पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
बदायूं। कभी सोना उगलने वाली जिले की मिट्टी की उर्वरा शक्ति अब कम होने लगी है। मिट्टी के नमूनों की हुई जांच से पता चला है कि यहां की मिट्टी में जीवांश व अन्य आवश्यक तत्वों की मात्रा तेजी से घट रही है। इसके साथ ही कई इलाकों में पीएच घटने से मिट्टी अम्लीय हो रही है। यह आने वाले समय में किसानों के लिए मुसीबत बनकर सामने आ सकती है।
जिले की बड़ी आबादी कृषि पर आश्रित है। ऐसे में इन इलाकों में अनाज की अच्छी उपज होती है, लेकिन रसायनिक उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति लगातार कम होती जा रही है। विभाग की ओर से पिछले दिनों नमामि गंगे योजना के तहत दहगवां, सहसवान, उझानी, कादरचौक आदि गांव से 17 सौ से अधिक मिट्टी के नमूने लिए गए। उसमें मिट्टी में जीवांश आदि की कमियां मिली थी। ऐसे में अगर समय रहते किसानों ने अपने आप में बदलाव नहीं किया, तो आने वाले समय में उर्वरक क्षमता और कम होती जाएगी, क्योंकि किसान खेतों से अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं। इससे उन्हें उत्पादन तो ठीक ठाक मिल रहा है, परंतु खेतों की उर्वरा शक्ति लगातार कम होती जा रही है, जबकि दीर्घकाल तक फसलों से अच्छी पैदावार लेने के लिए भूमि में पोषक तत्वों का पर्याप्त मात्रा में होना जरूरी है।
हाल ही में डीएम कुमार प्रशांत के प्रयासों से जनपद में मिट्टी की जांच करने आयी सचल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला गांव-गांव जाकर मिट्टी की जांच कर रही है। उस जांच में भी मिट्टी में तमाम कमियां मिल रही है। इसमें सबसे ज्यादा मिट्टी में पोटाश और नाइट्रोजन कम मिल रहा है। इसको बढ़ाने के लिए किसानों को जांच के बाद जागरूक किया जा रहा है।
पोटाश और नाइट्रोजन की मात्रा में आयी गिरावट
खेतों की मिट्टी में पोटाश, नाइट्रोजन की मात्रा घट गयी है। जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा 0.50 प्रतिशत होना चाहिए। मगर मिट्टी की जांच में यह 0.25 पाया गया है। नाइट्रोजन की कमी से पौधों की अपेक्षित बढ़वार नहीं होती है और क्लोरोफिल कम बनता है। इसका असर पैदावार पर पड़ता है। पोटाश की मात्रा 250 से 200 पर जा पहुंची है। जमीन में पोटाश की मात्रा कम होने पर दीमक, सूड़ियों का प्रकोप ज्यादा होता है।
-मिट्टी में 15 तत्व होते हैं, जिसमें मुख्य रूप से कार्बनिक पदार्थ हैं। अगर इसमें से नाइट्रोजन, पोटाश की कमी होती है, तो पौधा अपना जीवन पूरा नहीं कर पाता है। जिले में गंधक, कैल्शियम, जिंक की भी कमी देखी गई है। इससे उत्पादन पर काफी असर पड़ रहा है, क्योंकि जब पोषक तत्व की कमी होती है, तो कई तरह की बीमारियां भी फसलों में पनपने लगती है, साथ ही गुणवत्ता पर भी इसका साफ असर देखा जा सकता है। - डॉ. संजय कुमार, कृषि वैज्ञानिक
सचल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला (बस) द्वारा गांवों में जाकर मिट्टी की निशुल्क जांच की जा रही है। जांच में अब तक पोटाश और नाइट्रोजन की कमी मिली है। इसको लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। - विनोद कुमार, जिला कृषि अधिकारी
