बरेली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर समेत मंडल के अलावा बरेली, पीलीभीत और बदायूं समेत प्रदेश के 28 जिला महिला अस्पतालों और छह जिला संयुक्त चिकित्सालयों में नवजात शिशुओं की हिफाजत खतरे में है। इन जिलों के अस्पतालों को खराब उपकरण सप्लाई कर दिए गए। नवजात शिशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनें रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी सही से काम नहीं कर रही हैं। कई जिलों से मिली शिकायतों के बाद महाप्रबंधक (उपकरण-उपार्जन) ने इन सभी जिलों में मौजूद इन मशीनों के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई है
कम वजन के नवजात को संक्रमण से बचाने और स्वस्थ रखने के लिए रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी मशीन का उपयोग किया जाता है। लेकिन बरेली समेत लगभग कई जिलों में तकनीकी खराबी के कारण इन मशीनों ने ठीक से काम नहीं किया। कई जिलों से सीएमएस ने शासन को पत्र भेज कर इन त्रुटियों के बारे में बताया। काफी लिखापढ़ी के बाद शासन स्तर पर इन मशीनों का उपयोग न किए जाने का निर्णय लिया गया। उत्तर प्रदेश सप्लाईज कारपोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक (उपकरण-उपार्जन) ने उपरोक्त जिलों के जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका व जिला संयुक्त चिकित्सालयों के मुख्य चिकित्साधीक्षक को पत्र भेज कर रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी यूनिट को अग्रिम आदेशों तक प्रयोग न किए जाने के आदेश हाल ही में दिए हैं। पत्र मिलने के बाद जिला महिला चिकित्सालय की सीएमएस डा. अल्का शर्मा ने उन मशीनों का प्रयोग तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। इसके चलते महिला जिला अस्पताल में कम वजन के पैदा हो रहे बच्चों की देखभाल को लेकर संकट खड़ा हो गया है। सीएमएस ने सीएमओ को पत्र भेज कर स्थिति से अवगत कराते हुए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की सीएचसी व पीएचसी से कम वजन के नवजात बच्चों को महिला अस्पताल में रेफर न करने का अनुरोध किया है। इसकी पुष्टि मुख्य चिकित्साधिकारी डा. विनीत शुक्ल ने भी पुष्टि की है।
इन जिलों में हुई थी खराब मशीनों की सप्लाई
शासन के निर्देश पर मेसर्स टेक्नो मेडिकल्स इंडिया की ओर से गोरखपुर, बाराबंकी, गाजियाबाद, गोंडा, बदायूं, मेरठ, आगरा, मैनपुरी, रायबरेली, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, बरेली, इटावा, सुल्तानपुर, पीलीभीत, सहारनपुर, इलाहाबाद, बिजनौर, बुलंद शहर, मुरादाबाद, फैजाबाद, अमरोहा, औरैया, आजमगढ़, बागपत, बलिया, जौनपुर, मऊ समेत 28 जिलों के जिला महिला चिकित्सालयों के अलावा कानपुर देहात, अंबेडकर नगर, कन्नौज, कुशीनगर, महाराजगंज व संतकबीर नगर के जिला संयुक्त चिकित्सालयों में 12-12 रेडिएंट वार्मर एवं छह फोटो थेरेपी यूनिट प्रति एमसीएच विंग ( मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई) में आपूर्ति की गई थी। लेकिन ये उपकरण सही से काम नहीं कर रहे।
क्या है रेडिएंड वार्मर
इस मशीन का उपयोग उन बच्चों के लिए किया जाता है जो बच्चा कम वजन का होता है।
37 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ही बच्चे का शरीर बेहतर ढंग से काम करता है।
यह मशीन इस तापमान को मेंटेन रखती है।
समय से पहले पैदा हुए बच्चे में संक्रमण का खतरा बना रहता है। रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी यूनिट में रखे बच्चे में इसका खतरा कम रहता है।
मशीन में लगे सेंसर को बच्चे के शरीर से लगा दिया जाता है। निर्धारित तापमान से अधिक तापमान होने पर यह मशीन अपने आप बंद हो जाएगी तथा कम तापमान होने पर अपने आप काम करना शुरू कर देगी।
‘जिला महिला अस्पताल में पहले से एक रेडिएंट वार्मर है। शासन के आदेश पर हालही में आए सभी 12 रेडिएंटों को एक कक्ष में रखवा दिया गया है। सीएमओ को पत्र भेज कर तीन रेडिएंट उनके यहां से मंगा लिए हैं। अधिकांश मरीजों के बच्चे कम वजन के पैदा हो रहे हैं। जिसके चलते खासी दिक्कत हो रही है। मजबूरन कभी-कभी दो-दो बच्चों को एक रेडिएंट वार्मर में रखना पड़ता है। दिक्कत के चलते ग्रामीण क्षेत्रों की सीएचसी पीएचसी से कम वजन के बच्चों को यहां न रेफर करने के लिए सीएमओ से अनुरोध किया है।’
- डा. अलका शर्मा, सीएमएस, महिला चिकित्सालय
संयुक्त चिकित्सालय में भी रेडिएंट वार्मर का टोटा
जिला संयुक्त चिकित्सालय में भी रेडिएंट वार्मर का टोटा है। सीएमएस डा. केएस गुप्ता ने बताया कि उनके यहां पहले से चार रेडिएंट वार्मर थे। इनमे से तीन महिला चिकित्सालय में भेजने पड़े। बिथरी चैनपुर विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने यहां इसकी कमी को देखते हुए अपने साथियों की मदद से दो रेडिएंट वार्मर दिलवाए थे। जो काम कर रहे हैं। जो मरीजों की संख्या को देखते हुए कम हैं।
