छाप तिलक सब छीनी... पर झूम उठे श्रोता
बस्ती। महोत्सव के शंखनाद के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत को भोजपुरी नाइट ने रंग भरे। मैथिली ठाकुर ने जब कार्यक्रम का आगाज भजन ले चल अपनी नगरिया अवध बिहारी सांवरिया से किया तो दर्शक तालियों से स्वागत करते रहे। फिर आजु मिथिला नगरिया निहाल सजना, चारो दूल्हा में बड़का कमाल साखियां.., के बाद पंडाल को भोजपुरी रंग में रंग दिया। एक के बाद एक भोजपुरी गीतों से दर्शकों की वाहवाही लूटी। अपनी आवाज का रंग छाप तिलक सब छीनी... से दिया, तो श्रोता उछल पड़े। इसके बाद दमादम मस्त कलंदर की प्रस्तुति पर पंडाल में बैठे श्रोता झूमने लगे। एक के बाद एक गीतों ने छटा बिखेर कर लोक गायिका ने महोत्सव को ऊंचाइयां दीं।
साढ़े आठ बजे से शुरू कार्यक्रम को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। जब मंच से घोषणा हुई कि लोक गायिका मैथिली ठाकुर इस शाम को अब अपनी सुरीली आवाज से लोकगीतों की झड़ी लगाएंगी तो वहां उपस्थित भीड़ ने तालियों से उनका स्वागत किया। मंच पर पहुंचते ही अभिवादन के बाद उन्होंने चिर परिचत अंदाज में माइक पर अपनी टीम का परिचय कराया। तबला वादक ऋषभ ठाकुर व अयाची ने धुन दिया तो मैथिली ने उसे रंगों से भर कर भोजपुरी गीत की तान छेड़ी। उनकी आवाज सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए। भोजपुरिया अंदाज में गीतों की झड़ी उन्होंने लगा दी। जब उन्होंने मेरे रस्के कमर... को स्वर दिया तो ठंड भरी रात में दर्शक जोश में झूमने लगे। इसके बाद पनिया के जहाज से पलटन लिए अइहा पिया.. की लहरी बिखेरी, जिस पर दर्शकों ने खूब वाहवाही लुटाई। मैथिली भोजपुरी गीतों की शुरुआत श्रीराम के मिथिला नगर पहुंचने पर अपने स्वर आज मिथिला नगरिया निहाल सजना... देकर किया। उन्होंने अपने समय का मशहूर अंगुरी में डसले बा नगिनियां रे... के बाद सैयां मिले लरकहियां मैं का करुं... जैसे भोजपुरी गीतों से खूब रंग जमाया, जिसके बाद दर्शक अपनी फरमाइशें करते रहे। उन्होंने चिर परिचिंत अंदांज में अभिवादन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।
छाप तिलक सब छीनी... पर झूम उठे श्रोता
बस्ती। महोत्सव के शंखनाद के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत को भोजपुरी नाइट ने रंग भरे। मैथिली ठाकुर ने जब कार्यक्रम का आगाज भजन ले चल अपनी नगरिया अवध बिहारी सांवरिया से किया तो दर्शक तालियों से स्वागत करते रहे। फिर आजु मिथिला नगरिया निहाल सजना, चारो दूल्हा में बड़का कमाल साखियां.., के बाद पंडाल को भोजपुरी रंग में रंग दिया। एक के बाद एक भोजपुरी गीतों से दर्शकों की वाहवाही लूटी। अपनी आवाज का रंग छाप तिलक सब छीनी... से दिया, तो श्रोता उछल पड़े। इसके बाद दमादम मस्त कलंदर की प्रस्तुति पर पंडाल में बैठे श्रोता झूमने लगे। एक के बाद एक गीतों ने छटा बिखेर कर लोक गायिका ने महोत्सव को ऊंचाइयां दीं।
साढ़े आठ बजे से शुरू कार्यक्रम को देखने के लिए भारी भीड़ उमड़ी। जब मंच से घोषणा हुई कि लोक गायिका मैथिली ठाकुर इस शाम को अब अपनी सुरीली आवाज से लोकगीतों की झड़ी लगाएंगी तो वहां उपस्थित भीड़ ने तालियों से उनका स्वागत किया। मंच पर पहुंचते ही अभिवादन के बाद उन्होंने चिर परिचत अंदाज में माइक पर अपनी टीम का परिचय कराया। तबला वादक ऋषभ ठाकुर व अयाची ने धुन दिया तो मैथिली ने उसे रंगों से भर कर भोजपुरी गीत की तान छेड़ी। उनकी आवाज सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए। भोजपुरिया अंदाज में गीतों की झड़ी उन्होंने लगा दी। जब उन्होंने मेरे रस्के कमर... को स्वर दिया तो ठंड भरी रात में दर्शक जोश में झूमने लगे। इसके बाद पनिया के जहाज से पलटन लिए अइहा पिया.. की लहरी बिखेरी, जिस पर दर्शकों ने खूब वाहवाही लुटाई। मैथिली भोजपुरी गीतों की शुरुआत श्रीराम के मिथिला नगर पहुंचने पर अपने स्वर आज मिथिला नगरिया निहाल सजना... देकर किया। उन्होंने अपने समय का मशहूर अंगुरी में डसले बा नगिनियां रे... के बाद सैयां मिले लरकहियां मैं का करुं... जैसे भोजपुरी गीतों से खूब रंग जमाया, जिसके बाद दर्शक अपनी फरमाइशें करते रहे। उन्होंने चिर परिचिंत अंदांज में अभिवादन के साथ कार्यक्रम का समापन किया।