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Amethi News: नकली मावा और अन्य खाद्य पदार्थ बिगाड़ सकते हैं सेहत

संवाद न्यूज एजेंसी, अमेठी Updated Mon, 06 Mar 2023 12:09 AM IST
Fake mawa and other foods can spoil health
अमेठी। रंगों एवं गुझिया की मिठास के पर्व होली को देखते हुए मिलावटखोर सक्रिय होकर भंडारण में जुट गए हैं। मिलावटी और सिंथेटिक मावा व अन्य खाद्य पदार्थों के साथ केमिकल एवं मिलावटी रंग का व्यापार जोर पकड़ने लगा है। जिम्मेदारों की उदासीनता से मिलावट खोरी का व्यापार तेजी से फल-फूल रहा है।होली आठ मार्च को मनाई जाएगी। पर्व को देखते ही मिलावटखोर पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। सेहत को नुकसान करने वाले नकली मावा और पनीर के साथ ही अन्य खाद्य सामग्री एवं रंग, गुलाल व अबीर का भंडारण कर रहे हैं। होली पर अतिथियों का स्वागत गुझिया से करने की परंपरा है। गुझिया बनाने में अधिकतर बाजार से ही मावा की खरीदारी होती है। बाजार में मावा खरीदते समय असली-नकली की पहचान आम लोगों को नहीं हो पाती। गौरतलब हो कि एक किलोग्राम मावा तैयार करने में करीब चार से पांच लीटर दूध लगता है।

पर्व पर मावा की डिमांड को देखते हुए मिलावटखोर मिलावट करके व सिंथेटिक तरीके से नकली मावा बेचकर मोटा मुनाफा कमाने के चक्कर में रहते हैं। मिलावटखोर दूध में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर और घटिया क्वालिटी का वनस्पति घी मिलाते हैं। सिंथेटिक दूध बनाने के लिए वॉशिंग पाउडर, रिफाइंड तेल, पानी और शुद्घ दूध को मिला कर बनाते हैं।

सूत्रों के अनुसार एक लीटर दूध में 20 लीटर सिंथेटिक दूध तैयार होता है। फिर इसी दूध से खोया तैयार किया जाता है। इसी तरह इसी दूध से व अन्य पदार्थों से पनीर भी तैयार किया जाता है। यही नहीं मावा और पनीर को आकर्षक रंग देने के लिए केमिकलों का इस्तेमाल होता है जो सेहत बिगाड़ती है। नकली मावा की मात्रा बढ़ाने के लिए अरारोट, आलू मिलाया जाता है। इसी तरह अन्य खाद्य पदार्थों में भी मिलावटखोरी तेज हो गई है।
वहीं रंग व्यवसायी केमिकल युक्त रंग व अबीर आदि सामान की खेप भी बाजार में पहुंचा रहे हैं। मिलावटखोरी पर अंकुश लगाने को लेकर जिम्मेदार अभी उदासीन बने हैं। ऐसे में पर्व पर खुशियां मनाने के बजाय लोगों को अपनी सेहत ठीक कराने के लिए अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ेगा। बाजार में मावा लाल, सफेद, लच्छेदार, चिकना, गाय का खोआ व पनीर थोक करीब 280 रुपये तो फुटकर में मावा 300 रुपये और पनीर 320 रुपये हैं।

ऐसे पहचानें मिलावट
होली के पर्व पर बाजार में उतरे असली और नकली मावा की पहचान कर खरीदना आवश्यक है। आयोडीन टिंचर की दो से तीन बूंद खोया में डालकर असली नकली मावा की पहचान की जा सकती है। आयोडीन टिंचर की बूंद पड़ते ही असली मावा होने पर रंग लाल हो जाएगा। मिलावट होने पर मावा का रंग काला हो जाएगा। शुद्ध मावा रगड़ने पर चिकनाहट छोड़ता है, तो मिलावटी मावा मसलने में बत्ती की तरह बनकर अलग-अलग हो जाता है।

बाजार की समाग्री प्रयोग करने से बचें
डॉ. आलोक तिवारी ने बताया कि मिलावटी खोया से बनी गुझिया और मिठाइयां किडनी से लेकर लीवर को खराब कर सकती हैं। मिलावटी खाद्य पदार्थों से सांस नली में दिक्कत आ सकती है। नकली खाद्य पदार्थ व केमिकल युक्त रंग अबीर शरीर के अन्य अंगों एवं त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में घर पर खोया पनीर तैयार तैयार करें और प्राकृतिक रंगों का होली पर्व पर प्रयोग करें।
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