बरेली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर समेत मंडल के अलावा बरेली, पीलीभीत और बदायूं समेत प्रदेश के 28 जिला महिला अस्पतालों और छह जिला संयुक्त चिकित्सालयों में नवजात शिशुओं की हिफाजत खतरे में है। इन जिलों के अस्पतालों को खराब उपकरण सप्लाई कर दिए गए। नवजात शिशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनें रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी सही से काम नहीं कर रही हैं। कई जिलों से मिली शिकायतों के बाद महाप्रबंधक (उपकरण-उपार्जन) ने इन सभी जिलों में मौजूद इन मशीनों के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई है
कम वजन के नवजात को संक्रमण से बचाने और स्वस्थ रखने के लिए रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी मशीन का उपयोग किया जाता है। लेकिन बरेली समेत लगभग कई जिलों में तकनीकी खराबी के कारण इन मशीनों ने ठीक से काम नहीं किया। कई जिलों से सीएमएस ने शासन को पत्र भेज कर इन त्रुटियों के बारे में बताया। काफी लिखापढ़ी के बाद शासन स्तर पर इन मशीनों का उपयोग न किए जाने का निर्णय लिया गया। उत्तर प्रदेश सप्लाईज कारपोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक (उपकरण-उपार्जन) ने उपरोक्त जिलों के जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षिका व जिला संयुक्त चिकित्सालयों के मुख्य चिकित्साधीक्षक को पत्र भेज कर रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी यूनिट को अग्रिम आदेशों तक प्रयोग न किए जाने के आदेश हाल ही में दिए हैं। पत्र मिलने के बाद जिला महिला चिकित्सालय की सीएमएस डा. अल्का शर्मा ने उन मशीनों का प्रयोग तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है। इसके चलते महिला जिला अस्पताल में कम वजन के पैदा हो रहे बच्चों की देखभाल को लेकर संकट खड़ा हो गया है। सीएमएस ने सीएमओ को पत्र भेज कर स्थिति से अवगत कराते हुए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की सीएचसी व पीएचसी से कम वजन के नवजात बच्चों को महिला अस्पताल में रेफर न करने का अनुरोध किया है। इसकी पुष्टि मुख्य चिकित्साधिकारी डा. विनीत शुक्ल ने भी पुष्टि की है।
इन जिलों में हुई थी खराब मशीनों की सप्लाई
शासन के निर्देश पर मेसर्स टेक्नो मेडिकल्स इंडिया की ओर से गोरखपुर, बाराबंकी, गाजियाबाद, गोंडा, बदायूं, मेरठ, आगरा, मैनपुरी, रायबरेली, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, बरेली, इटावा, सुल्तानपुर, पीलीभीत, सहारनपुर, इलाहाबाद, बिजनौर, बुलंद शहर, मुरादाबाद, फैजाबाद, अमरोहा, औरैया, आजमगढ़, बागपत, बलिया, जौनपुर, मऊ समेत 28 जिलों के जिला महिला चिकित्सालयों के अलावा कानपुर देहात, अंबेडकर नगर, कन्नौज, कुशीनगर, महाराजगंज व संतकबीर नगर के जिला संयुक्त चिकित्सालयों में 12-12 रेडिएंट वार्मर एवं छह फोटो थेरेपी यूनिट प्रति एमसीएच विंग ( मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई) में आपूर्ति की गई थी। लेकिन ये उपकरण सही से काम नहीं कर रहे।
क्या है रेडिएंड वार्मर
इस मशीन का उपयोग उन बच्चों के लिए किया जाता है जो बच्चा कम वजन का होता है।
37 डिग्री सेल्सियस तापमान पर ही बच्चे का शरीर बेहतर ढंग से काम करता है।
यह मशीन इस तापमान को मेंटेन रखती है।
समय से पहले पैदा हुए बच्चे में संक्रमण का खतरा बना रहता है। रेडिएंट वार्मर और फोटो थेरेपी यूनिट में रखे बच्चे में इसका खतरा कम रहता है।
मशीन में लगे सेंसर को बच्चे के शरीर से लगा दिया जाता है। निर्धारित तापमान से अधिक तापमान होने पर यह मशीन अपने आप बंद हो जाएगी तथा कम तापमान होने पर अपने आप काम करना शुरू कर देगी।
‘जिला महिला अस्पताल में पहले से एक रेडिएंट वार्मर है। शासन के आदेश पर हालही में आए सभी 12 रेडिएंटों को एक कक्ष में रखवा दिया गया है। सीएमओ को पत्र भेज कर तीन रेडिएंट उनके यहां से मंगा लिए हैं। अधिकांश मरीजों के बच्चे कम वजन के पैदा हो रहे हैं। जिसके चलते खासी दिक्कत हो रही है। मजबूरन कभी-कभी दो-दो बच्चों को एक रेडिएंट वार्मर में रखना पड़ता है। दिक्कत के चलते ग्रामीण क्षेत्रों की सीएचसी पीएचसी से कम वजन के बच्चों को यहां न रेफर करने के लिए सीएमओ से अनुरोध किया है।’
- डा. अलका शर्मा, सीएमएस, महिला चिकित्सालय
संयुक्त चिकित्सालय में भी रेडिएंट वार्मर का टोटा
जिला संयुक्त चिकित्सालय में भी रेडिएंट वार्मर का टोटा है। सीएमएस डा. केएस गुप्ता ने बताया कि उनके यहां पहले से चार रेडिएंट वार्मर थे। इनमे से तीन महिला चिकित्सालय में भेजने पड़े। बिथरी चैनपुर विधायक राजेश मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल ने यहां इसकी कमी को देखते हुए अपने साथियों की मदद से दो रेडिएंट वार्मर दिलवाए थे। जो काम कर रहे हैं। जो मरीजों की संख्या को देखते हुए कम हैं।