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Atiq Ahmed: Shaista Parveen was brought down by AIMIM from the city western, the challenge of SP will increase
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अतीक अहमद : शाइस्ता परवीन को एआईएमआईएम ने शहर पश्चिमी से उतारा तो बढ़ेगी सपा की चुनौती
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 08 Sep 2021 05:33 PM IST
सार
विधानसभा चुनाव से सात महीने पहले पूर्व सांसद अतीक अहमद ने अपनी पत्नी शाइस्ता परवीन को एआईएमआईएम में शामिल कराकर बड़ा दांव चल दिया है। शहर पश्चिमी पर खासा प्रभाव रखने वाले और यहां से पांच बार के विधायक रह चुके अतीक अहमद के इस दांव से सपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
Prayagraj News : पूर्व सांसद अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन को लखनऊ में एआईएमआईएम की सदस्यता ग्रहण कराते राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद असददुद्दीन ओवैसी।
- फोटो : prayagraj
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पूर्व सांसद और पांच बार विधायक रहे अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन के ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) में शामिल होने से एक बार फिर शहर पश्चिम की सीट सुर्खियों में आ गई है। एआईएमआईएम शाइस्ता या उनके पति अतीक अहमद को इस सीट से उम्मीदवार बनाती है तो इससे समाजवादी पार्टी की चुनौती बढ़ सकती है। वहीं मुस्लिम वोटों के बिखराव से भाजपा को सीधे फायदा मिलने की संभावना है।
प्रयागराज की शहर पश्चिम सीट पर अतीक अहमद का खासा प्रभाव है। वह यहां से खुद पांच बार विधायक रहने के अलावा एक बार अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को भी जिता चुके हैं। अतीक के चुनाव मैदान में आने से सपा के परंपरागत मुस्लिम वोटों में सेंधमारी हो सकती है। चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो 1989, 1991, 1993 में निर्दलीय विधायक रहे अतीक के दम पर ही यहां समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। अतीक ने 1996 में बीजेपी के तीरथ राम कोहली को 35099 वोट से हराया था। 2002 में अतीक ने अपना दल के टिकट पर सपा के गोपालदास यादव को 11808 वोट से पराजित किया। वर्ष 1989 से 2002 तक इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं के समीकरण अतीक पर ही टिके रहे हैं।
इस दौरान अतीक ने दो बार सपा (2005 में अशरफ) और एक बार अपना दल को जीत दिलाई। 2007 और 2012 में दिवंगत विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल सहानुभूति की लहर में जीत गईं, लेकिन दोनों बार उन्हें अतीक और अशरफ से कड़ी टक्कर मिली। 2012 में तो अतीक ने सपा को तीसरे नंबर पर ढकेल दिया। 2017 में अतीक या उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव में नहीं उतरा तो सपा मुस्लिम मतों के सहारे दूसरे स्थान पर रही थी। शाइस्ता को टक्कर देने के लिए सपा अब ऐसे उम्मीदवार की तलाश करेगी जोकि पार्टी के परंपरागत मुस्लिम वोटों का बिखराव रोक सके। वहीं भाजपा को इस सीट पर वोटों की गणित में ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी।
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लगभग सात महीने पहले पूर्व सांसद और शहर पश्चिम सीट से पांच बार विधायक रहे अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन के ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) में शामिल होने से एक बार फिर शहर पश्चिम की सीट सुर्खियों में आ गई है। अगर शाइस्ता या उनके पति अतीक अहमद को एआईएमआईएम इस सीट से उम्मीदवार बनाती है तो इसका सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी को हो सकता है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के लिए यह देसी घी के लड्डू खाने जैसी बात हो सकती है। क्योंकि जो मुस्लिम मतदाता सपा के साथ जाता है उसमें से अगर आधे भी अतीक के साथ आ गये तो बीजेपी की राह आसान हो जायेगी लेकिन अगर 80 प्रतिशत मुस्लिम अतीक के साथ हुए तो तस्वीर कुछ और ही हो सकती है।
विस्तार
पूर्व सांसद और पांच बार विधायक रहे अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन के ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) में शामिल होने से एक बार फिर शहर पश्चिम की सीट सुर्खियों में आ गई है। एआईएमआईएम शाइस्ता या उनके पति अतीक अहमद को इस सीट से उम्मीदवार बनाती है तो इससे समाजवादी पार्टी की चुनौती बढ़ सकती है। वहीं मुस्लिम वोटों के बिखराव से भाजपा को सीधे फायदा मिलने की संभावना है।
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प्रयागराज की शहर पश्चिम सीट पर अतीक अहमद का खासा प्रभाव है। वह यहां से खुद पांच बार विधायक रहने के अलावा एक बार अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को भी जिता चुके हैं। अतीक के चुनाव मैदान में आने से सपा के परंपरागत मुस्लिम वोटों में सेंधमारी हो सकती है। चुनावी आंकड़ों पर नजर डालें तो 1989, 1991, 1993 में निर्दलीय विधायक रहे अतीक के दम पर ही यहां समाजवादी पार्टी ने जीत का परचम लहराया था। अतीक ने 1996 में बीजेपी के तीरथ राम कोहली को 35099 वोट से हराया था। 2002 में अतीक ने अपना दल के टिकट पर सपा के गोपालदास यादव को 11808 वोट से पराजित किया। वर्ष 1989 से 2002 तक इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं के समीकरण अतीक पर ही टिके रहे हैं।
इस दौरान अतीक ने दो बार सपा (2005 में अशरफ) और एक बार अपना दल को जीत दिलाई। 2007 और 2012 में दिवंगत विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल सहानुभूति की लहर में जीत गईं, लेकिन दोनों बार उन्हें अतीक और अशरफ से कड़ी टक्कर मिली। 2012 में तो अतीक ने सपा को तीसरे नंबर पर ढकेल दिया। 2017 में अतीक या उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव में नहीं उतरा तो सपा मुस्लिम मतों के सहारे दूसरे स्थान पर रही थी। शाइस्ता को टक्कर देने के लिए सपा अब ऐसे उम्मीदवार की तलाश करेगी जोकि पार्टी के परंपरागत मुस्लिम वोटों का बिखराव रोक सके। वहीं भाजपा को इस सीट पर वोटों की गणित में ज्यादा माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी।
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लगभग सात महीने पहले पूर्व सांसद और शहर पश्चिम सीट से पांच बार विधायक रहे अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन के ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) में शामिल होने से एक बार फिर शहर पश्चिम की सीट सुर्खियों में आ गई है। अगर शाइस्ता या उनके पति अतीक अहमद को एआईएमआईएम इस सीट से उम्मीदवार बनाती है तो इसका सीधा नुकसान समाजवादी पार्टी को हो सकता है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के लिए यह देसी घी के लड्डू खाने जैसी बात हो सकती है। क्योंकि जो मुस्लिम मतदाता सपा के साथ जाता है उसमें से अगर आधे भी अतीक के साथ आ गये तो बीजेपी की राह आसान हो जायेगी लेकिन अगर 80 प्रतिशत मुस्लिम अतीक के साथ हुए तो तस्वीर कुछ और ही हो सकती है।
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