सूरत आग हादसे ने ताजनगरी को भी झकझोर दिया है। वहां बच्चों की जान जाने की वजह इमारत में एक ही रास्ता होना रही। आग से यह बंद हो गया। बच्चों को कूदना पड़ा। आगरा में भी खतरा कम नहीं है। एक दो नहीं, कई ऐसी बहुमंजिला इमारतें हैं, जिनमें आवागमन का एक ही रास्ता है।
शहर में ऐसे अवैध भवनों का निर्माण हुआ है, जहां नियमों को ताक पर रखा गया है। अवैध रूप से बने तमाम भवनों में कोचिंग सेंटर और विद्यालय भी संचालित हो रहे हैं। कई मंजिला इन भवनों में चढ़ने-उतरने के लिए एक ही रास्ता है। इतना ही नहीं संकरी गलियों में ऊंचे-ऊंचे भवन बना दिए हैं।
आगरा विकास प्राधिकरण आंखें मूंदा बैठा है। या फिर कई जगह विभागीय इंजीनियरों ने बिल्डरों से मिलीभगत कर अपनी आंखें फेर ली हैं। ऐसे में यदि कोई हादसा हुआ तो बड़ा नुकसान हो सकता है। हाल ही के दिनों में ऐसे कई हादसे हो चुके हैं। बावजूद इसके प्रशासन ने सबक नहीं लिया है।
केस - 1
हाल ही के दिनों में न्यू आगरा क्षेत्र के कमला नगर में इमारत आग लगी। नीचे दुकान थी, ऊपर मकान। रास्ता एक ही था। लोग फंस गए। गनीमत रही कि दमकल जल्दी पहुंच गए और पूरे परिवार को बचा लिया।
केस- 2
आठ दिन पहले ही घटना है। राजपुर चुंगी में दुकानों में आग लगी। दूसरी मंजिल पर पूरा परिवार रहता था। महिला और उसके ससुर की मौत हो गई क्योंकि बाहर नहीं निकल पाए। रास्ता एक ही था।
केस - 3
नेहरू नगर में दो महीने पहले घटना हुआ। बिजली के मीटर में आग लगी। बिल्डिंग में फैल गई। पार्किंग में कई गाड़ियां जल गई। लोग फंस गए। बड़ी मुश्किल से निकले।
बिजली विभाग के जानकारों के अनुसार ये हादसे लोगों की लापरवाही से हो रहे हैं। दरअसल, ज्वाइंट ढीला होने पर ही बिजली के तारों में स्पार्किंग होती है और आग लग जाती है। ज्वाइंट करने के बाद लोग समय-समय पर इन्हें न तो चेक करते हैं और न ही तार बदलते हैं।
ऐसे में समय के साथ तारों के बीच स्पार्किंग की संभावना बढ़ जाती है। बिजली का लोड अधिक बढ़ने पर इनमें स्पार्किंग होने लगती है। जानकारों का कहना है कि प्रतिष्ठान या घरों में कोशिश करनी चाहिए कि बिजली के तारों में ज्वाइंट कम से कम हों।
नियम ताक पर रखकर चल रहे तमाम कोचिंग सेंटर
उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. डीके गर्ग का कहना है कि कोचिंग सेंटर के पंजीकरण के लिए नियम सख्त कर दिए गए हैं। अग्निशमन यंत्र मानक के अनुरूप लगे होने चाहिए, बिजली का कनेक्शन कामर्शियल होना चाहिए, पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
आवासीय क्षेत्रों में कोचिंग न संचालित करने के संबंध में कोई शासनादेश नहीं है। जिले में पंजीकृत कोचिंग सेंटर करीब 300 हैं। तमाम सेंटर बिना पंजीकरण के चल रहे हैं, इनके खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।
सीएफओ अक्षय शर्मा के मुताबिक, एडीए के नियमों के मुताबिक, 500 वर्गमीटर से अधिक और 15 मीटर से ऊंचे भवन के लिए अग्निशमन विभाग की एनओसी आवश्यक है। विभागीय कर्मी जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपते हैं। किसी भवन में अग्निशमन के पर्याप्त इंतजाम होने चाहिए।
अग्निशमन उपकरणों को चलाने के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति को रखा जाए। किसी व्यवसायिक भवन और अपार्टमेंट से बाहर निकलने के दो रास्ते होने चाहिए। बिजली उपकरणों और तारों को समय-समय पर चेक कराना चाहिए। विद्युत भार भी दिखवाना चाहिए।
भवन से बाहर जाने वाले मार्ग पर बिजली के तार नहीं होने चाहिए। छत पर जाने के लिए खुला रास्ता बनाए जाए। पुराने भवन में सीढ़ी नहीं बनी है तो विकल्प के तौर सीढ़ी की व्यवस्था की जाए। फायर सिस्टम को चेक करते रहना चाहिए।
