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दक्षिण अफ्रीका से आएंगे 12 और चीते: कूनो नेशनल पार्क के Cheetah बने रहेंगे शिकारी, पर शिकार होंगे शाकाहारी
अमर उजाला नेटवर्क, बरेली
Published by: शाहरुख खान
Updated Wed, 08 Feb 2023 08:49 AM IST
सार
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मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लगाए जाएंगे। उनको सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने की तैयारियों में आईवीआरआई के वैज्ञानिक जुटे हैं। क्वारंटीन के दौरान उनकी शिकार की आदत बनी रहे, इसके लिए उनके बाड़े में शाकाहारी जीव छोड़े जाएंगे।
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में सितंबर में नामीबिया से आठ चीते लाए गए थे। अब 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीतों के कूनो पहुंचने की उम्मीद है। उन्हें सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने, संभावित संघर्ष और खतरों से बचाव के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के वैज्ञानिक जुट गए हैं।
क्वारंटीन के दौरान उनकी शिकार की आदत बनी रहे, इसके लिए उनके बाड़े में शाकाहारी जीव छोड़े जाएंगे। इससे उनकी शारीरिक स्फूर्ति भी बनी रहेगी और उन्हें किसी प्रकार का नुकसान पहुंचने की गुंजाइश भी कम रहेगी।
आईवीआरआई के विशेषज्ञ डॉ. अभिजीत पावड़े तीन दिन पहले कूनो नेशनल पार्क में चीतों के क्वारंटीन संबंधी व्यवस्था देखने पहुंचे थे। बताया कि चीतों को क्वारंटीन करने के लिए बोमा (मांद) बनेगा, क्योंकि लंबी दूरी तय करने के दौरान वे थके होंगे। पहुंचते ही अगर उन्हें छोड़ दिया जाएगा तो पार्क में पहले से रह रहे जानवरों के संपर्क में आने से उनके संक्रमित होने का खतरा रहेगा।
दूसरी ओर, यदि उनमें कोई संक्रमण हुआ तो यहां के जानवरों में भी उसके फैलने की आशंका रहेगी। तेंदुआ, शेर, बाघ, भेड़िया, सियार, लोमड़ी आदि जानवर चीतों के संपर्क में न आएं, इसके लिए उन्हें इलेक्ट्रिक बाड़े में रखा जाएगा। जो बाड़ा बनाया गया है, उसकी फेंसिंग में हल्का करंड दौड़ाया जाएगा, ताकि यदि जानवर प्रवेश करने का प्रयास करें तो उन्हें भी कोई नुकसान न हो। बाड़े की बाउंड्री से पांच-छह फीट जगह छोड़कर चारों ओर लोहे के तार लगाए जाएंगे। बाड़ फांदकर कोई जानवर न घुसे, इसका भी इंतजाम रहेगा।
...ताकि लोगों की आवाजाही से चौंकें न चीते
डॉ. पावड़े के मुताबिक जंगल से पार्क पहुंचने वाले चीतों को देखने के लिए भीड़ उमड़ने की संभावना है। लिहाजा, बाड़े को ग्रीन शीट से ढंका जाएगा, ताकि इंसानों की आवाजाही व शोर से चीतों पर कोई प्रभाव न पड़े। वाहन के टायर और लोगों के पैदल चलने से कोई जीवाणु प्रवेश न कर सके, इसके लिए जमीन में चूना मिला पानी भरा जाएगा।
चूहे, छछूंदर से बचाव का भी रहेगा इंतजाम
बाड़े के अंदर चूहे और छछूंदर के बिल बंद करने, जमीन के नीचे कुछ गहराई तक लोहे की शीट लगाने को कहा गया है। डॉ. पावड़े के मुताबिक चूहे के पेशाब में लेप्टोस्पाइस के जीवाणु होते हैं। चीते अपनी टेरिटरी (इलाका) बनाने के दौरान कोई गंध आने पर उसे सूंघते हैं। चूहों के पेशाब को नजदीक से सूंघने पर उनके संक्रमित होने की आशंका है। यह बैक्टीरिया लिवर और किडनी को खराब कर सकता है। अचानक जंगल से पार्क में पहुंचने पर पर्यावरण परिवर्तित होने से अगर शिकार नहीं कर पाएंगे तो उन्हें मांस भी उपलब्ध कराने को कहा है।
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