी शामिल हैं। जेल में बंद 17 महिलाओं समेत 250 बंदी ऐेसे हैं जो निरक्षर हैं।
इनको साक्षर बनाने के लिए 11 शिक्षित बंदी नियुक्त किए गए हैं। बैरक के बरामदे में कक्षा चलाई जाएगी। ब्लैक बोर्ड लगाकर कैदियों को साक्षर बनाने के लिए प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से दो बजे तक कक्षाएं चलेंगी। पढ़ाई-लिखाई में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की आपूर्ति सामाजिक संस्था ‘ट्रुथ मिशन स्कूल’ द्वारा की जाएगी।
जेल अधीक्षक मो. अकरम खान ने बताया कि शिक्षा के अभाव में व्यक्ति अपराध करता है। हमारी कोशिश होगी कि जेल में रहने वाला हर बंदी कम से कम अपना नाम और पता लिखना सीख जाए। जेल से रिहा होने के बाद वह भी समाज की मुख्यधारा से जुड़े और जीवनयापन के लिए रोजगार कर सके। बीएसए कार्यालय से दो महिला शिक्षक महिला बंदियों के लिए मिली हैं। साक्षर अभियान का संचालक जेल में नियुक्त शिक्षक अभय प्रताप सिंह द्वारा किया जाएगा।
जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में लाइब्रेरी का जल्द ही इंतजाम किया जाएगा। जो बंदी पढ़ाई का शौक रखते हैं। उन्हें लाइब्रेरी से किताबें उपलब्ध होंगी। वह प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा जेल से ग्रहण कर सकेंगे।