सूरत आग हादसे ने ताजनगरी को भी झकझोर दिया है। वहां बच्चों की जान जाने की वजह इमारत में एक ही रास्ता होना रही। आग से यह बंद हो गया। बच्चों को कूदना पड़ा। आगरा में भी खतरा कम नहीं है। एक दो नहीं, कई ऐसी बहुमंजिला इमारतें हैं, जिनमें आवागमन का एक ही रास्ता है।
शहर में ऐसे अवैध भवनों का निर्माण हुआ है, जहां नियमों को ताक पर रखा गया है। अवैध रूप से बने तमाम भवनों में कोचिंग सेंटर और विद्यालय भी संचालित हो रहे हैं। कई मंजिला इन भवनों में चढ़ने-उतरने के लिए एक ही रास्ता है। इतना ही नहीं संकरी गलियों में ऊंचे-ऊंचे भवन बना दिए हैं।
आगरा विकास प्राधिकरण आंखें मूंदा बैठा है। या फिर कई जगह विभागीय इंजीनियरों ने बिल्डरों से मिलीभगत कर अपनी आंखें फेर ली हैं। ऐसे में यदि कोई हादसा हुआ तो बड़ा नुकसान हो सकता है। हाल ही के दिनों में ऐसे कई हादसे हो चुके हैं। बावजूद इसके प्रशासन ने सबक नहीं लिया है।
आगरा में हो चुके हैं हादसे
केस - 1
हाल ही के दिनों में न्यू आगरा क्षेत्र के कमला नगर में इमारत आग लगी। नीचे दुकान थी, ऊपर मकान। रास्ता एक ही था। लोग फंस गए। गनीमत रही कि दमकल जल्दी पहुंच गए और पूरे परिवार को बचा लिया।
केस- 2
आठ दिन पहले ही घटना है। राजपुर चुंगी में दुकानों में आग लगी। दूसरी मंजिल पर पूरा परिवार रहता था। महिला और उसके ससुर की मौत हो गई क्योंकि बाहर नहीं निकल पाए। रास्ता एक ही था।
केस - 3
नेहरू नगर में दो महीने पहले घटना हुआ। बिजली के मीटर में आग लगी। बिल्डिंग में फैल गई। पार्किंग में कई गाड़ियां जल गई। लोग फंस गए। बड़ी मुश्किल से निकले।
ढीले ज्वाइंट से स्पार्किंग की संभावना
बिजली विभाग के जानकारों के अनुसार ये हादसे लोगों की लापरवाही से हो रहे हैं। दरअसल, ज्वाइंट ढीला होने पर ही बिजली के तारों में स्पार्किंग होती है और आग लग जाती है। ज्वाइंट करने के बाद लोग समय-समय पर इन्हें न तो चेक करते हैं और न ही तार बदलते हैं।
ऐसे में समय के साथ तारों के बीच स्पार्किंग की संभावना बढ़ जाती है। बिजली का लोड अधिक बढ़ने पर इनमें स्पार्किंग होने लगती है। जानकारों का कहना है कि प्रतिष्ठान या घरों में कोशिश करनी चाहिए कि बिजली के तारों में ज्वाइंट कम से कम हों।
नियम ताक पर रखकर चल रहे तमाम कोचिंग सेंटर
उच्च शिक्षा अधिकारी डॉ. डीके गर्ग का कहना है कि कोचिंग सेंटर के पंजीकरण के लिए नियम सख्त कर दिए गए हैं। अग्निशमन यंत्र मानक के अनुरूप लगे होने चाहिए, बिजली का कनेक्शन कामर्शियल होना चाहिए, पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
आवासीय क्षेत्रों में कोचिंग न संचालित करने के संबंध में कोई शासनादेश नहीं है। जिले में पंजीकृत कोचिंग सेंटर करीब 300 हैं। तमाम सेंटर बिना पंजीकरण के चल रहे हैं, इनके खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।
एनओसी लेना जरूरी है - सीएफओ
सीएफओ अक्षय शर्मा के मुताबिक, एडीए के नियमों के मुताबिक, 500 वर्गमीटर से अधिक और 15 मीटर से ऊंचे भवन के लिए अग्निशमन विभाग की एनओसी आवश्यक है। विभागीय कर्मी जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपते हैं। किसी भवन में अग्निशमन के पर्याप्त इंतजाम होने चाहिए।
अग्निशमन उपकरणों को चलाने के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति को रखा जाए। किसी व्यवसायिक भवन और अपार्टमेंट से बाहर निकलने के दो रास्ते होने चाहिए। बिजली उपकरणों और तारों को समय-समय पर चेक कराना चाहिए। विद्युत भार भी दिखवाना चाहिए।
भवन से बाहर जाने वाले मार्ग पर बिजली के तार नहीं होने चाहिए। छत पर जाने के लिए खुला रास्ता बनाए जाए। पुराने भवन में सीढ़ी नहीं बनी है तो विकल्प के तौर सीढ़ी की व्यवस्था की जाए। फायर सिस्टम को चेक करते रहना चाहिए।