बदायूं। कभी सोना उगलने वाली जिले की मिट्टी की उर्वरा शक्ति अब कम होने लगी है। मिट्टी के नमूनों की हुई जांच से पता चला है कि यहां की मिट्टी में जीवांश व अन्य आवश्यक तत्वों की मात्रा तेजी से घट रही है। इसके साथ ही कई इलाकों में पीएच घटने से मिट्टी अम्लीय हो रही है। यह आने वाले समय में किसानों के लिए मुसीबत बनकर सामने आ सकती है।
जिले की बड़ी आबादी कृषि पर आश्रित है। ऐसे में इन इलाकों में अनाज की अच्छी उपज होती है, लेकिन रसायनिक उर्वरकों के बढ़ते प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति लगातार कम होती जा रही है। विभाग की ओर से पिछले दिनों नमामि गंगे योजना के तहत दहगवां, सहसवान, उझानी, कादरचौक आदि गांव से 17 सौ से अधिक मिट्टी के नमूने लिए गए। उसमें मिट्टी में जीवांश आदि की कमियां मिली थी। ऐसे में अगर समय रहते किसानों ने अपने आप में बदलाव नहीं किया, तो आने वाले समय में उर्वरक क्षमता और कम होती जाएगी, क्योंकि किसान खेतों से अधिक उत्पादन हासिल करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे हैं। इससे उन्हें उत्पादन तो ठीक ठाक मिल रहा है, परंतु खेतों की उर्वरा शक्ति लगातार कम होती जा रही है, जबकि दीर्घकाल तक फसलों से अच्छी पैदावार लेने के लिए भूमि में पोषक तत्वों का पर्याप्त मात्रा में होना जरूरी है।
हाल ही में डीएम कुमार प्रशांत के प्रयासों से जनपद में मिट्टी की जांच करने आयी सचल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला गांव-गांव जाकर मिट्टी की जांच कर रही है। उस जांच में भी मिट्टी में तमाम कमियां मिल रही है। इसमें सबसे ज्यादा मिट्टी में पोटाश और नाइट्रोजन कम मिल रहा है। इसको बढ़ाने के लिए किसानों को जांच के बाद जागरूक किया जा रहा है।
पोटाश और नाइट्रोजन की मात्रा में आयी गिरावट
खेतों की मिट्टी में पोटाश, नाइट्रोजन की मात्रा घट गयी है। जमीन में नाइट्रोजन की मात्रा 0.50 प्रतिशत होना चाहिए। मगर मिट्टी की जांच में यह 0.25 पाया गया है। नाइट्रोजन की कमी से पौधों की अपेक्षित बढ़वार नहीं होती है और क्लोरोफिल कम बनता है। इसका असर पैदावार पर पड़ता है। पोटाश की मात्रा 250 से 200 पर जा पहुंची है। जमीन में पोटाश की मात्रा कम होने पर दीमक, सूड़ियों का प्रकोप ज्यादा होता है।
-मिट्टी में 15 तत्व होते हैं, जिसमें मुख्य रूप से कार्बनिक पदार्थ हैं। अगर इसमें से नाइट्रोजन, पोटाश की कमी होती है, तो पौधा अपना जीवन पूरा नहीं कर पाता है। जिले में गंधक, कैल्शियम, जिंक की भी कमी देखी गई है। इससे उत्पादन पर काफी असर पड़ रहा है, क्योंकि जब पोषक तत्व की कमी होती है, तो कई तरह की बीमारियां भी फसलों में पनपने लगती है, साथ ही गुणवत्ता पर भी इसका साफ असर देखा जा सकता है। - डॉ. संजय कुमार, कृषि वैज्ञानिक
सचल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला (बस) द्वारा गांवों में जाकर मिट्टी की निशुल्क जांच की जा रही है। जांच में अब तक पोटाश और नाइट्रोजन की कमी मिली है। इसको लेकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। - विनोद कुमार, जिला कृषि अधिकारी