प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 68500 शिक्षकों की भर्ती में मूल्यांकन में गड़बड़ी के बाद कोर्ट के आदेश के पुनर्मूल्यांकन में सफल घोषित किए गए अनिरूद्घ नारायण शुक्ला ने सचिव परीक्षा नियामक पर कोर्ट के आदेश के बाद नियुक्ति नहीं देने का आरोप लगाया है। मूल्यांकन में गड़बड़ी के बाद परीक्षार्थी अनिरूद्घ नारायण शुक्ला ने कोर्ट में याचिका दाखिल की, इस मामले में कोर्ट के आदेश के बाद दोबारा हुए मूल्यांकन में गलत तरीके से कॉपी जांचे जाने के बाद याची ने कोर्ट से गुहार लगाई तो सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को इस मामले को दो महीने में निस्तारित करने का आदेश हुआ। अनिरूद्घ नारायण शुक्ला का कहना है कि तीन अप्रैल के आदेश को तीन जून को दो महीने पूरे हो जाएंगे परंतु अभी तक परीक्षा नियामक की ओर से इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया। याची का कहना है कि अभी तक परीक्षा नियामक की ओर से रिजल्ट तक जारी नहीं किया गया, ऐसे में दो महीने में नियुक्ति कैसे मिलेगी।
परीक्षार्थियों का कहना है कि प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 68500 शिक्षकों की भर्ती में मूल्यांकन में गड़बड़ी के दोषी दोनों अधिकारियों तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह एवं रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी को सरकार ने बहाल कर दिया। जबकि इसी मामले में परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों को राहत नहीं मिल सकी है। परीक्षार्थियों के पक्ष में कोर्ट के निर्णय के बाद भी उनको ज्वाइनिंग नहीं मिल रही है।
प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 68500 शिक्षकों की भर्ती में मूल्यांकन में गड़बड़ी के बाद कोर्ट के आदेश के पुनर्मूल्यांकन में सफल घोषित किए गए अनिरूद्घ नारायण शुक्ला ने सचिव परीक्षा नियामक पर कोर्ट के आदेश के बाद नियुक्ति नहीं देने का आरोप लगाया है। मूल्यांकन में गड़बड़ी के बाद परीक्षार्थी अनिरूद्घ नारायण शुक्ला ने कोर्ट में याचिका दाखिल की, इस मामले में कोर्ट के आदेश के बाद दोबारा हुए मूल्यांकन में गलत तरीके से कॉपी जांचे जाने के बाद याची ने कोर्ट से गुहार लगाई तो सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी को इस मामले को दो महीने में निस्तारित करने का आदेश हुआ। अनिरूद्घ नारायण शुक्ला का कहना है कि तीन अप्रैल के आदेश को तीन जून को दो महीने पूरे हो जाएंगे परंतु अभी तक परीक्षा नियामक की ओर से इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया। याची का कहना है कि अभी तक परीक्षा नियामक की ओर से रिजल्ट तक जारी नहीं किया गया, ऐसे में दो महीने में नियुक्ति कैसे मिलेगी।
परीक्षार्थियों का कहना है कि प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 68500 शिक्षकों की भर्ती में मूल्यांकन में गड़बड़ी के दोषी दोनों अधिकारियों तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह एवं रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी को सरकार ने बहाल कर दिया। जबकि इसी मामले में परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों को राहत नहीं मिल सकी है। परीक्षार्थियों के पक्ष में कोर्ट के निर्णय के बाद भी उनको ज्वाइनिंग नहीं मिल रही है।